जशपुर : राष्ट्रीयकृत बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मियों के देशव्यापी हड़ताल का सोमवार को पहला दिन था. जिले भर में इस हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला. बैंक कर्मचारी संगठन के आह्वान पर जिले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सहित 38 राष्ट्रीयकृत बैंक पूरी तरह से बंद रहें, जिससे लगभग 100 करोड़ वित्तीय लेनदेन प्रभावित हुआ. इस दौरान सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे बैंक कर्मियों ने निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग की.
कोरबा :बैंककर्मियों की हड़ताल से 350 करोड़ का लेनदेन प्रभावित
व्यावयायिक घरानों का होगा कब्जा
स्टेट बैंक अवार्ड स्टाफ एंप्लाइज यूनियन के सहायक महासचिव अनिल सिंह ने बताया 'केंद्र सरकार की नीति देश के बैंकिंग उपभोक्ताओं के हितों पर चोट है. राष्ट्रीयकृत बैंक व्यवसाय के साथ देशवासियों की सेवा भाव के साथ काम करते हैं. निजीकरण के बाद बैंकिंग सिस्टम पर व्यवसायिक घरानों का कब्जा हो जाएगा. उनका उद्देश्य अधिक से अधिक लाभ कमाना होगा. ऐसे में ग्राहकों का हित पूरी तरह से दरकिनार हो जाएगा. यही वजह है कि बैंक कर्मचारी संगठन केंद्र सरकार की नीतियों और निजीकरण के निर्णय का विरोध कर रहा है.'
राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल का पहला दिन, 10 लाख कर्मचारियों का समर्थन, बैंकिंग सेवाएं होंगी प्रभावित
100 करोड़ से अधिक का व्यवसाय प्रभावित
बैंक का हड़ताल मंगलवार को भी जारी रहेगा. हड़ताल की वजह से जिले में 100 करोड़ से अधिक का व्यवसाय प्रभावित होने का दावा भी संगठन के पदाधिकारी कर रहे हैं. संघ के स्थानीय अध्यक्ष संदीप सिंह और सचिव गौतम झा सहित बैंक के अधिकारी और कर्मचारी शहर के स्टेट बैंक के मुख्य और कलेक्ट्रेट कार्यालय में धरने पर बैठे हैं. संदीप सिंह ने बताया कि देश में आज भी 80% जनता ग्रामीण परिवेश में रहते हैं. उनके लिए डिजिटलाइजेशन आज भी एक पहेली से कम नहीं है. इसका फायदा शातिर ठग उठाते हैं. उन्होंने निजीकरण का विरोध करते हुए प्रस्ताव वापस करने की मांग की.