जशपुर: शहर के बीचो-बीच दो परिवार खुले आसमान के नीचे जिंदगी जीने को मजबूर हैं. इन परिवारों के आशियाने के एक हिस्से को प्रशासनिक अधिकारियों ने शासकीय जिला ग्रंथालय के विस्तारण का हवाला देते हुए तोड़ दिया था.
आठ दशक से रह रहा परिवार
करीब 80 से 90 साल से यहां पर घर बनाकर रह रहे परिवार के घर के एक हिस्से को सरकारी बुलडोजर ने एक झटके में ढेर कर दिया. सिस्टम के नुमाइंदे प्रभावितों के पुर्नवास की जल्द व्यवस्था करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन बरसात के मौसम नजदीक देखकर इन परिवारों की नींद उड़ी हुई है.
प्रशासन ने कही ये बात
वहीं प्रशासन के अफसरों का कहना है कि 'सरकारी जमीन पर गजेन्द्र यादव और शंकर यादव ने अवैध कब्जा किया हुआ था'. बहरहाल अतिक्रमण हटाए जाने की कार्रवाई के बाद बेघर हुए इन दो परिवार के पुर्नवास की व्यवस्था अब तक नहीं की गई है. गजेन्द्र यादव ने बताया कि बारिश के मौसम में घर के बाहर पड़ा उनका घरेलू सामान बेकार हो गया.
दो कमरे में रहने को मजबूर परिवार
आलम यह है कि परिवार दो छोटे-छोटे कमरों में सात बच्चों को लेकर रहने को मजबूर है. आर्थिक तंगी से गुजर रहे इस परिवार के पास इतने रुपये भी नहीं है कि, वो किराए पर मकान ले सके.
परिवार का दावा, नहीं मिला नोटिस
पीड़ित परिवार के सदस्यों का कहना है कि 'उन्हें प्रशासन की ओर से किसी प्रकार का नोटिस नहीं मिला था. अधिकारियों ने मौखिक तौर पर उन्हें एक ओर का कुछ हिस्सा हटाए जाने की जानकारी दी थी. सरकारी निर्माण कार्य होने की वजह से उन्होंने इस पर सहमति देते हुए सहयोग करने का वादा भी किया था, लेकिन अचानक नगर पालिका और राजस्व विभााग के अमले ने उनके पूरे कच्चे मकान को ध्वस्त कर दिया. उन्हें घरेलू सामान को हटाने का मौका तक नहीं दिया. वहीं कार्रवाई के दौरान मौके पर पहुंचे अधिकारी नोटिस दिए जाने का दावा कर रहे थे.
पुनर्वास के लिए की गई तैयारी
वहीं नगर पालिका CMO बसंत कुमार बुनकर का कहना है कि 'अतिक्रमण हटाए जाने से पहले ही प्रभावित हो रहे परिवारों के पुर्नवास की तैयारी कर ली गई थी. उन्होंने दावा किया कि फिलहाल, बस स्टैंड में स्थित रैन बसेरा में इन्हें आश्रय दिया गया है. इसके साथ ही परिवार को जमीन उपलब्ध कराकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान उपलब्ध कराने की कार्रवाई की जा रही है.
नेताओं ने भी नहीं ली सुध
आशियाना उजाड़े जाने से खुले आसमान के नीचे अपने बिखरे हुए सामान के बीच दिन गुजार रहे इन परिवारों के आंखों से आंसू पोछने में भी चुनावी आचार संहिता आड़े आ रही है.
आदर्श आचार संहिता आई आड़े
बताया जा रहा है कि आदर्श अचार संहिता की वजह से अब तक न तो सत्तापक्ष और ना ही विपक्ष के किसी भी जनप्रतिनिधि इन प्रभावित परिवारों के बीच पहुंचा है और न ही बीच शहर में हुई इस प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर किसी भी प्रकार का विरोध किया गया. आलम यह है कि पक्ष और विपक्ष के जनप्रतिनिधि इस मामले पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं.