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जशपुर में सब्जी और फूलों के रंग से तैयार हुआ गुलाल, स्वसहायता समूह महिलाओं के हर्बल साबुन-शैंपू की भी बढ़ी डिमांड

जशपुर में स्व सहायता समूह की महिलाओं ने सब्जी और फूलों के रस से गुलाल तैयार किया है. साथ ही जड़ी-बूटियों से हर्बल साबुन और शैंपू तैयार की हैं. जिसकी डिमांड काफी बढ़ गई है.

flower colored gulal
फूलों के रंग से तैयार हुआ गुलाल
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Published : Mar 17, 2022, 8:20 PM IST

Updated : Mar 27, 2022, 4:52 PM IST

जशपुर : जशपुर की स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने इस बार सब्जी और फूलों के रंग से हर्बल गुलाल बनाया है. इसके साथ ही हर्बल साबुन औ शैंपू भी होली के लिए स्पेशल जड़ी-बूटियों से तैयार किया है. जिसकी डिमांड काफी बढ़ सी गई है. हर्बल साबुन और शेम्पू बनाने वाली महिला समहू को भी प्रारंभिक स्तर में उनके उत्पादों को बेहतर प्रतिसाद मिला रहा है.

फूलों के रंग से तैयार हुआ गुलाल

ऐसे तैयार होता है गुलाल

जशपुर के कांसाबेल विकासखण्ड के बटईकेला गौठान के चांद स्व सहायता समूह की महिलाओं ने पालक पत्ते, चूकंदर, हल्दी से हर्बल गुलाल तैयार किया है. वहीं, वन विभाग ने अरारोट और पलास के फूलों से हर्बल रंग तैयार कर बाजार में उतारा है. कृषि विज्ञान केंद्र के डूमर बहार के मार्गदर्शन में 10 महिलाओं को हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है. होली को देखते हुए लगभग 10 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार की जा चुकी है. पालक के पत्ते, चुकंदर और हल्दी को मिक्सचर मशीन में पीस कर बिना किसी केमिकल और भारी मशीन के उपयोग से गुलाल को जिलेवासी पसंद कर रहे हैं. पालक पत्ते से हरे रंग का गुलाल, चुकंदर से लाल रंग का गुलाल और हल्दी से पीले रंग का गुलाल बनाया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: थमा कोरोना...चढ़ा होली का रंग: होली के रंग में सराबोर हुए रायपुरियंस

पूरी तरह से केमिकल मुक्त रंग और गुलाल

ये गुलाल बनाने में किसी प्रकार की केमिकल का उपयोग नहीं करती हैं. केवल हरी साग-सब्जियों का ही उपयोग कर रही हैं. जिससे त्वचा को कोई नुकसान भी नहीं होगा. होली में बटईकेला समूह की महिलाओं को गुलाब से अच्छा-खास मुनाफा हो रहा है.

इस साल बाजार में अधिक मांग

समूह की सदस्य शकुंतला पैकरा ने बताया कि बीते साल समूह 50 हजार रूपए का मुनाफा कमाया था. इस साल भी बाजार में इसकी मांग बनी हुई है. उन्होने बताया कि हर्बल गुलाल की कीमत भी पैकेट के अनुसार रखी गई है. 30-40 रुपये के पैकेट बनाकर भी विक्रय किया जा रहा है.महिलाओं के इस उत्पाद की बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए जिला प्रशासन ने सरकारी कार्यालयों में इसके प्रदर्शनी का इंतजाम किया है.

साबुन और शैम्पू ने भी जमाया रंग

गुलाल के साथ तिरंगा स्व सहायता समूह साबुन, पेन और शैम्पू भी तैयार कर रहीं हैं. समूह की अनिमा तिर्की ने बताया कि एक निजी संस्था से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद 10 सदस्यों वाली तिरंगा स्व सहायता समूह पूरी तरह से जड़ी-बूटी से बना हुआ साबुन-शैम्पू के साथ बाल प्वाइंट पेन तैयार कर बाजार में बेच रही है. उन्होने बताया कि प्रारंभिक स्तर में उनके उत्पादों को बेहतर प्रतिसाद मिला है. इसके प्रचार प्रसार का प्रयास किया जा रहा है. आने वाले समय में इनकी मांग और बढ़ने की उम्मीद है.

