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जशपुर में खिड़की का ग्रिल तोड़ आश्रय गृह से दो लड़कियां फरार

जशपुर में एक खुला आश्रय गृह में संरक्षित दो बालिका खिड़की का ग्रिल तोड़ कर भाग निकलीं. सूचना पर पुलिस टीम लापता दोनों बालिकाओं की खोज में जुटी हुई है.

Two protected girls escaped from the shelter home
आश्रय गृह से लड़कियां फरार
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Published : Sep 6, 2022, 11:17 PM IST

जशपुर: खुला आश्रय गृह में संरक्षित दो बालिका खिड़की का ग्रिल तोड़ कर भाग निकली. सूचना पर पुलिस टीम लापता हुई दोनों बालिकाओं की खोज में जुटी (Two protected girls escaped from the shelter home) हुई है. जिला कल्याण अधिकारी शेखर यादव ने बताया कि "एक दिन पहले ही चाइल्ड हेल्प लाइन के माध्यम से दोनों बालिका को खुला आश्रय गृह में लाया गया था. दोनों बालिका घर में स्वजनों को बिना बताएं निकल गई थीं. पतासाजी के दौरान उन्हें संरक्षित किया गया था.



पूजा में व्यस्त कर्मचारियों को दिया चकमा: बीती रात 15 और 17 साल की दो बालिकाओं ने आश्रय गृह के बाथरूम के बगल में स्थित एक खिड़की के ग्रिल को तोड़कर फरार हो गई. इस घटना के दौरान आश्रय गृह में एक प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर, आउट रिच वर्कर और एक गार्ड की ड्यूटी लगाई गई थी." उन्होनें बताया कि "आश्रय गृह में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की गई है. ड्यूटीरत कर्मचारी इसी पूजा की तैयारी में व्यस्त थे. इसका फायदा उठाते हुए दोनों बालिकाओं ने ग्रिल को तोड़ा. घटना की सूचना पर कोतवाली प्रभारी रविशंकर तिवारी और जिला स्तरीय समिति आश्रय गृह पहुंची. उन्होंने यहां सुरक्षा व्यवस्था की पड़ताल की है."

आश्रय गृह से लड़कियां फरार


यह भी पढ़ें: जशपुर में थाली लोटा चोरी के शक में हत्या


पहले भी हुई है फरार होने की घटना: इससे पहले भी बाल संप्रेषण गृह से 5 बच्चों की निकल भागने की घटना हो चुकी है. इस घटना में विधि से संघर्षरत बालकों ने संप्रेषण गृह की खिड़की में लगी हुई ग्रिल को लोहा काटने वाली आरी से काटा था. खुला आश्रय गृह में हुई घटना के बाद इस बात पर आश्चर्य जताया जा रहा है. ETV BHARAT से चर्चा में जिला कल्याण अधिकारी यादव का कहना था कि "खुला आश्रय गृह और बाल संप्रेषण गृह में सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था की गई है."


यह है खुला आश्रय गृह: जिले में खुला आश्रय गृह वर्ष 2015 में शुरू किया गया है. जिला कल्याण अधिकारी ने बताया कि "इस आश्रय गृह में 18 वर्ष से कम बालक और बालिकाओं को आश्रय दिया जाता है. तो किसी काम से शहर आई हो और समय से घर न लौट पा रहें हों. इसके अतिरिक्त चाइल्ड हेल्पलाइन, सीडब्लूसी और सखी वन स्टॉप सेंटर के निर्देश पर भी यह बालिकाओं को संरक्षित किया जाता है. स्वयं से यहां आने वाली बालिकाओं को 24 घंटे के अंदर सीडब्लूसी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करना होता है. कोतवाली प्रभारी रविशंकर तिवारी ने बताया कि "घटना की सूचना पर बालिकाओं की खोजबीन शुरू कर दी गई है. जल्द ही उन्हें संरक्षित कर सीडब्लूसी को सौंप दिया जाएगा."

जशपुर: खुला आश्रय गृह में संरक्षित दो बालिका खिड़की का ग्रिल तोड़ कर भाग निकली. सूचना पर पुलिस टीम लापता हुई दोनों बालिकाओं की खोज में जुटी (Two protected girls escaped from the shelter home) हुई है. जिला कल्याण अधिकारी शेखर यादव ने बताया कि "एक दिन पहले ही चाइल्ड हेल्प लाइन के माध्यम से दोनों बालिका को खुला आश्रय गृह में लाया गया था. दोनों बालिका घर में स्वजनों को बिना बताएं निकल गई थीं. पतासाजी के दौरान उन्हें संरक्षित किया गया था.



पूजा में व्यस्त कर्मचारियों को दिया चकमा: बीती रात 15 और 17 साल की दो बालिकाओं ने आश्रय गृह के बाथरूम के बगल में स्थित एक खिड़की के ग्रिल को तोड़कर फरार हो गई. इस घटना के दौरान आश्रय गृह में एक प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर, आउट रिच वर्कर और एक गार्ड की ड्यूटी लगाई गई थी." उन्होनें बताया कि "आश्रय गृह में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की गई है. ड्यूटीरत कर्मचारी इसी पूजा की तैयारी में व्यस्त थे. इसका फायदा उठाते हुए दोनों बालिकाओं ने ग्रिल को तोड़ा. घटना की सूचना पर कोतवाली प्रभारी रविशंकर तिवारी और जिला स्तरीय समिति आश्रय गृह पहुंची. उन्होंने यहां सुरक्षा व्यवस्था की पड़ताल की है."

आश्रय गृह से लड़कियां फरार


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पहले भी हुई है फरार होने की घटना: इससे पहले भी बाल संप्रेषण गृह से 5 बच्चों की निकल भागने की घटना हो चुकी है. इस घटना में विधि से संघर्षरत बालकों ने संप्रेषण गृह की खिड़की में लगी हुई ग्रिल को लोहा काटने वाली आरी से काटा था. खुला आश्रय गृह में हुई घटना के बाद इस बात पर आश्चर्य जताया जा रहा है. ETV BHARAT से चर्चा में जिला कल्याण अधिकारी यादव का कहना था कि "खुला आश्रय गृह और बाल संप्रेषण गृह में सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था की गई है."


यह है खुला आश्रय गृह: जिले में खुला आश्रय गृह वर्ष 2015 में शुरू किया गया है. जिला कल्याण अधिकारी ने बताया कि "इस आश्रय गृह में 18 वर्ष से कम बालक और बालिकाओं को आश्रय दिया जाता है. तो किसी काम से शहर आई हो और समय से घर न लौट पा रहें हों. इसके अतिरिक्त चाइल्ड हेल्पलाइन, सीडब्लूसी और सखी वन स्टॉप सेंटर के निर्देश पर भी यह बालिकाओं को संरक्षित किया जाता है. स्वयं से यहां आने वाली बालिकाओं को 24 घंटे के अंदर सीडब्लूसी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करना होता है. कोतवाली प्रभारी रविशंकर तिवारी ने बताया कि "घटना की सूचना पर बालिकाओं की खोजबीन शुरू कर दी गई है. जल्द ही उन्हें संरक्षित कर सीडब्लूसी को सौंप दिया जाएगा."

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