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विश्व आदिवासी दिवस पर आयोजन रोकने के लिए राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन

9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर होने वाले आयोजन पर रोक लगाने के लिए मांग की है. अपनी मांग को लेकर अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच के लोगों ने राज्यपाल के नाम जशपुर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है.

राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन
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Published : Aug 9, 2019, 9:59 AM IST

Updated : Aug 9, 2019, 11:15 AM IST

जशपुरः अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच ने 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर होने वाले आयोजन पर रोक लगाने के लिए मांग की है. अपनी मांग को लेकर अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच के लोगों ने राज्यपाल के नाम जशपुर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित मूल आदिवासी दिवस राष्ट्र को तोड़ने वाला वैश्विक षड्यंत्र है.

राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन

9 अगस्त को क्यों मनाया जाता है आदिवासी दिवस
अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच का कहना है कि ब्रिटिश शासन के दौरान विश्व के अधिकतर देश को अंग्रेजों ने अपना उपनिवेश बनाकर शासन किया था. जब कोपहाटन युद्ध में ब्रिटेन की सत्ता बिर्जिनिया प्रान्त में स्थापित हुई तो 9 अगस्त के दिन ही धर्म विशेष का प्रचार प्रसार शुरू हुआ. इस दिन को यादगार बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इस दिन को आदिवासी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई.

आयोजन पर रोक लगाने की मांग
अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि भारत के मूल निवासी आदिवसियों को माना जाता है. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस घोषित कर प्रचार किया गया. इस कारण इस दिन विश्व आदिवासी दिवस का उत्सव मनाया जाता है. जिसमे वे आदिवासी भी शामिल रहते हैं जो अपना धर्मांतरण कर चुके हैं. इस आयोजन से जन जातीय समाज के बीच संघर्ष की स्थिति निर्मित हो रही है. अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच ने कहा कि एक विशेष समुदाय द्वारा करमा उत्सव मनाना, पत्थलगढ़ी के माध्यम से जनजातीय समाज को तोड़ना और अपने समुदाय में शामिल करने का षड्यंत्र है. अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा मंच ने 9 अगस्त के विश्व आदिवासी दिवस का बहिष्कार करते हुए चेतावनी दी है.

जशपुरः अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच ने 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर होने वाले आयोजन पर रोक लगाने के लिए मांग की है. अपनी मांग को लेकर अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच के लोगों ने राज्यपाल के नाम जशपुर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित मूल आदिवासी दिवस राष्ट्र को तोड़ने वाला वैश्विक षड्यंत्र है.

राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन

9 अगस्त को क्यों मनाया जाता है आदिवासी दिवस
अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच का कहना है कि ब्रिटिश शासन के दौरान विश्व के अधिकतर देश को अंग्रेजों ने अपना उपनिवेश बनाकर शासन किया था. जब कोपहाटन युद्ध में ब्रिटेन की सत्ता बिर्जिनिया प्रान्त में स्थापित हुई तो 9 अगस्त के दिन ही धर्म विशेष का प्रचार प्रसार शुरू हुआ. इस दिन को यादगार बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इस दिन को आदिवासी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई.

आयोजन पर रोक लगाने की मांग
अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि भारत के मूल निवासी आदिवसियों को माना जाता है. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस घोषित कर प्रचार किया गया. इस कारण इस दिन विश्व आदिवासी दिवस का उत्सव मनाया जाता है. जिसमे वे आदिवासी भी शामिल रहते हैं जो अपना धर्मांतरण कर चुके हैं. इस आयोजन से जन जातीय समाज के बीच संघर्ष की स्थिति निर्मित हो रही है. अखिल भारतीय जन जातीय सुरक्षा मंच ने कहा कि एक विशेष समुदाय द्वारा करमा उत्सव मनाना, पत्थलगढ़ी के माध्यम से जनजातीय समाज को तोड़ना और अपने समुदाय में शामिल करने का षड्यंत्र है. अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा मंच ने 9 अगस्त के विश्व आदिवासी दिवस का बहिष्कार करते हुए चेतावनी दी है.

Intro:जशपुर 9 अगस्त को मनाए जाने वाले मूल आदिवासी दिवस के आयोजन पर रोक लगाने के लिए अखिल भारतीय जनजातिय सुरक्षा मंच द्वारा मांग की गई है जनजातिय सुरक्षा मंच ने संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित मूल आदिवासी दिवस को राष्ट्र को तोड़ने का वैश्विक षड्यंत्र बताया है, छतीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल के नाम जशपुर कलेक्टर को आवेदन सौंपा गया है


Body:संयुक्तराष्ट्र संघ द्वारा घोषित मूल आदिवासी दिवस का  अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा मंच ने विरोध किया है छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल के नाम ज्ञापत देकर 9 अगस्त के आयोजन पर रोक लगाने की मांग की गई है, ज्ञापन में लिखा गया है कि पूर्व काल से ही इंग्लैण्ड द्वारा विश्व के अधिकतर देशों को अपना उपनिवेश बनाकर शासन किया गया वहीँ प्राकृतिक सम्पदा का दोहन कर उनका शोषण भी किया गया। इस अभियान का विरोध अमेरिका समेत कई देशों ने किया ओर ब्रिटेन कोपहाटन युद्ध में ब्रिटेन की सत्ता बिर्जिनिया प्रान्त में स्थापित होने के कारन वहां एक धर्म विशेष को प्रचार प्रसार करने का अवसर प्राप्त हुआ वह दिन था 9 अगस्त जिसे यादगार बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मूल आदिवासी दिवस घोषित किया गया।

ज्ञापन में लिखा गया है कि भारत में इसे मूल आदिवसी दिवस के रुप में जाना जाता है इसमें भी षड्यंत्र की बात जनजातीय सुरक्षा मंच ने कही है, भारत में मूल निवासियों को आदिवासी कहा जाता है अतः भारत में यह प्रचार किया गया कि विश्व आदिवासी दिवस के नाम से उत्सव मनाया जाए ताकि भारत के जनजातीय समाज के लोगों को शब्दों का भाव आसानी से समझ आ सके।

इस आयोजन से जनजातीय समाज के बीच संघर्ष की स्थिति निर्मित हो रही है एक विशेष समुदाय द्वारा करमा उत्सव मनाना,पत्थरगढ़ी के माध्यम से जनजातीय समाज को तोडना और अपने समुदाय में शामिल करना एक षड्यंत्र है


Conclusion:अखिल भारतीय जनजाति सुरक्षा मंच ने 9 अगस्त के विश्व आदिवासी दिवस का विरोध करते हुए बहिष्कार किये जाने की चेतावनी दी है वहीँ हिंदुस्तान की एकता,अखंडता व धार्मिक सहिष्णुता के साथ राष्ट्रवाद की रक्षा के लिए "विश्व आदिवासी दिवस" के आयोजन पर रोक लगाने की मांग 
की है।

बाईट 1- लालदेव भगत (सचिव जनजातीय सुरक्षा मंच)
तरुण प्रकाश शर्मा
जशपुर
Last Updated : Aug 9, 2019, 11:15 AM IST
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