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SPECIAL: छत्तीसगढ़ गठन के 19 साल बाद भी नहीं खत्म हो रहा पलायन का सिलसिला - जांजगीर-चांपा से हजारों प्रवासियों का पलायन

कोरोना को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन ने मजदूरों की जिंदगी सबसे ज्यादा प्रभावित की है. मजदूर रोजी-रोटी के लिए दूसरे राज्यों के शहरों की ओर पलायन करते हैं. कोरोना संकट के दौरान जिले में करीब 78 हजार कामगार अन्य राज्यों और जिले से जांजगीर लौटे हैं.

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करीब 78 हजार प्रवासी लौटे जांजगीर-चांपा
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Published : Jun 20, 2020, 9:52 PM IST

जांजगीर-चांपा: छत्तीसगढ़ राज्य बनने के 19 साल बाद भी मजदूरों का पलायन एक बड़ा विषय है. आखिर क्यों लोगों को रोजगार के लिए अपने घरों को छोड़कर परदेश पलायन करना पड़ रहा है. कोरोना को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन ने मजदूरों की जिंदगी सबसे ज्यादा प्रभावित की है. मजदूर रोजी-रोटी के लिए दूसरे राज्यों के शहरों की ओर पलायन करते हैं. क्योंकि राज्य में उन्हें वो रोजगार नहीं मिल पाता जिनकी उन्हें तलाश होती है.

प्रवासी मजदूरों की पीड़ा

कोरोना संकट के दौरान जांजगीर चांपा में करीब 78 हजार कामगार अन्य राज्यों और प्रदेश के दूसरे जिले से लौटे हैं . श्रम अधिकारी की मानें तो राज्य सरकार बड़े पैमाने पर लाभकारी योजनाएं चला रही हैं. जिससे उन्हें फायदा पहुंच सके. लेकिन बावजूद इसके लोग पलायन कर रहे हैं. लगभग 100 योजनाएं संचालित हैं. फिर भी हजारों की संख्या में मजदूर पलायन कर रहे हैं. आने वाले वक्त में लौटने वालों की संख्या और बढ़ सकती है.

प्रवासी मजदूरों के साथ पहुंचा कोरोना

जांजगीर-चांपा में कोरोना के मरीज बढ़ते जा रहे हैं. यह जिला कभी संक्रमण मुक्त हुआ करता था. लंबे वक्त तक जिला ग्रीन जोन में बना हुआ था. लेकिन भारी तादाद में प्रवासी मजदूरों की वापसी के साथ ही कोरोना वायरस भी जिले में फैलने लगा. लगातार मरीज सामने आने लगे. फिलहाल जिले के कई ब्लॉक रेड जोन में है.

पढ़ें: खाद्य विभाग ने की तीन नई योजनाओं की शुरुआत, सामान्य राशनकार्ड धारकों को मिलेगा नमक

ये योजनाएं चला रही सरकार

राज्य सरकार गरीब और ग्रामीणों के लिए कई योजनाएं चला रही है. जिसमें प्रसूति लाभ योजना, छात्रवृति लाभ की योजना, मेधावी छात्रवृति लाभ की योजना, साइकिल सहायता योजना, सिलाई सहायता योजना, मनरेगा योजना साथ ही किसान न्याय योजना, कौशल विकास योजना जैसी कई योजनाएं हैं फिर भी मजदूरों का पलायन नहीं रुक पा रहा है.

ऐसी है ब्लॉक की हालत

बता दें कि, जिला प्रदेश में सबसे बड़ा धान उत्पादक जिला है. यहां 85% तक सिंचित क्षेत्र है. जिस ब्लॉक में सबसे कम सिंचाई होती है, वहां सबसे कम पलायन भी होता है. जिले के बलौदा ब्लॉक में सिंचाई कम होती है, लेकिन पलायन के आंकड़े भी यहां सबसे कम हैं. पामगढ़ ब्लॉक में जहां पूरा ब्लॉक सिंचित क्षेत्र में आता है. इस ब्लॉक से ही प्रदेश की सबसे बड़ी नदी महानदी बहती है. इसके बावजूद सबसे ज्यादा पलायन पामगढ़ ब्लॉक में होता है.

जिले में खेती-किसानी के लिए पर्याप्त अवसर मौजूद है .बावजूद इसके मजदूरों का पलायन होना सरकार और प्रशासन के लिए चिंता का विषय है. इस मुद्दे पर जब हमने अधिकारियों से बात की तो उनका तर्क कुछ और था. जिला पंचायत CEO का कहना है कि इस जिले से लोग सालों से पलायन कर रहे हैं. 6 महीने की खेती करने के बाद मजदूर 6 महीने के लिए राज्य से बाहर चले जाते हैं.

