जशपुर: जिले में वन भूमि अधिकार पट्टा योजना के तहत 6 हजार हेक्टेयर से अधिक वन भूमि का वितरण की तैयारी है. योजना के तहत बनाए गए नियमों के अनुसार वन भूमि के रकबे में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं होगा. सरकारी रिकाॅर्ड में दर्ज वन भूमि का आंकड़ा यथावत बना रहेगा. पट्टा वितरण और हितग्राहियों के दावों के निराकरण के लिए 3 अधिकारियों की एक समिति बनाई गई है. इसके जरिए सभी मामलों के निपटारे किए जाएंगे. समिति में कलेक्टर, वनमंडलाधिकारी और सहायक आयुक्त शामिल किए गए हैं.
समिति हितग्राहियों के दावों के अधार पर पट्टा वितरण का परीक्षण कर रही है. इसके अलावा अन्य मामलों पर निर्णय ले रही है. नोडल अधिकारी सहायक आयुक्त एस के वाहने ने बताया कि जिले में अब तक 13 हजार 825 वन भूमि अधिकार पट्टा के दावों का निपटारा करते हुए, प्रकरण तैयार कर लिया गया है. इनमें 13 हजार 647 जनजातिय वर्ग के और 178 सामान्य वर्ग के हितग्राही शामिल हैं. इन प्रकरणों के तहत जिले में कुल 6 हजार 447 हेक्टेयर जमीन पर अधिकार का पट्टा वितरण किया जाएगा.
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इस नियम से नहीं घटेगी वन भूमि
आदिवासी वर्ग के हितग्राहियों को 6 हजार 254 हेक्टेयर और सामान्य वर्ग के हितग्राहियों को 187 हेक्टेयर जमीन पर भू अधिकार मिलेगा. पट्टा मिलने के बाद हितग्राही जमीन का अपनी मर्जी के हिसाब से उपयोग करने के लिए स्वतंत्र होंगे. लेकिन इसकी खरीद-बिक्री नहीं की जा सकेगी. इसी नियम की वजह से सरकारी रिकाॅर्ड में पट्टा वितरण करने के बावजूद वन भूमि का रकबा कम नहीं होगा.
'जमीन पर होगा समूह का अधिकार'
वन भूमि अधिकार पट्टा योजना के तहत सरकार सामुदायिक अधिकार पट्टा भी जारी कर रही है. सहायक आयुक्त SK वाहने ने बताया कि इसके तहत प्रदान की गई जमीनों पर हितग्राहियों के समूह का अधिकार होगा. स्वीकृत रकबे में मौजूद पेड़ों से वनोपज संग्रहण करने के साथ हितग्राही तालाब में मछली पालन और गौण खनिज का उत्खनन भी कर सकेंगे. सामुदायिक वन भूमि अधिकार पट्टा योजना के तहत जिले में 2416 हेक्टेयर जमीन के पट्टे को स्वीकृति दी गई है.