जशपुर: कोरोना वायरस की वजह से पूरे देश में करीब 40 दिनों से ज्यादा का समय लॉकडाउन में बीत चुका है. इस बीच यात्री बसों के पहिए भी थमें हुए हैं. जिसके कारण इन यात्री बसों के मालिकों को परेशान होना पड़ रहा है. परिवहन बंद है, फिर भी बसों के टैक्स, बीमा प्रीमियम और खड़ी बसों के कर्ज की किश्त बस मालिकों को कर्जदार बनाती जा रही है. जिससे परेशान होकर जिला बस मालिक संघ ने परिवहन मंत्री और सरगुजा संभाग के आयुक्त को पत्र लिखकर रियायत की मांग की है.
लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियम और बसों को सैनिटाइज करने के खर्च की वजह से बस मालिक परेशान हो चुके हैं. इन तमाम चीजों में राहत की उम्मीद के लिए जिला बस मालिक संघ ने मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री और सरगुजा संभाग के आयुक्त को पत्र लिखकर रियायत देने का अनुरोध किया है.
बस संचालकों पर पड़ रहा आर्थिक दबाव
बस मालिक संघ के अध्यक्ष केदार मिश्रा ने बताया कि 'लॉकडाउन की वजह से बसों का संचालन बंद है. लेकिन बस संचालकों को निर्धारित टैक्सों से राहत देने की कोई घोषणा नहीं हो पाई है. इसके साथ ही खड़ी बसों के बीमा के प्रीमियम की राशि और ऋण किश्तों का बोझ, बस चालक, परिचालक और सहित अन्य स्टाफ के वेतन का भुगतान भी मालिकों की ओर से किया जा रहा है. इस चौतरफा पड़ रहे आर्थिक दबाव से बस संचालकों की कमर टूटने लगी है'.
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लॉकडाउन के बाद 50 फीसदी लोग करेंगे सफर
बस संचालक नन्दकुमार सिंह ने बताया कि 'इस का सीधा असर लॉकडाउन खुलने के बाद यात्री बसों के संचालन में पड़ेगा. लॉकडाउन से राहत देते हुए बस संचालन की अनुमति शासन ने दी है, उसका पालन करते हुए बसों को संचालित करना आर्थिक लिहाज से संभव नहीं है. शर्तों के मुताबिक बसों को पचास प्रतिशत यात्री के साथ ही चलाई जाएई. इसके साथ ही सभी यात्रियों और रनिंग स्टाफ के लिए मास्क और सैनिटाइजर की व्यवस्था करना बस संचालक की जिम्मेदारी होगी. बस की क्षमता से आधे क्षमता के यात्रियों के साथ संचालित करने से संचालाकों को नुकसान होगा जिसके चलते भी बस संचालक परेशान हैं.'