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दर्द से तड़प रहा था पहाड़ी कोरवा, एंबुलेंस नहीं मिली तो कंधे पर लादकर 10 किमी ले गए परिजन - 108 एंबुलेंस

एंबुलेंस नहीं मिलने की वजह से परिजन घायल पहाड़ी कोरवा को दस किलोमीटर तक कंधे पर लादकर अस्पाल ले गए.

कंधे पर लादकर किया 10 किलोमीटर का सफर
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Published : Jul 18, 2019, 6:15 PM IST

Updated : Jul 18, 2019, 6:58 PM IST


जशपुर: जिले में एक बार फिर स्वास्थ्य सुविधाओं को मुंह चिढ़ाती हुई और सरकारी दावों की पोल खोलती हुई तस्वीरें सामने आई हैं, जहां एक घायल पहाड़ी कोरवा को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नसीब नहीं हुई, जिसके बाद मजबूर परिजन उसे कंधे पर लादकर 10 किलोमीटर दूर अस्पताल ले गए.

एंबुलेंस नहीं मिली तो कंधे पर लादकर 10 किमी ले गए परिजन


मामला जिले के बगीचा विकासखंड के सन्ना पाठ के ब्लादरपाठ ग्राम का है. यहां रहने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा रुईला और जितवा पर गांव के बंधु कोरवा ने किसी बात को लेकर टांगी से हमला कर दिया. हमले में चाचा रुईला और भतीजा जितवा बुरी तरह घायल हो गए.


कंधे पर लादकर किया 10 किलोमीटर का सफर
गंभीर रूप से घायल रुईला इलाज के लिए 108 एम्बुलेंस 108 की मदद नहीं मिली. काफी देर इंतजार करने के बाद जब मदद नहीं आई तो गांववालों ने पारंपरिक झलंगी भार की मदद से कंधे पर लादकर करीब 10 किलोमीटर का सफर किया, जिसके बाद वे थाना पहुंचे और पुलिस की मदद से घायल को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए भर्ती कराया गया.


'स्वास्थ्य सेवाओं की है कमी'
समाजिक कार्यकर्ता सत्य प्रकाश तिवारी का कहना है कि 'आदिवासी बहूल जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है, जिसके कारण आज घायल पहाड़ी कोरवा इलाज के लिए 10 किलोमीटर कंधे पर लादकर अस्पताल ले जाया गया.


'सूचना मिलती तो जशपुर से भेजते एंबुलेंस'
स्वास्थ्य अधिकारी एसएन पैकरा का कहना है कि, मामला गंभीर है और इसमें साफ तौर पर लापरवाही नजर आ रही है'. उनका कहना है कि 'सन्ना में 102 ओर 108 की सेवाएं हैं, जिसमे 108 की खराब है, अगर समय पर मुझे सूचना मिलती तो जशपुर से 108 एंबुलेंस भेजी जा सकती थी.


खोखले साबित हो रहे दावे
बहरहाल सरकार विकास के लाख दावे क्यों न कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ ओर ही बयां कर रही है. जिले के पाठ क्षेत्र में पहाड़ी कोरवा किस तरह बदहाली की जिंदगी जी रहे हैं, इसे घटना ने सामेन ला दिया है. 10 किलोमीटर तक किसी मरीज को कंधे पर ढोकर लाना पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा करता है.


जशपुर: जिले में एक बार फिर स्वास्थ्य सुविधाओं को मुंह चिढ़ाती हुई और सरकारी दावों की पोल खोलती हुई तस्वीरें सामने आई हैं, जहां एक घायल पहाड़ी कोरवा को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नसीब नहीं हुई, जिसके बाद मजबूर परिजन उसे कंधे पर लादकर 10 किलोमीटर दूर अस्पताल ले गए.

एंबुलेंस नहीं मिली तो कंधे पर लादकर 10 किमी ले गए परिजन


मामला जिले के बगीचा विकासखंड के सन्ना पाठ के ब्लादरपाठ ग्राम का है. यहां रहने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा रुईला और जितवा पर गांव के बंधु कोरवा ने किसी बात को लेकर टांगी से हमला कर दिया. हमले में चाचा रुईला और भतीजा जितवा बुरी तरह घायल हो गए.


