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Elephant school in jashpur : हाथी मानव संघर्ष कम करने के लिए लगी अनोखी पाठशाला

जशपुर के सरकरा वनपरिक्षेत्र में मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए हाथी की पाठशाला नाम से एक सेमीनार का आयोजन किया गया. यह आयोजन पांच जनवरी को किया गया. Forest Officer Jitendra Upadhyayने 'हाथी की पाठशाला' नामक एक संगोष्ठी का आयोजन Elephant school started to reduce human conflict किया . पिछले कुछ महीनों में इस क्षेत्र में हाथियों और मानव बस्तियों के बीच द्वंद्व बढ़ा है. इसलिए, इस संगोष्ठी का आयोजन स्थानीय लोगों को हाथी के व्यवहार पैटर्न और चार पैरों वाले जानवर से बचने के तरीकों के बारे में सिखाने और शिक्षित करने के लिए किया गया jashpur elephant pathshala था.

Elephant school in jashpur
हाथियों से बचने के लिए प्रशिक्षण
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Published : Jan 6, 2023, 8:36 PM IST

हाथियों से बचने के लिए प्रशिक्षण

जशपुर : जशपुर में हाथियों के साथ कैसे पेश आए ये सिखाने के लिए हाथी की पाठशाला (Elephant school in jashpur) लगाई गई है. पाठशाला में हाथी मित्र दल , वन प्रबंधन समिति के लोग हाथी प्रबंधन की पढ़ाई कर रहे हैं. इस हाथी पाठशाला (Elephant school) का उद्घाटन वनमण्डलाधिकारी जशपुर जितेंद्र उपाध्याय ने किया. ये पाठशाला तपकरा रेंज के सरकरा गांव में लगाई गई.इस गांव के आसपास के क्षेत्र हाथी प्रभावित है.अक्सल हाथियों के गांवों में घुसने और ग्रामीणों से संघर्ष की खबरें आम बात है. कई बार ये देखा गया है कि ग्रामीण हाथियों से बचने के लिए ऐसे तरीकों का इस्तेमाल करते हैं जिनसे हाथी और भी ज्यादा उग्र हो जाते हैं.इसी द्वंद्व को रोकने के लिए इस तरह की पाठशाला का आयोजन हुआ है.

क्यों जशपुर में लगाई गई हाथी पाठशाला : जशपुर जिला छत्तीसगढ़ में हाथियों का प्रवेशद्वार माना जाता (Sarkara Forest area) है. यहां 1986 में झारखण्ड बॉर्डर से हाथी पहली बार यहां आये. फिर 90 के दशक में ओडिशा बॉर्डर क्रॉस करके जशपुर जिले में एंट्री कर गए. तब से आज तक बीते 36 सालों में हाथियों का विचरण क्षेत्र बढ़ने के साथ ही साथ यहां हाथियों की आबादी भी बढ़ती गई. स्थिति यह हो गई है कि जशपुर ही नहीं सरगुजा भी ह्यूमन –एलिफेंट कांफ्लिक्ट जोन यानी मानव-हाथी संघर्ष क्षेत्र बन गया है.जिसके कारण हाथी और मानव दोनों का ही जीवन संघर्षमय हो चुका है.

ये भी पढ़ें- जशपुर में करंट की चपेट में आकर हाथी की मौत

कितने दिनों का है ट्रेनिंग कैंप : हाथी मित्र दल सरकरा (Hathi Mitra Dal Sarkara) के अनुरोध पर यहां छत्तीसगढ़ में पहली बार हाथी की पाठशाला (Elephant school) लगाई गई. दो दिवसीय कार्यशाला में हाथी विशेषज्ञ प्रभात दुबे मास्टर ट्रेनरों को ट्रेनिंग देने पहुंचे हैं. इसके बाद मास्टर ट्रेनर जिले भर में हाथी पाठशाला (Elephant school) लगाकर मित्र दलों को प्रशिक्षित करेंगे.इस प्रशिक्षण के बाद हाथी मित्र दलों को ये समझने में आसानी होगी कि हाथियों से किस तरीके से निपटा जाए.भविष्य में हाथियों के आने पर हर एक गांव में ये हाथी मित्र पहले से ही उपायों के बारे में जानकर लोगों और हाथियों के बीच के संघर्ष को कम करने का काम करेंगे.

हाथियों से बचने के लिए प्रशिक्षण

जशपुर : जशपुर में हाथियों के साथ कैसे पेश आए ये सिखाने के लिए हाथी की पाठशाला (Elephant school in jashpur) लगाई गई है. पाठशाला में हाथी मित्र दल , वन प्रबंधन समिति के लोग हाथी प्रबंधन की पढ़ाई कर रहे हैं. इस हाथी पाठशाला (Elephant school) का उद्घाटन वनमण्डलाधिकारी जशपुर जितेंद्र उपाध्याय ने किया. ये पाठशाला तपकरा रेंज के सरकरा गांव में लगाई गई.इस गांव के आसपास के क्षेत्र हाथी प्रभावित है.अक्सल हाथियों के गांवों में घुसने और ग्रामीणों से संघर्ष की खबरें आम बात है. कई बार ये देखा गया है कि ग्रामीण हाथियों से बचने के लिए ऐसे तरीकों का इस्तेमाल करते हैं जिनसे हाथी और भी ज्यादा उग्र हो जाते हैं.इसी द्वंद्व को रोकने के लिए इस तरह की पाठशाला का आयोजन हुआ है.

क्यों जशपुर में लगाई गई हाथी पाठशाला : जशपुर जिला छत्तीसगढ़ में हाथियों का प्रवेशद्वार माना जाता (Sarkara Forest area) है. यहां 1986 में झारखण्ड बॉर्डर से हाथी पहली बार यहां आये. फिर 90 के दशक में ओडिशा बॉर्डर क्रॉस करके जशपुर जिले में एंट्री कर गए. तब से आज तक बीते 36 सालों में हाथियों का विचरण क्षेत्र बढ़ने के साथ ही साथ यहां हाथियों की आबादी भी बढ़ती गई. स्थिति यह हो गई है कि जशपुर ही नहीं सरगुजा भी ह्यूमन –एलिफेंट कांफ्लिक्ट जोन यानी मानव-हाथी संघर्ष क्षेत्र बन गया है.जिसके कारण हाथी और मानव दोनों का ही जीवन संघर्षमय हो चुका है.

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कितने दिनों का है ट्रेनिंग कैंप : हाथी मित्र दल सरकरा (Hathi Mitra Dal Sarkara) के अनुरोध पर यहां छत्तीसगढ़ में पहली बार हाथी की पाठशाला (Elephant school) लगाई गई. दो दिवसीय कार्यशाला में हाथी विशेषज्ञ प्रभात दुबे मास्टर ट्रेनरों को ट्रेनिंग देने पहुंचे हैं. इसके बाद मास्टर ट्रेनर जिले भर में हाथी पाठशाला (Elephant school) लगाकर मित्र दलों को प्रशिक्षित करेंगे.इस प्रशिक्षण के बाद हाथी मित्र दलों को ये समझने में आसानी होगी कि हाथियों से किस तरीके से निपटा जाए.भविष्य में हाथियों के आने पर हर एक गांव में ये हाथी मित्र पहले से ही उपायों के बारे में जानकर लोगों और हाथियों के बीच के संघर्ष को कम करने का काम करेंगे.

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