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जशपुर: मत्स्य पालन से आत्मनिर्भर बन रही स्व-सहायता समूह की महिलाएं

जशपुर जिला प्रशासन की ओर से किसानों और महिलाओं की आमदनी बढ़ाने के लिए प्रयास किया जा रहा है. जिसके तहत सिटोंगा गांव के प्रेरणा स्व-सहायता समूह की महिलाएं मछुआ प्रशिक्षण लेकर मछली पालन के जरिये आजीविका संवर्धन कर रहे हैं.

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Published : Jul 18, 2020, 4:52 PM IST

Updated : Jul 19, 2020, 4:18 PM IST

self dependent through Fisheries
मत्स्य पालन से आत्मनिर्भर

जशपुर: किसानों और महिलाओं को आजीविका संवर्धन के कार्याें में आगे बढ़ाने के लिए प्रशासन की ओर से प्रयास किया जा रहा है. मछली पालन के रूप में अतिरिक्त कमाई का साधन उपलब्ध कराने के लिए मत्स्य विभाग द्वारा उनको प्रोत्साहित भी किया जा रहा है. जिससे मछली पालन कर स्व-सहायता समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर भी बनने लगी है.

जशपुर विकासखंड के सिटोंगा गांव के प्रेरणा स्व-सहायता समूह द्वारा साल 2018-19 से 11 महिला ने समूह बनाकर गांव के मनी तालाब को 10 साल के लिए लीज पर लेकर मछली पालन का कार्य शुरू किया. इस प्रयास से उन्हें अच्छी आमदनी भी हुई और धीरे-धीरे उनका व्यवसाय बढ़ने लगा है.

महिलाओं ने लिया मछुआ प्रशिक्षण

समूह की अध्यक्ष समिता खाखा ने बताया कि समूह के सभी सदस्य अनुसूचित जनजाति से आती हैं और आर्थिक रूप से कमजोर हैं. उनको आत्म निर्भर बनाने के लिए समूह में जोड़ा गया है और मत्स्य पालन के लिए प्रोत्साहित किया गया. वर्ष 2019-20 में समूह के सभी सदस्यों को विभागीय योजना के तहत 10 दिवसीय और 3 दिवसीय मछुआ प्रशिक्षण दिया गया. जिसके बाद उनके समूह को शासन द्वारा जाल, आईस बाॅक्स और सिफेक्स दिया गया.

पढ़ें:-मशरूम की खेती से स्व सहायता समूह की महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर

मत्स्य उत्पादन से बदले हालात
स्व-सहायता समूह की महिलाओं को मत्स्य विभाग द्वारा जिला खनिज न्यास निधी (DMF) से अभिसरण के तहत उन्नत किस्म के मत्स्य बीज प्रदाय किया गया. जिससे समूह ने वर्ष 2019 में मनी तालाब से 700 किलोग्राम मछली उत्पादन किया. इससे उन्हें 1 लाख 40 हजार रुपए का आर्थिक लाभ हुआ है. इससे समूह से जुड़ी समस्त महिलाओं ने छत्तीसगढ़ शासन और जिला प्रशासन को धन्यवाद देते हुए कहा कि मत्स्य पालन आय का एक उत्तम साधन है. समूह की सचिव कालेन खाखा ने बताया कि महिलाएं मत्स्य पालन से जुड़कर आर्थिक रूप से सक्षम हो गई हैं और अपने परिवार की आर्थिक मदद कर रही हैं.

जशपुर: किसानों और महिलाओं को आजीविका संवर्धन के कार्याें में आगे बढ़ाने के लिए प्रशासन की ओर से प्रयास किया जा रहा है. मछली पालन के रूप में अतिरिक्त कमाई का साधन उपलब्ध कराने के लिए मत्स्य विभाग द्वारा उनको प्रोत्साहित भी किया जा रहा है. जिससे मछली पालन कर स्व-सहायता समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर भी बनने लगी है.

जशपुर विकासखंड के सिटोंगा गांव के प्रेरणा स्व-सहायता समूह द्वारा साल 2018-19 से 11 महिला ने समूह बनाकर गांव के मनी तालाब को 10 साल के लिए लीज पर लेकर मछली पालन का कार्य शुरू किया. इस प्रयास से उन्हें अच्छी आमदनी भी हुई और धीरे-धीरे उनका व्यवसाय बढ़ने लगा है.

महिलाओं ने लिया मछुआ प्रशिक्षण

समूह की अध्यक्ष समिता खाखा ने बताया कि समूह के सभी सदस्य अनुसूचित जनजाति से आती हैं और आर्थिक रूप से कमजोर हैं. उनको आत्म निर्भर बनाने के लिए समूह में जोड़ा गया है और मत्स्य पालन के लिए प्रोत्साहित किया गया. वर्ष 2019-20 में समूह के सभी सदस्यों को विभागीय योजना के तहत 10 दिवसीय और 3 दिवसीय मछुआ प्रशिक्षण दिया गया. जिसके बाद उनके समूह को शासन द्वारा जाल, आईस बाॅक्स और सिफेक्स दिया गया.

पढ़ें:-मशरूम की खेती से स्व सहायता समूह की महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर

मत्स्य उत्पादन से बदले हालात
स्व-सहायता समूह की महिलाओं को मत्स्य विभाग द्वारा जिला खनिज न्यास निधी (DMF) से अभिसरण के तहत उन्नत किस्म के मत्स्य बीज प्रदाय किया गया. जिससे समूह ने वर्ष 2019 में मनी तालाब से 700 किलोग्राम मछली उत्पादन किया. इससे उन्हें 1 लाख 40 हजार रुपए का आर्थिक लाभ हुआ है. इससे समूह से जुड़ी समस्त महिलाओं ने छत्तीसगढ़ शासन और जिला प्रशासन को धन्यवाद देते हुए कहा कि मत्स्य पालन आय का एक उत्तम साधन है. समूह की सचिव कालेन खाखा ने बताया कि महिलाएं मत्स्य पालन से जुड़कर आर्थिक रूप से सक्षम हो गई हैं और अपने परिवार की आर्थिक मदद कर रही हैं.

Last Updated : Jul 19, 2020, 4:18 PM IST
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