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जशपुर: किसानों ने आम सहित अन्य फलों से कमाए लाखों रुपये, उद्यानिकी विभाग ने की मदद

जशपुर जिले के उद्यानिकी विभाग की मदद से किसानों को लाखों रुपये का फायदा हो रहा है. पत्थलगांव के सुरेशपुर गांव में पांच किसानों को खेती करने के लिए प्रशासन की ओर से शासकीय राशि प्रदान की गई, जिसके बाद वे सामुदायिक फलोद्यान लगाने और उनके बीच अंतरवर्ती खेती के रुप में सब्जियों के उत्पादन कर रहे हैं.

Mango farming in Chhattisgarh
जशपुर में आम की खेती
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Published : Sep 29, 2020, 8:53 PM IST

जशपुर: पत्थलगांव विकासखंड का सुरेशपुर में एक किसान खेती से लाखों रुपये मुनाफा कमा रहा है. इसमें उनके अन्य साथी किसान भी उनके साथ खेती कर रहे हैं, जिसका लाभ उन्हें भी हो रहा है. सुरेशपुर के मदनलाल खेती करके अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं. पहले वे अपनी लगभग ढाई हेक्टेयर की पड़ती (बंजर) भूमि पर कुछ भी उगा नहीं पा रहे थे. इसी बीच एक दिन उन्होंने पंचायत कार्यालय में सहसा गांव के ग्राम रोजगार सहायक ज्ञानेश कुमार डनसेना से इस संबंध में बातचीत की थी, उन्हें क्या पता था कि उनकी यह बातचीत उनके पड़ती जमीन के दिन बदल देगी.

Benefits of farming
खेती से लाखों कमा रहे हैं किसान

ज्ञानेश ने उन्हें उद्यानिकी विभाग के माध्यम से सामुदायिक फलोद्यान लगाने और उनके बीच अंतरवर्ती खेती के रुप में सब्जियों के उत्पादन का उपाय बताया. मदनलाल ने पंचायत की सलाह पर तुरंत अपनी कृषि भूमि से लगते अन्य कृषकों बुध कुंवर, मोहन, मनबहाल और हेमलता से संपर्क किया और उन्हें मिलकर सामुदायिक फलोद्यान से होने वाले फायदे के बारे में बताया. क्योंकि इन चारों किसानों की आधे से लेकर एक हेक्टेयर तक की भूमि मदनलाल की जमीन से लगती थी और लगभग सभी की यह भूमि पड़ती होने के कारण अनुपयोगी थी. इसलिए सभी ने इसके लिए अपनी सहमति दे दी.

आम के करीब 1300 पौधे लगाए गए

इसके बाद मदनलाल को ग्राम सभा के प्रस्ताव के आधार पर 9.48 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति के साथ सामुदायिक फलोद्यान रोपण का मार्ग प्रशस्त हो गया. उद्यानिकी विभाग की योजना का लाभ लेकर मदनलाल सहित पांचों किसानों की कृषि जमीन को मिलाकर 4.600 हेक्टेयर भूमि के एक चक पर आम का सामुदायिक फलोद्यान रोपण का कार्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से कराया गया. उस समय 7 लाख 97 हजार रुपये की लागत से आम की दशहरी प्रजाति के 1 हजार 300 पौधे रोपे गए थे. यह कार्य इन पांचों हितग्राहियों के परिवार के सदस्यों सहित कुल 67 जॉबकार्डधारी श्रमिकों ने मिलकर पूरा किया. योजना से इन्हें 3 हजार 617 मानव दिवस रोजगार के लिए 5 लाख 75 हजार 863 रुपये का मजदूरी भुगतान किया गया.

साढ़े 3 लाख रुपये की अतिरिक्त कमाई

जिले के उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक राम अवध सिंह भदौरिया बताते हैं कि इस आम फलोद्यान से इन्हें पिछले 3 सालों में आमों की बिक्री से लगभग 5 लाख 70 हजार रुपये से अधिक की आमदनी हुई है. वहीं दूसरी ओर अंतरवर्ती फसल के रुप में इन्होंने बरबट्टी, भिण्डी, करेला, मिर्च, टमाटर, प्याज और आलू की सब्जियों का उत्पादन लिया है. इन सब्जियों को स्थानीय और पत्थलगांव के बाजारों में बेचकर इन्होंने लगभग साढ़े 3 लाख रुपये की अतिरिक्त कमाई भी की है. पांचों किसानों में मदनलाल काफी सक्रिय हैं. वे फलोद्यान में अपने हिस्से की भूमि के साथ-साथ बाकी चारों किसानों की भूमि पर रोपे गए पेड़ों की शुरु से देखभाल करते आए हैं.

फल व्यापारी खेत से ले जाते हैं फल

किसान मदनलाल कहते हैं कि इस आम के बगीचे में उद्यानिकी विभाग ने हमारी बहुत मदद की है. विभाग ने यहां राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना से ड्रिप इरिगेशन सिस्टम, सब्जी क्षेत्र विस्तार (प्याज), पैक हाउस, मल्चिंग शीट और वर्मी कम्पोस्ट यूनिट के रुप में विभागीय अनुदान सहायता उपलब्ध कराई है. हमारी परस्पर एकजुटता और योजनाओं के तालमेल से विकसित हुए इस फलोद्यान से तीन ही सालों में ही हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी हुई है. आमों की अच्छी क्वालिटी होने से पत्थलगांव विकासखंड के फल व्यापारी सीधे खेत पर पहुंचकर हमसे इनकी थोक में खरीदी कर रहे हैं. आम के उत्पादन से अब तक 5 लाख रुपये से अधिक की आमदनी इन्हें हो चुकी है. वहीं सब्जियों की अंतरवर्ती खेती करते हुए वे अतिरिक्त लाभ भी अर्जित कर रहे हैं. अब वे अपने गांव में फल उत्पादक के रुप में भी पहचाने जाने लगे हैं.

