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जशपुर: खतरे में सती उद्यान तालाब का अस्तित्व, सूखते जल स्रोतों ने बढ़ाई शहरवासियों की चिंता - धर्मीक आस्था का केन्द्र

जहां सती उद्यान तालाब का उचित रख-रखाव और सफाई नहीं होने से इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. वहीं इसे सहेजने की सरकारी कोशिशों में निजी मिलकीयत आड़े आ रही है. इधर, शहर के जलस्तर में लगातार गिरावट और सूखते जल स्रोतों ने शहरवासियों की चिंता बढ़ा दी है.

Sati garden pond
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Published : Apr 8, 2019, 1:49 PM IST

Updated : Apr 8, 2019, 5:56 PM IST

जशपुर: शहर के रियासतकालीन सती उद्यान तालाब का अस्तित्व खतरे में है. तालाब जलकुंभियों और लोगों द्वारा फेंके गए कचरे से पूरी तरह से ढक चुका है. यह तालाब धर्मीक आस्था का केन्द्र होने के साथ शहर की पहचान है, लेकिन इसके संरक्षण के लिए किसी का कोई ध्यान नहीं है.

जहां सती उद्यान तालाब का उचित रख-रखाव और सफाई नहीं होने से इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. वहीं इसे सहेजने की सरकारी कोशिशों में निजी मिलकीयत आड़े आ रही है. इधर, शहर के जलस्तर में लगातार गिरावट और सूखते जल स्रोतों ने शहरवासियों की चिंता बढ़ा दी है.

तालाब की सफाई का जिम्मा नगर पालिका पर है, लेकिन नगर पालिका के अधिकारियों ने कभी इसे गंभीरता से नहीं लिया. अब नगर पालिका के अधिकारियों का कहना है कि, तालाब को बचाने के लिए मास्टर प्लान बनाया गया है. मुख्य नगर पालिका अधिकारी बसंत बुनकर ने बताया कि, सरोवर धरोहर योजना के तहत तालाब को साफ किया जाएगा. इसके लिए नगर पालिका अपने वित्तीय संसाधनों का उपयोग करेगी. साथ ही तालाब का गहरीकरण भी किया जाएगा. इसके लिए पहले तालाब के पानी को बाहर निकालने का प्लान है. जिसपर काम मई महीने में शुरू किया जाएगा.

बसंत बुनकर ने बताया कि, जरूरत पड़ने पर कलेक्टर ने जिला खनिज न्यास निधि से राशि उप्लब्ध कराने का आश्वासन दिया है. बसंत कुमार ने बताया कि, वर्तमान में नगर पालिका के पास दो सरकारी तालाब है. इन तालाबों का रख-रखाव सरोवर धरोहर योजना के तहत किया जा रहा है. वहीं शहर के देउल बंध और सती उद्यान तालाब निजी संपत्ति वाले तालाब हैं, जिसका जीर्णोद्धार के लिए संबंधित तालाब के मालिकों से चर्चा की जा रही है.

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जशपुर: शहर के रियासतकालीन सती उद्यान तालाब का अस्तित्व खतरे में है. तालाब जलकुंभियों और लोगों द्वारा फेंके गए कचरे से पूरी तरह से ढक चुका है. यह तालाब धर्मीक आस्था का केन्द्र होने के साथ शहर की पहचान है, लेकिन इसके संरक्षण के लिए किसी का कोई ध्यान नहीं है.

जहां सती उद्यान तालाब का उचित रख-रखाव और सफाई नहीं होने से इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. वहीं इसे सहेजने की सरकारी कोशिशों में निजी मिलकीयत आड़े आ रही है. इधर, शहर के जलस्तर में लगातार गिरावट और सूखते जल स्रोतों ने शहरवासियों की चिंता बढ़ा दी है.

तालाब की सफाई का जिम्मा नगर पालिका पर है, लेकिन नगर पालिका के अधिकारियों ने कभी इसे गंभीरता से नहीं लिया. अब नगर पालिका के अधिकारियों का कहना है कि, तालाब को बचाने के लिए मास्टर प्लान बनाया गया है. मुख्य नगर पालिका अधिकारी बसंत बुनकर ने बताया कि, सरोवर धरोहर योजना के तहत तालाब को साफ किया जाएगा. इसके लिए नगर पालिका अपने वित्तीय संसाधनों का उपयोग करेगी. साथ ही तालाब का गहरीकरण भी किया जाएगा. इसके लिए पहले तालाब के पानी को बाहर निकालने का प्लान है. जिसपर काम मई महीने में शुरू किया जाएगा.

