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मिलिए जशपुर के मोटरसाइकिल वाले गुरूजी से, बोर्ड बांधकर गांव में आते हैं बच्चों को पढ़ाने

जशपुर के पैकु गांव के शासकीय प्राथमिक शाला के शिक्षक वीरेन्द्र भगत कोरोना महामारी के समय भी बाइक पर बोर्ड लेकर गांव में बच्चों को पढ़ाने के लिए आते हैं. कोरोना महामारी के कारण सभी स्कूल बंद हैं, जिसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है. बच्चों की पढ़ाई बरकरार रखने के लिए शिक्षक वीरेन्द्र ने उन्हें गांव में आकर ही पढ़ाना शुरू कर दिया.

Virendra of Jashpur comes with a board in his bike to teach children
मिलिए जशपुर के मोटरसायकिल गुरूजी से
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Published : Sep 18, 2020, 8:52 AM IST

जशपुर : कोरोना वायरस की वजह से स्कूल बंद पड़े हैं. ऐसे में बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाया जा रहा है, लेकिन कई ग्रामीण बच्चे मोबाइल नहीं होने की वजह से ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल जशपुर के पैकू गांव के बच्चों का है. कोरोना के कारण स्कूल बंद है, लेकिन खुद स्कूल बच्चों के पास पहुंच रहा है. बच्चों को शिक्षा देने का ऐसा जुनून है कि एक शिक्षक बाइक पर बोर्ड लेकर बच्चों को पढ़ाने आते हैं.

विकासखंड जशपुर के पैकु गांव के शासकीय प्राथमिक शाला के शिक्षक वीरेन्द्र भगत कोरोना महामारी के समय भी बाइक पर बोर्ड लेकर गांव में बच्चों को पढ़ाने के लिए आते हैं. वीरेन्द्र कहते हैं कि कोरोना महामारी के कारण सभी स्कूल बंद हो गए, जिसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा था. यहां के बच्चों के पास न स्मार्टफोन था और न ही इंटरनेट की सुविधा, ऐसे में उनकी पढ़ाई जारी रखना बहुत मुश्किल था. इसलिए उन्होंने बच्चों को गांव में ही आकर पढ़ाना शुरू कर दिया.

पढ़ा हुआ भी भूलते जा रहे थे बच्चे

बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि स्कूल बंद होने के चलते बच्चे दिनभर इधर-उधर घूमते रहते थे और वे पहले का पढ़ा हुआ भी भूलते जा रहे थे. बच्चों के अभिभावक शिक्षकों से पूछते थे कि स्कूल फिर से कब खुलेंगे, ताकि बच्चे स्कूल जाकर पढ़ाई कर सकें. अभिभावकों की इस समस्या को देखते हुए शिक्षक वीरेन्द्र भगत ने तय किया कि अगर बच्चे स्कूल नहीं आ सकते, तो स्कूल को ही बच्चों तक लेकर जाया जाए. उन्होंने इसके लिए गांवों में बच्चों के माता-पिता और स्थानीय जनप्रतिनिधि से चर्चा कर सलाह ली.

पढ़ें: नक्सल पीड़ित परिवार के बच्चों को विधायक रेखचंद जैन ने पहुंचाई मदद, उपलब्ध करवाई किताबें

गांव वाले कोविड-19 के संक्रमण को लेकर डरे हुए थे, लेकिन वे बच्चों की पढ़ाई नहीं होने से भी चिंतित थे, इसलिए उन्होंने भी सहमति दे दी. उसके बाद हर दिन शिक्षक वीरेन्द्र अपनी बाइक पर व्हाइट बोर्ड लेकर गांव में आने लगे और सुरक्षित स्थान पर बच्चों के समूह बनाकर उनकी कक्षाएं लेने लगे. वे हर दिन बच्चों की 3 से 4 कक्षांए लेते हैं. हर समूह में 8-10 बच्चे होते हैं, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके. बच्चों को मास्क और साफ-सफाई से जुड़ी चीजें भी उपलब्ध कराई जा रही हैं.

बाइक पर बोर्ड बांधकर हर मोहल्ले में जाते हैं वीरेन्द्र

शिक्षक वीरेन्द्र एक जगह पर क्लास लेने के बाद अपनी बाइक पर बोर्ड बांधकर अन्य दूसरे मोहल्ले में क्लास लेने चले जाते हैं. इस तरह रोजाना वे आकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं. वीरेन्द्र का कहना है कि वे बच्चों को दैनिक गृहकार्य भी देते हैं. वीरेन्द्र के इस कार्य को शिक्षा विभाग ने भी सराहा है. जिले के अन्य विकासखंडों में भी अब इस प्रकार के शिक्षण कार्य प्रारंभ किए गए हैं.

