ETV Bharat / state

SPECIAL: आइए छत्तीसगढ़ के इस आदर्श गांव, जहां पेड़ों पर कुल्हाड़ी नहीं चलती, जहां कोई शराब नहीं पीता

जशपुर: जिले के कनमोरा गांव के ये लोग पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिए एक जगह पर जुटे हैं. यहां एक ग्राम सभा का आयोजन किया गया है. जिसमें अगले सात दिनों के लिए जंगलों की सुरक्षा के लिए एक टीम को दायित्व सौंपा जाएगा. जिस टीम को पेड़-पौधों को बचाने का काम सौंपा जाएगा, वो अगले सात दिनों तक पेड़ों की सुरक्षा के लिए जंगलों की निगरानी करेंगे. एक टीम में 10 लोगों को शामिल किया जाएगा. जो आस-पास के जंगलों में बंटकर पेड़-पौधों को तस्करों से बचाएंगे.

जशपुर
author img

By

Published : Feb 8, 2019, 11:50 PM IST

छत्तीसगढ़ में वनों की अवैध कटाई से पर्यावरण पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. पर्यावरण को बचाने के लिए इस गांव के लोग बीते 30 वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं. कनमोर गांव के लोग बताते हैं कि वर्ष 2013 से गांव में पुलिस नहीं आई है. यहां के लोगों का कहना है कि 2013 से इस गांव में कभी किसी के बीच झगड़ा नहीं हुआ है.

वीडियो

undefined
दावा है कि बीते डेढ़ साल से गांव में किसी ने शराब को हाथ तक नहीं लगाया है. गांव के सरपंच इंद्रजीत भगत का कहना है 'जंगल उजड़ जाने से उन लोगों की जिंदगी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है. खेती-बाड़ी से लेकर पानी पर इसका प्रभाव पड़ रहा है.' इंद्रजीत भगत ने बताया कि 'बीते 30 वर्षों से वो सीमित जंगलों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उनके गांव के आसपास हरियाली बनी हुई है.
कनमोरा गांव की रहने वाली लक्ष्मी बताती हैं कि गांव में शराब के कारण आये दिन मारपीट और झगड़े होते रहते थे. लेकिन अब उनके गांव में शराब नहीं बनाई जाती है. लक्ष्मी बताती हैं कि 'जब गांव में शराब बनाई जाती थी, तब गांव कोई आदमी काम नहीं करता था. जिससे लोगों को आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ता था.
आर्थिक तंगी से जूझते गांव की महिलाओं ने मिलकर बैठक की और जन जागरूकता के लिए रैली निकाली. जिसके बाद गांव में शराब बेचना और बनाना दोनों बंद हो गया. गांव की महिलाओं ने जंगलों को बचाने के पीछे कहती हैं कि 'हमारे घर मिट्टी और लकड़ी से बने हुए हैं, अगर जंगल को आज हम काट कर खत्म कर देंगे तो आने वाले भविष्य में घर बनाने के लिए हम लकड़ी कहां से लाएंगे.'


छत्तीसगढ़ में वनों की अवैध कटाई से पर्यावरण पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. पर्यावरण को बचाने के लिए इस गांव के लोग बीते 30 वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं. कनमोर गांव के लोग बताते हैं कि वर्ष 2013 से गांव में पुलिस नहीं आई है. यहां के लोगों का कहना है कि 2013 से इस गांव में कभी किसी के बीच झगड़ा नहीं हुआ है.