बसंत बुनकर ने बताया कि, जरूरत पड़ने पर कलेक्टर ने जिला खनिज न्यास निधि से राशि उप्लब्ध कराने का आश्वासन दिया है. बसंत कुमार ने बताया कि, वर्तमान में नगर पालिका के पास दो सरकारी तालाब है. इन तालाबों का रख-रखाव सरोवर धरोहर योजना के तहत किया जा रहा है. वहीं शहर के देउल बंध और सती उद्यान तालाब निजी संपत्ति वाले तालाब हैं, जिसका जीर्णोद्धार के लिए संबंधित तालाब के मालिकों से चर्चा की जा रही है.

Intro:जशपुर शहर के ह्र्दय स्थल में स्थित रियासत कालीन तालाब धरोहर सती उद्यान तालाब धर्मीक आस्था का केन्द्र अपना अस्तित्व खोने के कगार पर है, पारंपरिक जल स्रोतों की अपेक्षा से शहर सहित पूरे जिले में जल संकट का गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
शहर के शक्ति उद्यान तालाब का उचित रखरखाव और सफाई ना होने की वजह से इसके अस्तित्व अस्तित्व खतरे के बादल मंडरा रहे हैं इसे सहेजने के लिए सरकारी कोशिशों में निजी मलकियत आड़े आ रही है वहीं जल स्रोतों के सूख जाने और तेजी से गिरते हुए फूल जल स्तर से लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें खींचने लगी है।
शहर के प्राचीन देऊल बंध ओर सती उद्यान तालाब पूर्वर्ती रियासत काल की धरोहर होने के 7 यह धार्मिक गतिविधियों और लोगों की आस्था का केंद्र है इन दोनों तालाबों की प्रतिवर्ष सूर्य पूजा महोत्सव छठ में श्रद्धालुओं का ता ता उमड़ता है , इसके साथ ही सती उद्यान तालाब के किनारे ही ब्रिज गंगा मौजूद है इसी तालाब के तट पर दशहरा पूर्व उत्सव के कई धार्मिक पारंपरिक कार्यों का निर्वहन किया जाता है बावजूद इसके इन तालाब की सूची को बचाने के लिए ना तो प्रशासन गंभीर नजर आ रहा है और ना ही नगरवासी जागरूकता का परिचय दे रहे हैं तालाब में नगर वासियों द्वारा डाले जा रहे कचरे की वजह से यह तालाब कचरा पेटी में तब्दील हो होता चला जा रहा है बाजार से निकलने वाला पॉलीथिन प्लास्टिक के डिब्बे शराब की बोतलें इन सब तालाब में स्थिति को तेजी से खतरा बना रही है भारी मात्रा में जाम हुई मिट्टी जलकुंभी कीचड़ से इन तालाब की गहराई और जल भराव क्षमता नाम मात्र की रह गई है हर साल गर्मियों के मौसम में पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे संस्थाओं के साथ सामाजिक कार्यकर्ता इसकी सफाई के लिए अभियान चलाते हैं लेकिन जलकुंभी की वजह से इस तालाब की स्थिति सुधरने की जगह साल दर साल बिगड़ती जा रही है।

वशी इन तालाबों के अस्तित्व आतिफ खतरे कतर इनकी बचाव के लिए नगर नगर पालिका परिषद में मास्टर प्लान तैयार किया है मुख्य नगर पालिका अधिकारी बसंत बुनकर ने बताया कि तालाब के पानी को पूरी तरह से खाली कर इस में जमा हुई गार्ड और जलकुंभी को साफ किया जाएगा इसके बाद इसकी गहरीकरण का काम भी किया जाएगा उन्होंने बताया कि कार्य के लिए नगर पालिका अपने वित्तीय संसाधनों का उपयोग करेगी इसके साथ ही खनिज न्यास निधि से भी राशि उपलब्ध कराने का भरोसा कलेक्टर निलेश कुमार महादेव शिव सागर ने दिया है उन्होंने बताया कि नगर पालिका के पास दो सरकारी तालाब उपलब्ध है इन तालाबों का रखरखाव सरोवर धरोहर योजना के तहत किया जा रहा है शहर के देउल बंध और सती उद्यान तालाब के संबंध में उन्होंने कहा कि यह दोनों ही निजी संपत्ति वाले तालाब हैं तालाब के जीर्णोद्धार के लिए संबंधित स्वामी से चर्चा की जा रही है उम्मीद है इसकी स्वीकृति वे देदेंगे।

बाइट रामप्रसाद पाण्डे नागरिक ( सफेद शर्ट)
बाइट नितिन राय नागरिक (कुर्सी में बैठे हुवे)
बाइट सरद चौरसिया (हल्की पिंक शर्ट)
बाइट बसंत बुनकर सीएमओ( पिलो शर्ट)


Body:तालाब


Conclusion:
Last Updated : Apr 8, 2019, 5:56 PM IST
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