जशपुर: मृत्यु के बाद सांसों की डोर भले ही थम जाए, लेकिन आंखों की रोशनी किसी दूसरे के जीवन को हमेशा रोशन करती है. ऐसा ही एक मामला जिले से सामने आया है, जहां एक नर्स ने अपना नेत्रदान किया है.
बताया जा रहा है कि शहर के विवेकानंद कॉलोनी की रहने वाली हिल्दा एक्का जीवन भर सेवा भाव से सरकारी अस्पताल में सेवा देती रही. उनकी आखिरी इच्छा थी कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी आंखें दान कर दी जाए, अपनी मां की आखिरी इच्छा के अनुरूप हिल्दा के बेटे आशीष एक्का ने आज अपनी मां की आंखें दान कर दी, इन आंखों से दो व्यक्तियों के जीवन में उजाला लाया जा सकेगा, हिल्दा जाते-जाते भी अंधेरी जिंदगी में उजाला ही नहीं समाज की सोच में भी बदलाव कर गई है.
हिल्दा की अंतिम इच्छा हुई पूरी
हिल्दा एक्का ने नेत्रदान करके जिलेवासियों को नेत्रदान करने का संदेश दिया है. नेत्रदान का राह दिखाने वाली दिवंगत हिल्दा एक्का जिले के विभिन्न चिकित्सालयों में सेवा देती रही है. उन्होंने अपने जीवनकाल के दौरान नेत्रदान करने का निर्णय लेते हुए अपनी इस अंतिम इच्छा से परिजनों को अवगत करा दिया था. बीमारी से जूझते हुए हिल्दा ने शुक्रवार को शहर के विवेकानंद कॉलोनी स्थित अपने निवास में अंतिम सांस ली थी.
नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी करने का अनुरोध किया
इसके बाद अपनी मां की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए बेटे आशीष एक्का ने जिला चिकित्सालय को इसकी सूचना देते हुए नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी करने का अनुरोध किया था. इस पर नेत्र विशेषज्ञ डॉ क्रेसेंनसिया लकड़ा के नेतृत्व में जिला चिकित्सालय के चिकित्सकों की टीम ने मृतिका के आईबाल को निकाल कर इसे सुरक्षित किया और रायपुर के आई बैंक में भेज दिया.
हिल्दा ने नेत्रदान के लिए संकल्प पत्र भरा था
हिल्दा के बेटे आशीष एक्का ने बताया कि उनकी मां जशपुर के सरकारी अस्पताल में नर्स थी. उसी दौरान यहां पदस्थ नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर संजय गोयल की प्रेरणा में उनकी मां ने नेत्रदान के लिए संकल्प पत्र भरा था. संकल्प पत्र भरने के बाद उन्होंने अपने बेटे सहित सभी परिजनों को इसकी जानकारी देते हुए मृत्यु के बाद संकल्प को अंतिम इच्छा मान कर पूरा करने को कहा था.
बीमारी की वजह से कई अंग हो चुके थे डेमेज
आशीष ने बताया नेत्र के साथ उनकी मां शरीर के कीडनी, लीवर सहित अन्य अंग भी दान करना चाहती थी, लेकिन बीमारी की वजह से ये अंग डेमेज हो चुके थे. अपनी मां के इस कदम का अनुसरण अब आशीष स्वयं भी करना चाहते है. आशीष ने बताया कि नेत्रदान के लिए उन्होंने संकल्प पत्र भर दिया है.
नेत्रदान कर दूसरे के जीवन को रोशन करें
बता दें कि जिले में नेत्रदान का यह पहला मामला दर्ज किया गया है. नेत्रदान से जुड़े गलत धारणा के कारण लोग आगे नहीं आते है. उम्मीद की जा रही है कि नर्स हिल्दा ने जो राह दिखाई है उससे लोग मृत्यु के बाद नेत्रदान कर दूसरे के जीवन को रोशन करने के लिए आगे आएंगे. इसकी शुरूआत भी होती दिखाई दे रही है.