विधानसभा चुनाव के दौरान यहां के ग्रामीणों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की समझाइश के बाद भी वोट नहीं डाला था. इसकी वजह थी शासन और प्रशासन की वादाखिलाफी.
गांववालों का आरोप
मड़वा गांव में रहने वाले लोगों का आरोप है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने जब उनके गांव में पावर प्लांट की स्थापना की तो इस गांव समेत आस-पास के कई किसानों की उपजाऊ जमीन प्लांट के लिए अधीग्रहीत कर ली गई. भूमि अधिग्रहण के 6 से 7 साल बीत गई हैं लेकिन अभी तक अधिकतर ग्रामीणों को वादे के मुताबिक न तो नौकरी मिली और न ही मुआवजा.
'जिला प्रशासन ने नहीं निभाया वादा'
प्रभावित गांववालों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण के दौरान जिला प्रशासन की तरफ से योग्यता के मुताबिक एक व्यक्ति को नौकरी और नियम के मुताबिक मुआवजा देने का वादा किया गया था. लेकिन कुछ नहीं मिला. इसके लिए ग्रामीण लगातार सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन और आंदोलन के माध्यम से अपनी मांग रखते रहे हैं लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला.
मांगे पूरी न होने पर अब गांववालों ने मतदान बहिष्कार का फैसला लिया है. ग्रामीणों के इस निर्णय में ग्राम पंचायत के सरपंच भी साथ खड़े हैं. लोगों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी वे अपना फैसला नहीं बदलेंगे.