कबीरधाम: वन विभाग की जमीन पर कुछ महीनों से अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ प्रशासन ने गुरुवार को कार्रवाई की है. वन परिक्षेत्र चिल्फी के नेशनल हाईवे-30 से लगी वन भूमि पर कब्जा करने वाले तीन लोगों पर कार्रवाई की गई है. अतिक्रमण करने वाले लोगों के घरों को JCB मशीन से तोड़ा गया.
![Action against those who encroach on forest land](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/04:02:27:1593685947_cg-kwd-van-vibhag-ki-karvahi-vid-cg10015_02072020153918_0207f_1593684558_211.jpg)
वन परिक्षेत्र चिल्फी के बीट क्रमांक 329 में गांव के ही लोगों वन भूमि पर अतिक्रमण कर मकान और दुकान बना रहे थे. जैसे ही वन विभाग को मामले की जानकारी हुई. चिल्फी रेंज के वन परिक्षेत्र अधिकारी देवेन्द्र गोड़ JCB मशीन लेकर अपने टीम के साथ मौके पर पहुंचे और तत्काल अतिक्रमणकारियों को वहां से कब्जा हटाने को कहा.
JCB मशीन से तोड़ा गया मकान
अतिक्रमणकारियों ने जब कब्जा हटाने से इनकार किया तो अधिकारी ने अतिक्रमण किए मकान और दुकान को JCB मशीन से तुड़वाया और कब्जा करने वाले तीन लोगों पर कारवाई की.
अधिकारी कर रहे जनप्रतिनिधि का बचाव
जानकारी के मुताबिक कब्जा वाली एक जमीन गांव के ही किसी जनप्रतिनिधि की बताई जा रही है, लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है. वहीं अधिकारी से पूछे जाने पर उसने जनप्रतिनिधि का बचाव करते हुए कब्जा होने से इनकार किया है.
वन विभाग को मिली थी सूचना
चिल्फी वन परिक्षेत्र अधिकारी देवेन्द्र गोड़ ने बताया कि चिल्फी के नेशनल हाईवे-30 से लगे बीट क्रमांक 329 में गांव के चार लोगों ने वन भूमि पर कब्जा कर रहे थे. सूचना मिलते ही टीम बनाकर मौके पर पहुंच कर अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कारवाई करके कब्जा भूमि को खाली कराया गया है.
![Action taken by forest department](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/04:02:29:1593685949_cg-kwd-van-vibhag-ki-karvahi-vid-cg10015_02072020153918_0207f_1593684558_1013.jpg)
एक व्यक्ति ने कब्जे से किया इंकार
उन्होंने आगे कहा कि कब्जा चार लोगों ने किया था, लेकिन वहां तीन लोगों ने ही कब्जा करने की बात स्वीकार की. एक किसी अन्य व्यक्ति ने अपना कब्जा होने से इनकार कर दिया है.
भारतीय वन एवं वन्यप्राणी (सरंक्षण) अधिनियम के तहत कार्रवाई
वन विभाग ने झुमुक यादव, अनुराज गोड़, विमला बाई के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा -33(1) ग और वन्यप्राणी (सरंक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 1972-2(15,16) के तहत कार्रवाई की गई है.