पढ़ें: दुर्ग: सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी पदों पर भर्ती के लिए युवाओं ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

गौरतलब है कि जिले में शिक्षा विभाग ने बच्चों की शिक्षा को लेकर कई तरह के नवाचार की शुरुआत की है. जिसके अंतर्गत केबल टीवी के माध्यम से पढ़ाई, मोहल्ला स्कूल जैसे विभिन्न योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. जिले में बच्चों की शिक्षा को लेकर शिक्षा विभाग का पूरा अमला निरंतर कार्य कर रहा है.

जशपुर : कोरोना वायरस की वजह से स्कूल बंद पड़े हैं. ऐसे में बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाया जा रहा है, लेकिन कई ग्रामीण बच्चे मोबाइल नहीं होने की वजह से ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल जशपुर के पैकू गांव के बच्चों का है. कोरोना के कारण स्कूल बंद है, लेकिन खुद स्कूल बच्चों के पास पहुंच रहा है. बच्चों को शिक्षा देने का ऐसा जुनून है कि एक शिक्षक बाइक पर बोर्ड लेकर बच्चों को पढ़ाने आते हैं.

विकासखंड जशपुर के पैकु गांव के शासकीय प्राथमिक शाला के शिक्षक वीरेन्द्र भगत कोरोना महामारी के समय भी बाइक पर बोर्ड लेकर गांव में बच्चों को पढ़ाने के लिए आते हैं. वीरेन्द्र कहते हैं कि कोरोना महामारी के कारण सभी स्कूल बंद हो गए, जिसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा था. यहां के बच्चों के पास न स्मार्टफोन था और न ही इंटरनेट की सुविधा, ऐसे में उनकी पढ़ाई जारी रखना बहुत मुश्किल था. इसलिए उन्होंने बच्चों को गांव में ही आकर पढ़ाना शुरू कर दिया.

पढ़ा हुआ भी भूलते जा रहे थे बच्चे

बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि स्कूल बंद होने के चलते बच्चे दिनभर इधर-उधर घूमते रहते थे और वे पहले का पढ़ा हुआ भी भूलते जा रहे थे. बच्चों के अभिभावक शिक्षकों से पूछते थे कि स्कूल फिर से कब खुलेंगे, ताकि बच्चे स्कूल जाकर पढ़ाई कर सकें. अभिभावकों की इस समस्या को देखते हुए शिक्षक वीरेन्द्र भगत ने तय किया कि अगर बच्चे स्कूल नहीं आ सकते, तो स्कूल को ही बच्चों तक लेकर जाया जाए. उन्होंने इसके लिए गांवों में बच्चों के माता-पिता और स्थानीय जनप्रतिनिधि से चर्चा कर सलाह ली.

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गांव वाले कोविड-19 के संक्रमण को लेकर डरे हुए थे, लेकिन वे बच्चों की पढ़ाई नहीं होने से भी चिंतित थे, इसलिए उन्होंने भी सहमति दे दी. उसके बाद हर दिन शिक्षक वीरेन्द्र अपनी बाइक पर व्हाइट बोर्ड लेकर गांव में आने लगे और सुरक्षित स्थान पर बच्चों के समूह बनाकर उनकी कक्षाएं लेने लगे. वे हर दिन बच्चों की 3 से 4 कक्षांए लेते हैं. हर समूह में 8-10 बच्चे होते हैं, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके. बच्चों को मास्क और साफ-सफाई से जुड़ी चीजें भी उपलब्ध कराई जा रही हैं.

बाइक पर बोर्ड बांधकर हर मोहल्ले में जाते हैं वीरेन्द्र

शिक्षक वीरेन्द्र एक जगह पर क्लास लेने के बाद अपनी बाइक पर बोर्ड बांधकर अन्य दूसरे मोहल्ले में क्लास लेने चले जाते हैं. इस तरह रोजाना वे आकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं. वीरेन्द्र का कहना है कि वे बच्चों को दैनिक गृहकार्य भी देते हैं. वीरेन्द्र के इस कार्य को शिक्षा विभाग ने भी सराहा है. जिले के अन्य विकासखंडों में भी अब इस प्रकार के शिक्षण कार्य प्रारंभ किए गए हैं.

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गौरतलब है कि जिले में शिक्षा विभाग ने बच्चों की शिक्षा को लेकर कई तरह के नवाचार की शुरुआत की है. जिसके अंतर्गत केबल टीवी के माध्यम से पढ़ाई, मोहल्ला स्कूल जैसे विभिन्न योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. जिले में बच्चों की शिक्षा को लेकर शिक्षा विभाग का पूरा अमला निरंतर कार्य कर रहा है.

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