कंधे पर लादकर किया 10 किलोमीटर का सफर
गंभीर रूप से घायल रुईला इलाज के लिए 108 एम्बुलेंस 108 की मदद नहीं मिली. काफी देर इंतजार करने के बाद जब मदद नहीं आई तो गांववालों ने पारंपरिक झलंगी भार की मदद से कंधे पर लादकर करीब 10 किलोमीटर का सफर किया, जिसके बाद वे थाना पहुंचे और पुलिस की मदद से घायल को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए भर्ती कराया गया.


'स्वास्थ्य सेवाओं की है कमी'
समाजिक कार्यकर्ता सत्य प्रकाश तिवारी का कहना है कि 'आदिवासी बहूल जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है, जिसके कारण आज घायल पहाड़ी कोरवा इलाज के लिए 10 किलोमीटर कंधे पर लादकर अस्पताल ले जाया गया.


'सूचना मिलती तो जशपुर से भेजते एंबुलेंस'
स्वास्थ्य अधिकारी एसएन पैकरा का कहना है कि, मामला गंभीर है और इसमें साफ तौर पर लापरवाही नजर आ रही है'. उनका कहना है कि 'सन्ना में 102 ओर 108 की सेवाएं हैं, जिसमे 108 की खराब है, अगर समय पर मुझे सूचना मिलती तो जशपुर से 108 एंबुलेंस भेजी जा सकती थी.


खोखले साबित हो रहे दावे
बहरहाल सरकार विकास के लाख दावे क्यों न कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ ओर ही बयां कर रही है. जिले के पाठ क्षेत्र में पहाड़ी कोरवा किस तरह बदहाली की जिंदगी जी रहे हैं, इसे घटना ने सामेन ला दिया है. 10 किलोमीटर तक किसी मरीज को कंधे पर ढोकर लाना पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा करता है.

Intro:जशपुर जिले की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था फिर से एक बार उजागर हुई है। जहाँ घायल पहाड़ी कोरवा को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस नही मिली ओर घायल पहाड़ी कोरवा को 10 किलोमीटर कंधे पर ढोकर लाया गया इलाज के लिए अस्पताल लाया गया, शासन की तमाम योजनाओं की पोल खोली यह तस्वीर आप के सामने है

Body:दरअसल पूरा मामला जिले के बगीचा विकास खण्ड के सन्ना पाठ क्षेत्र के ब्लादरपाठ ग्राम का है जहां रहने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा रुईला और जितवा पर गांव के बंधु कोरवा ने किसी बात को लेकर टांगी से हमला कर दिया।इस हमले में चाचा रुईला व भतीजा जितवा बुरी तरह घायल हो गए।इस घटना में रुईला को टंगी से गंभीर चोट आई ओर वह बुरी तरह घायल हो गया,  जिसके ईलाज के लिए एम्बुलेंस 108 व किसी अन्य वाहन की मदद नहीं मिली। जिसके बाद गांव के ही रहे वाले बसंत व सुनील पारंपरिक झलंगी भार की मदद से कंधे पर ढोकर लगभग 10 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर सन्ना थाना पंहुचे।जहां से उसे सन्ना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है।


इस गम्भीर मामले समाजिक कार्यक्रम सत्य प्रकाश तिवारी ने कहा कि आदिवासी बहुल जिले में स्वास्थ्य सेवाओ की कमी है जिसके कारण आज घायल पहाड़ी कोरवा इलाज के लिए 10 किलोमीटर कंधे पर भार सहारे धोकर लाया गया है,

जिला एवं स्वास्थ्य अधिकार एसएन पेंकर ने कहाँ कि यह गंभीर मामला है ओर साफ लापरवाही है उन्होंने कहा कि सन्ना में 102 ओर 108 की सेवाएं है जिसमे 108 की खराब है, अगर समय पर अगर मुझे सूचना मिलती तो 108 जशपुरसे भिजवाया जा सकता है।

Conclusion:बहरहाल सरकार विकास के लाख दावे कर ले पर जमीनी हकीकत कुछ ओर ही बयां कर रही है कि जिले के पाठ क्षेत्र में पहाड़ी कोरवा किस तरह बदहाली की जिंदगी जी रहे हैं। घटना में घायल पहाड़ी कोरवा रुईला को बेहतर इलाज के लिए बगीचा स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवा दिया गया है। वहीं 10 किलोमीटर किसी मरीज को कंधे पर ढोकर लाना पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान उठाता है

बाईट 1- सत्यप्रकाश तिवारी (सामाजिक कार्यकर्ता)

बाईट 2- एस एस पैंकरा (सीएमएचओ)


तरुण प्रकाश शर्मा
जशपुर
Last Updated : Jul 18, 2019, 6:58 PM IST
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