वीडियो

undefined
दावा है कि बीते डेढ़ साल से गांव में किसी ने शराब को हाथ तक नहीं लगाया है. गांव के सरपंच इंद्रजीत भगत का कहना है 'जंगल उजड़ जाने से उन लोगों की जिंदगी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है. खेती-बाड़ी से लेकर पानी पर इसका प्रभाव पड़ रहा है.' इंद्रजीत भगत ने बताया कि 'बीते 30 वर्षों से वो सीमित जंगलों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उनके गांव के आसपास हरियाली बनी हुई है.
कनमोरा गांव की रहने वाली लक्ष्मी बताती हैं कि गांव में शराब के कारण आये दिन मारपीट और झगड़े होते रहते थे. लेकिन अब उनके गांव में शराब नहीं बनाई जाती है. लक्ष्मी बताती हैं कि 'जब गांव में शराब बनाई जाती थी, तब गांव कोई आदमी काम नहीं करता था. जिससे लोगों को आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ता था.
आर्थिक तंगी से जूझते गांव की महिलाओं ने मिलकर बैठक की और जन जागरूकता के लिए रैली निकाली. जिसके बाद गांव में शराब बेचना और बनाना दोनों बंद हो गया. गांव की महिलाओं ने जंगलों को बचाने के पीछे कहती हैं कि 'हमारे घर मिट्टी और लकड़ी से बने हुए हैं, अगर जंगल को आज हम काट कर खत्म कर देंगे तो आने वाले भविष्य में घर बनाने के लिए हम लकड़ी कहां से लाएंगे.'


Intro:डीएफओ के रवैये से नाराज वन कर्मियीं ने घेरा दफ्तर...

सुकमा. मैदानी अमला और कार्यालयीन कर्मचारियों के प्रति रवैया अलग-अलग होने और वन कर्मचारियों की मांगो को लगातार नजरन्दाज किये जाने से नाराज वन कर्मचारियीं ने बुधवार को वन मंडल अधिकारी कृष्ण कुमार बढ़ाई के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

डीएफओ को तानाशाह रवैया और मनमानी का आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ कर्मचारी संघ के बैनर तले कमर्चारियों ने रैली निकाली। वन काष्ठागार से कर्मचारियों ने रैली का आयोजन किया। जो नगर के मुख्य मार्ग से होते हुए डीएफओ दफ्तर पहुचा। यहां कार्यालय का घेराव करते हुए डीएफओ के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। 8 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सुकमा एसडीओ को सौंपते हुए 18 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया।

मैदानी कर्मचारियों के प्रति डीएफओ का रवैया ठीक नही...
छग वन कर्मचारियों संघ के संभागीय अध्यक्ष मोहम्मद सलीम ने कहा कि डीएफओ केआर बढ़ाई का मैदानी और कार्यालयीन कर्मचारियों के प्रति अलग-अलग व्यवहार रहता है। वहीं कर्मचारियों की जायज मांगो को वनमंडल अधिकारी लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।

नियम विरूद्ध कर्मचारियों का स्थानान्तरण...
छग वन कर्मचारियों संघ के प्रांतीय अध्यक्ष अमित झा ने कहा कि डीएफओ केआर बढ़ाई द्वारा नियम विरुद्ध और द्वेषभावना से प्रेरित होकर कर्मचारियों का स्थानांतरण किया जा रहा है जबकि ट्रांसफर के लिए प्रधान वन संरक्षक रायपुर की अनुशंसा जरूरी है। सुकमा वनमंडल में भारी भर्रासायी है। अपनी निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए वन कर्मचारियों का स्थानंतरण किया जा रहा है।

ड्यूटी करने के बाद भी वेतन कटौती की जा रही...
छग वन कर्मचारियों संघ के सुकमा जिला अध्यक्ष एसएल एडला ने कहा कि विगत एक वर्ष से वनमंडल अधिकारी द्वारा तानाशाह रवैया अपनाया जा रहा है। ड्यूटी करने के बाद भी कर्मचारियों को अनुपस्थित बताते हुए वेतन की कटौति की जा रही है। अनिल कुमार तेता और माड़वी नंदा को नियम विरुद्ध निलंबित कर बहाल किया गया है। उक्त दोनों कर्मचारियों के निलंबन अवधि का वेतन पारित नही किया गया है।





Body:gherav


Conclusion:gherav
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.