जशपुर : जशपुर की स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने इस बार सब्जी और फूलों के रंग से हर्बल गुलाल बनाया है. इसके साथ ही हर्बल साबुन औ शैंपू भी होली के लिए स्पेशल जड़ी-बूटियों से तैयार किया है. जिसकी डिमांड काफी बढ़ सी गई है. हर्बल साबुन और शेम्पू बनाने वाली महिला समहू को भी प्रारंभिक स्तर में उनके उत्पादों को बेहतर प्रतिसाद मिला रहा है.

फूलों के रंग से तैयार हुआ गुलाल

ऐसे तैयार होता है गुलाल

जशपुर के कांसाबेल विकासखण्ड के बटईकेला गौठान के चांद स्व सहायता समूह की महिलाओं ने पालक पत्ते, चूकंदर, हल्दी से हर्बल गुलाल तैयार किया है. वहीं, वन विभाग ने अरारोट और पलास के फूलों से हर्बल रंग तैयार कर बाजार में उतारा है. कृषि विज्ञान केंद्र के डूमर बहार के मार्गदर्शन में 10 महिलाओं को हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है. होली को देखते हुए लगभग 10 क्विंटल हर्बल गुलाल तैयार की जा चुकी है. पालक के पत्ते, चुकंदर और हल्दी को मिक्सचर मशीन में पीस कर बिना किसी केमिकल और भारी मशीन के उपयोग से गुलाल को जिलेवासी पसंद कर रहे हैं. पालक पत्ते से हरे रंग का गुलाल, चुकंदर से लाल रंग का गुलाल और हल्दी से पीले रंग का गुलाल बनाया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: थमा कोरोना...चढ़ा होली का रंग: होली के रंग में सराबोर हुए रायपुरियंस

पूरी तरह से केमिकल मुक्त रंग और गुलाल

ये गुलाल बनाने में किसी प्रकार की केमिकल का उपयोग नहीं करती हैं. केवल हरी साग-सब्जियों का ही उपयोग कर रही हैं. जिससे त्वचा को कोई नुकसान भी नहीं होगा. होली में बटईकेला समूह की महिलाओं को गुलाब से अच्छा-खास मुनाफा हो रहा है.

इस साल बाजार में अधिक मांग

समूह की सदस्य शकुंतला पैकरा ने बताया कि बीते साल समूह 50 हजार रूपए का मुनाफा कमाया था. इस साल भी बाजार में इसकी मांग बनी हुई है. उन्होने बताया कि हर्बल गुलाल की कीमत भी पैकेट के अनुसार रखी गई है. 30-40 रुपये के पैकेट बनाकर भी विक्रय किया जा रहा है.महिलाओं के इस उत्पाद की बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए जिला प्रशासन ने सरकारी कार्यालयों में इसके प्रदर्शनी का इंतजाम किया है.

साबुन और शैम्पू ने भी जमाया रंग

गुलाल के साथ तिरंगा स्व सहायता समूह साबुन, पेन और शैम्पू भी तैयार कर रहीं हैं. समूह की अनिमा तिर्की ने बताया कि एक निजी संस्था से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद 10 सदस्यों वाली तिरंगा स्व सहायता समूह पूरी तरह से जड़ी-बूटी से बना हुआ साबुन-शैम्पू के साथ बाल प्वाइंट पेन तैयार कर बाजार में बेच रही है. उन्होने बताया कि प्रारंभिक स्तर में उनके उत्पादों को बेहतर प्रतिसाद मिला है. इसके प्रचार प्रसार का प्रयास किया जा रहा है. आने वाले समय में इनकी मांग और बढ़ने की उम्मीद है.

Last Updated : Mar 27, 2022, 4:52 PM IST

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