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बचत के पैसों से घरों में मशरूम का उत्पादन कर रही महिलाएं, बन रही आत्मनिर्भर

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Published : Jul 27, 2020, 8:22 PM IST

Updated : Jul 27, 2020, 9:03 PM IST

जांजगीर के चंद्रपुर में महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं इन दिनों आत्मनिर्भर बन रही हैं. समूह के सदस्य इन दिनों मशरूम का उत्पादन कर रही हैं. जिससे इन्हें आर्थिक मदद भी मिल रही है.

Mushroom Production in Janjgir
जांजगीर में मशरूम उत्पादन

जांजगीर-चांपा: चंद्रपुर के सकराली ग्राम पंचायत में जगमग ज्योति महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं मशरूम का उत्पादन कर आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ रही हैं. महिला समूह के लिए मशरूम उत्पादन आय का साधन बन चुका है. महिलाएं अब घरेलू कामकाज तक सीमित नहीं हैं.

जांजगीर में मशरूम उत्पादन

स्व सहायता समूह से करीब 13 महिला सदस्य जुड़ी हुई हैं. ये महिलाएं पिछले 2 सालों से बचत के पैसों से घरों में मशरूम का उत्पादन कर रही हैं. समिति महिलाएं थोड़ा-थोड़ा रुपए जमाकर मशरूम का उत्पादन करती हैं और इससे जो आय होती है, उससे वे अपना घर चलाती हैं. यहां तक कि अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ा रही हैं.

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सरकार से नहीं मिली मदद

स्व सहायता समूह की महिलाएं हर दिन 10 से 15 किलो मशरूम का उत्पादन करती हैं. जिसे वे गांवों और शहरों में जाकर 240 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचती हैं. समूह के सदस्य बताते हैं कि दिन पर दिन उनकी आमदनी बढ़ रही है. आज उनके पास बैंक बैलेंस है. महिलाएं बताती हैं कि उन्हें सरकार की ओर से किसी भी तरह की सहायता नहीं मिली है. न ही इन महिलाओं ने बैंकों से कोई कर्ज लिया है. इसके बाद भी महिला सदस्यों ने हर महीने थोड़ी-थोड़ी रकम बैंकों में जमा कर इस राशि से अब 2 सालों से मशरूम उत्पादन कर रही हैं.

लॉकडाउन में काम हुआ प्रभावित

देश में covid-19 संक्रमण की वजह से क्षेत्र में लॉकडाउन होने के कारण महिला समूह का काम प्रभावित हुआ. उन्हें मशरूम बेचने में परेशानी हो रही थी. लेकिन महिलाओं ने लॉकडाउन होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और मशरूम उत्पादन का काम जारी रखा.

जांजगीर-चांपा: चंद्रपुर के सकराली ग्राम पंचायत में जगमग ज्योति महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं मशरूम का उत्पादन कर आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ रही हैं. महिला समूह के लिए मशरूम उत्पादन आय का साधन बन चुका है. महिलाएं अब घरेलू कामकाज तक सीमित नहीं हैं.

जांजगीर में मशरूम उत्पादन

स्व सहायता समूह से करीब 13 महिला सदस्य जुड़ी हुई हैं. ये महिलाएं पिछले 2 सालों से बचत के पैसों से घरों में मशरूम का उत्पादन कर रही हैं. समिति महिलाएं थोड़ा-थोड़ा रुपए जमाकर मशरूम का उत्पादन करती हैं और इससे जो आय होती है, उससे वे अपना घर चलाती हैं. यहां तक कि अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ा रही हैं.

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सरकार से नहीं मिली मदद

स्व सहायता समूह की महिलाएं हर दिन 10 से 15 किलो मशरूम का उत्पादन करती हैं. जिसे वे गांवों और शहरों में जाकर 240 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचती हैं. समूह के सदस्य बताते हैं कि दिन पर दिन उनकी आमदनी बढ़ रही है. आज उनके पास बैंक बैलेंस है. महिलाएं बताती हैं कि उन्हें सरकार की ओर से किसी भी तरह की सहायता नहीं मिली है. न ही इन महिलाओं ने बैंकों से कोई कर्ज लिया है. इसके बाद भी महिला सदस्यों ने हर महीने थोड़ी-थोड़ी रकम बैंकों में जमा कर इस राशि से अब 2 सालों से मशरूम उत्पादन कर रही हैं.

लॉकडाउन में काम हुआ प्रभावित

देश में covid-19 संक्रमण की वजह से क्षेत्र में लॉकडाउन होने के कारण महिला समूह का काम प्रभावित हुआ. उन्हें मशरूम बेचने में परेशानी हो रही थी. लेकिन महिलाओं ने लॉकडाउन होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और मशरूम उत्पादन का काम जारी रखा.

Last Updated : Jul 27, 2020, 9:03 PM IST
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