जशपुर: छत्तीसगढ़ के जशपुर में भाईदूज का पारंपरिक त्योहार धूमधाम से मनाया गया. भाईदूज का त्योहार अनोखी परंपराओं और रीति-रिवाजों के लिए जाना जाता है. जिले में रहने वाले एक विशेष समुदाय के बीच इस पर्व को लेकर पुरानी मान्यता चली आ रही है. इस दिन यम के द्वार को कूटते हुए बहनों ने भाइयों की लंबी उम्र की कामना की. बहनों ने गोधन पूजा कर अपने भाइयों के लिए खुशियों की कामना भी की.
अनोखी परंपरा का निर्वहन करते हुए बहनों ने पहले भाइयों को मरने का श्राप दिया, उसके बाद प्रायश्चित करते हुए अपनी जीभ पर कांटा चुभाया. यहां भाईदूज मनाने की अनूठी परंपरा है. जिले में बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के लोगों की संख्या ज्यादा है. यहां भाई दूज के पर्व में भी दूसरे प्रदेशों की परंपरा की छाप स्पष्ट रूप से दिखती है. सुबह उठते ही बहनें अपने भाइयों को खूब खरी-खोटी सुनाती हैं. यहां तक की भाई को मरने का श्राप देती हैं. उसके बाद गोधन पूजा की जाती है, पूजा के दौरान ही अपनी जीभ पर रेंगनी (एक प्रकार की स्थानीय वनस्पति)कांटा चुभा कर प्रायश्चित किया जाता है.
कांटा चुभाने की मान्यता
श्राप देने और जीभ पर कांटा चुभा कर प्रायश्चित करने के पीछे एक ऐसी मान्यता छिपी हुई है, जो भाई-बहन के प्रेम को अटूट और अक्षुण्ण बनाने का काम करती हैं. श्राप देने के बारे में मान्यता यह है कि किसी समय में भगवान यम और यमी कोई ऐसे व्यक्ति को यमलोक पहुंचाने के उद्देश्य से मृत्यु लोक में विचरण करते रहते हैं. जिसे उसकी बहन ने गाली या श्राप न दिया हो. उस समय एक भाई ऐसा भी था, जिसकी बहन ने उसे कभी गाली या फिर श्राप नहीं दिया था. बहन उससे बहुत स्नेह करती थी. यम और यमी की नजर उस भाई पर पड़ जाती है.
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भगवान यम उस भाई की आत्मा को साथ ले जाने के लिए उसके शरीर को निष्प्राण बनाने के प्रयास में जुट जाते हैं. इसकी भनक बहन को लग जाती है. बहन अपने भाई को बचाने की पूरी कोशिश करती है. बहन अपने भाई को बिना वजह खूब गाली और श्राप देती हैं. जिससे यम और यमी के मनसूबे अधूरे रह जाते हैं. फिर भी यम उस भाई का प्राण लेने का पूरा प्रयास करते है. पहले दीवार गिरा कर मारने का प्रयास, खाना खाते समय पाटा के नीचे सर्प भेज कर, उसके बाद बिस्तर में बिच्छु डाल कर मारने की कोशिश की जाती है. लेकिन हर बार बहन के प्यार की वजह से भाई का बाल भी बांका नहीं होता.
बहनें गाती हैं पारंपरिक गीत
सुबह होते ही आंगन में या घर के बाहर गोबर से यम लोक का चित्र बनाया जाता है. उसमें यम और यमी, सांप, बिच्छु, दीवार का चित्र बनाया जाता है. पूजा-अर्चना करने के बाद अपने भाई की सुरक्षा के लिए बहनें यम लोक में मौजूद भाई को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों की कुटाई करती हैं. जिसे गोधन कूटना कहा जाता है. कूटते वक्त बहनें, 'अवरा कुटीला भवरा कुटीला, कुटीला यम के दुआर, कुटीला भईया के दुश्मन,चारू पहर दिन रात' जैसे पारंपरिक गीत गाती हैं. मान्यता है कि ऐसी कुटाई करने से यम लोक के निवासी और यम-यमी भाग खड़े होते है. यम लोक की कुटाई करने के बाद यम लोक में मुसल को रख कर भाई को पार कराते है. भाईदूज में बहनें अपने भाइयों को चना, लौंग, इलायची और सुपारी प्रसाद के रूप में खिलाती हैं. साथ ही मिठाइयां और भोजन भी कराती हैं.