जशपुर: जिले में हिंदू देवी-देवताओं की प्राचीन प्रतिमा चोरी की घटना की जांच अब डीएसपी रैंक के पुलिस अधिकारी करेंगे. जांच रिपोर्ट संबंधित थाना क्षेत्र के न्यायालय में पेश किया जाएगा. हाईकोर्ट के इस फैसले पर याचिकाकर्ता काफी खुश हैं. कोर्ट के इस फैसले के बाद याचिकाकर्ताओं को आशा है कि आरोपियों पर कार्रवाई की जाएगी.
2020 में हुई थी मूर्तियों की चोरी: शुक्रवार को जशपुर के वनवासी कल्याण आश्रम के सभागार में प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया. वार्ता के दौरान याची मनिजर राम, राजकपूर भगत और अरविंद भगत मौजूद थे. पत्रकार वार्ता के दौरान जानकारी दी गई कि साल 2020 में जिले के बागबहार थाना क्षेत्र के रेड़े गांव, आस्ता थाना क्षेत्र के कांची गांव और धरधरी गांव से देवी-देवताओं की प्रतिमा गायब हो गई थी. इन मामलों में स्थानीय लोगों ने संबंधित थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. हालांकि पुलिस प्रशासन ने शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की. मामला तूल पकड़ने पर दबाव में आते हुए बागबहार और आस्ता पुलिस ने अज्ञात आरोपितों के खिलाफ चोरी का मामला दर्ज किया था. जबकि शिकायत में ग्रामीणों ने प्रतिमा चोरी करने वाले संदेहियों के नाम जिक्र आवेदन में किया था.
जांच की मॉनिटरिंग बिलासपुर रेंज के आईजी करेंगे: वहीं, मामले में पुलिस की जांच में लेटलतीफी को देखते हुए सरहुल सरना पूजा समिति के तीनों याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई. साथ ही प्रतिमा चोरी के सभी मामलों की जांच सीबीआई से कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया था. मामले में दोनों पक्षों के तर्क को सुनने के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 8 अगस्त को आदेश दिया. आदेश के अनुसार डीएसपी रैंक के अधिकारी की ओर से इस पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट संबंधित थाने को देने के लिए कहा गया है. इसके साथ ही इस रिपोर्ट को न्यायालय में पेश करने का निर्देश पुलिस प्रशासन को दिया गया है. प्रतिमा चोरी के इस मामले की जांच की मॉनिटरिंग बिलासपुर रेंज के आईजी करेगें.
उच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार कार्रवाई करते हुए एसडीओपी कुनकुरी को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया गया है. जांच रिपोर्ट संबंधित न्यायालय के समक्ष निर्धारित समय सीमा के अंदर जमा कर दिया जाएगा. -उमेश कश्यप, एएसपी, जशपुर
ऐसे शुरू हुआ विवाद: प्रतिमा चोरी का यह विवाद साल 2020 में जिला प्रशासन की ओर से संग्राहालय निर्माण के साथ ही शुरू हुआ था. याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि जिला प्रशासन ने बिना पंचायत की सहमति लिए ही प्रतिमाओं को ग्रामीण अंचल से उठाने की कार्रवाई की. इसके लिए जनपद पंचायत के सीईओ और तहसीलदार जैसे जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे थे. लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद उन्हें खाली हाथ वापस लौटना पड़ा. इसके ठीक दूसरे दिन बागबहार के रेड़े और आस्ता थाना क्षेत्र के धरधरी और कांची से प्राचीन प्रतिमा गायब हो गई थी. इन कीमती प्रतिमाओं की चोरी में अंर्तराष्ट्रीय तस्करों का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है.