जशपुर: पत्थलगांव विकासखंड का सुरेशपुर में एक किसान खेती से लाखों रुपये मुनाफा कमा रहा है. इसमें उनके अन्य साथी किसान भी उनके साथ खेती कर रहे हैं, जिसका लाभ उन्हें भी हो रहा है. सुरेशपुर के मदनलाल खेती करके अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं. पहले वे अपनी लगभग ढाई हेक्टेयर की पड़ती (बंजर) भूमि पर कुछ भी उगा नहीं पा रहे थे. इसी बीच एक दिन उन्होंने पंचायत कार्यालय में सहसा गांव के ग्राम रोजगार सहायक ज्ञानेश कुमार डनसेना से इस संबंध में बातचीत की थी, उन्हें क्या पता था कि उनकी यह बातचीत उनके पड़ती जमीन के दिन बदल देगी.

Benefits of farming
खेती से लाखों कमा रहे हैं किसान

ज्ञानेश ने उन्हें उद्यानिकी विभाग के माध्यम से सामुदायिक फलोद्यान लगाने और उनके बीच अंतरवर्ती खेती के रुप में सब्जियों के उत्पादन का उपाय बताया. मदनलाल ने पंचायत की सलाह पर तुरंत अपनी कृषि भूमि से लगते अन्य कृषकों बुध कुंवर, मोहन, मनबहाल और हेमलता से संपर्क किया और उन्हें मिलकर सामुदायिक फलोद्यान से होने वाले फायदे के बारे में बताया. क्योंकि इन चारों किसानों की आधे से लेकर एक हेक्टेयर तक की भूमि मदनलाल की जमीन से लगती थी और लगभग सभी की यह भूमि पड़ती होने के कारण अनुपयोगी थी. इसलिए सभी ने इसके लिए अपनी सहमति दे दी.

आम के करीब 1300 पौधे लगाए गए

इसके बाद मदनलाल को ग्राम सभा के प्रस्ताव के आधार पर 9.48 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति के साथ सामुदायिक फलोद्यान रोपण का मार्ग प्रशस्त हो गया. उद्यानिकी विभाग की योजना का लाभ लेकर मदनलाल सहित पांचों किसानों की कृषि जमीन को मिलाकर 4.600 हेक्टेयर भूमि के एक चक पर आम का सामुदायिक फलोद्यान रोपण का कार्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से कराया गया. उस समय 7 लाख 97 हजार रुपये की लागत से आम की दशहरी प्रजाति के 1 हजार 300 पौधे रोपे गए थे. यह कार्य इन पांचों हितग्राहियों के परिवार के सदस्यों सहित कुल 67 जॉबकार्डधारी श्रमिकों ने मिलकर पूरा किया. योजना से इन्हें 3 हजार 617 मानव दिवस रोजगार के लिए 5 लाख 75 हजार 863 रुपये का मजदूरी भुगतान किया गया.

साढ़े 3 लाख रुपये की अतिरिक्त कमाई

जिले के उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक राम अवध सिंह भदौरिया बताते हैं कि इस आम फलोद्यान से इन्हें पिछले 3 सालों में आमों की बिक्री से लगभग 5 लाख 70 हजार रुपये से अधिक की आमदनी हुई है. वहीं दूसरी ओर अंतरवर्ती फसल के रुप में इन्होंने बरबट्टी, भिण्डी, करेला, मिर्च, टमाटर, प्याज और आलू की सब्जियों का उत्पादन लिया है. इन सब्जियों को स्थानीय और पत्थलगांव के बाजारों में बेचकर इन्होंने लगभग साढ़े 3 लाख रुपये की अतिरिक्त कमाई भी की है. पांचों किसानों में मदनलाल काफी सक्रिय हैं. वे फलोद्यान में अपने हिस्से की भूमि के साथ-साथ बाकी चारों किसानों की भूमि पर रोपे गए पेड़ों की शुरु से देखभाल करते आए हैं.

फल व्यापारी खेत से ले जाते हैं फल

किसान मदनलाल कहते हैं कि इस आम के बगीचे में उद्यानिकी विभाग ने हमारी बहुत मदद की है. विभाग ने यहां राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना से ड्रिप इरिगेशन सिस्टम, सब्जी क्षेत्र विस्तार (प्याज), पैक हाउस, मल्चिंग शीट और वर्मी कम्पोस्ट यूनिट के रुप में विभागीय अनुदान सहायता उपलब्ध कराई है. हमारी परस्पर एकजुटता और योजनाओं के तालमेल से विकसित हुए इस फलोद्यान से तीन ही सालों में ही हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी हुई है. आमों की अच्छी क्वालिटी होने से पत्थलगांव विकासखंड के फल व्यापारी सीधे खेत पर पहुंचकर हमसे इनकी थोक में खरीदी कर रहे हैं. आम के उत्पादन से अब तक 5 लाख रुपये से अधिक की आमदनी इन्हें हो चुकी है. वहीं सब्जियों की अंतरवर्ती खेती करते हुए वे अतिरिक्त लाभ भी अर्जित कर रहे हैं. अब वे अपने गांव में फल उत्पादक के रुप में भी पहचाने जाने लगे हैं.

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