इतनी योजनाओं और कोशिशों के बावजूद जिले से लोग पलायन कर रहे हैं. शासन-प्रशासन को चाहिए की किसानों को खेती किसानी में रोजगार मुहैया कराने की कोशिश करें. ताकि यहां के युवाओं और मजदूरों का पलायन रुक सके. और आने वाले दिनों में ये लोग राज्य और जिले में ही रोजगार पा सकें

जांजगीर-चांपा: छत्तीसगढ़ राज्य बनने के 19 साल बाद भी मजदूरों का पलायन एक बड़ा विषय है. आखिर क्यों लोगों को रोजगार के लिए अपने घरों को छोड़कर परदेश पलायन करना पड़ रहा है. कोरोना को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन ने मजदूरों की जिंदगी सबसे ज्यादा प्रभावित की है. मजदूर रोजी-रोटी के लिए दूसरे राज्यों के शहरों की ओर पलायन करते हैं. क्योंकि राज्य में उन्हें वो रोजगार नहीं मिल पाता जिनकी उन्हें तलाश होती है.

प्रवासी मजदूरों की पीड़ा

कोरोना संकट के दौरान जांजगीर चांपा में करीब 78 हजार कामगार अन्य राज्यों और प्रदेश के दूसरे जिले से लौटे हैं . श्रम अधिकारी की मानें तो राज्य सरकार बड़े पैमाने पर लाभकारी योजनाएं चला रही हैं. जिससे उन्हें फायदा पहुंच सके. लेकिन बावजूद इसके लोग पलायन कर रहे हैं. लगभग 100 योजनाएं संचालित हैं. फिर भी हजारों की संख्या में मजदूर पलायन कर रहे हैं. आने वाले वक्त में लौटने वालों की संख्या और बढ़ सकती है.

प्रवासी मजदूरों के साथ पहुंचा कोरोना

जांजगीर-चांपा में कोरोना के मरीज बढ़ते जा रहे हैं. यह जिला कभी संक्रमण मुक्त हुआ करता था. लंबे वक्त तक जिला ग्रीन जोन में बना हुआ था. लेकिन भारी तादाद में प्रवासी मजदूरों की वापसी के साथ ही कोरोना वायरस भी जिले में फैलने लगा. लगातार मरीज सामने आने लगे. फिलहाल जिले के कई ब्लॉक रेड जोन में है.

पढ़ें: खाद्य विभाग ने की तीन नई योजनाओं की शुरुआत, सामान्य राशनकार्ड धारकों को मिलेगा नमक

ये योजनाएं चला रही सरकार

राज्य सरकार गरीब और ग्रामीणों के लिए कई योजनाएं चला रही है. जिसमें प्रसूति लाभ योजना, छात्रवृति लाभ की योजना, मेधावी छात्रवृति लाभ की योजना, साइकिल सहायता योजना, सिलाई सहायता योजना, मनरेगा योजना साथ ही किसान न्याय योजना, कौशल विकास योजना जैसी कई योजनाएं हैं फिर भी मजदूरों का पलायन नहीं रुक पा रहा है.

ऐसी है ब्लॉक की हालत

बता दें कि, जिला प्रदेश में सबसे बड़ा धान उत्पादक जिला है. यहां 85% तक सिंचित क्षेत्र है. जिस ब्लॉक में सबसे कम सिंचाई होती है, वहां सबसे कम पलायन भी होता है. जिले के बलौदा ब्लॉक में सिंचाई कम होती है, लेकिन पलायन के आंकड़े भी यहां सबसे कम हैं. पामगढ़ ब्लॉक में जहां पूरा ब्लॉक सिंचित क्षेत्र में आता है. इस ब्लॉक से ही प्रदेश की सबसे बड़ी नदी महानदी बहती है. इसके बावजूद सबसे ज्यादा पलायन पामगढ़ ब्लॉक में होता है.

जिले में खेती-किसानी के लिए पर्याप्त अवसर मौजूद है .बावजूद इसके मजदूरों का पलायन होना सरकार और प्रशासन के लिए चिंता का विषय है. इस मुद्दे पर जब हमने अधिकारियों से बात की तो उनका तर्क कुछ और था. जिला पंचायत CEO का कहना है कि इस जिले से लोग सालों से पलायन कर रहे हैं. 6 महीने की खेती करने के बाद मजदूर 6 महीने के लिए राज्य से बाहर चले जाते हैं.

इतनी योजनाओं और कोशिशों के बावजूद जिले से लोग पलायन कर रहे हैं. शासन-प्रशासन को चाहिए की किसानों को खेती किसानी में रोजगार मुहैया कराने की कोशिश करें. ताकि यहां के युवाओं और मजदूरों का पलायन रुक सके. और आने वाले दिनों में ये लोग राज्य और जिले में ही रोजगार पा सकें

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