जांजगीर-चांपा: भूपेश सरकार (bhupesh government) की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना (Godhan Nyay Yojana of Chhattisgarh) पशुपालकों (cattleman in chhattisgarh) के लिए वरदान साबित हो रही है. गौठानों (Gauthan in Chhattisgarh) में गोबर से बनी वर्मी कंपोस्ट खाद (Vermicompost Manure) की भारी मांग है. जिले के 338 गौठानों के जरिए वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार की जा रही है. जिले की अधिकांश सोसाइटियों में खाद और बीज खरीदने वाले किसानों को वर्मी कंपोस्ट खाद खरीदना अनिवार्य किया गया है. इसके लिए किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है.
गोधन न्याय योजना से सुधरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था
भूपेश सरकार की गोधन न्याय योजना से न सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुधर रही है. बल्कि ऐसे किसानों और पशुपालकों को भी फायदा हो रहा है, जिनके पास न तो खेत है, न पशु हैं, ये लोग भी केवल गोबर बेचकर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं. गोबर से एक तरफ जहां जैविक खाद बनाई जा रही है. वहीं इससे जुड़े उत्पाद भी तैयार किए जा रहे हैं.
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गौठानों से वर्मी कंपोस्ट खाद की बिक्री शुरू
गोबर खरीदी (purchase of cow dung in chhattisgarh) के दूसरे चरण में वर्मी कंपोस्ट खाद की बिक्री शुरू हो गई है. वर्मी कंपोस्ट खाद कितना सफल होता है, यह देखने वाली बात होगी, जिले की बात करें तो गौठानो में तैयार वर्मी कंपोस्ट के परीक्षण उपरांत जिले के 338 गौठानों में तैयार वर्मी कंपोस्ट सही पाए गए हैं. जहां से इस खाद का वितरण किया जाना है. वर्मी कंपोस्ट खाद को लेकर किसानों का क्या कहना है. ETV भारत ने इसकी पड़ताल की है.
रसायनिक खादों के उपयोग में कमी लाने का महत्वपूर्ण कदम
ETV भारत की टीम जांजगीर-चांपा जिले के बारगांव स्थित गौठान पहुंची. जहां महिला स्व. सहायता समूह के सदस्यों से हमने बात की. समूह की सदस्यों ने बताया कि इसमें दो राय नहीं है कि वर्मी कंपोस्ट खाद की बिक्री ग्रामीण स्तर पर बड़े पैमाने पर शुरू की गई है. इसका लाभ न केवल किसानों को मिल रहा है, बल्कि रासायनिक खादों के उपयोग में कमी लाने में यह एक महत्वपूर्ण कदम है.
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महिला स्व. सहायता समूह तैयार कर रही वर्मी कंपोस्ट खाद
जांजगीर-चांपा जिले के बारगांव की बात करें तो यहां गौठान समिति और महिला स्व. सहायता समूह की ओर से गौठानों में वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जा रहा है. समूह के अनुसार वर्मी कंपोस्ट खाद की काफी मांग की जा रही है. स्व सहायता समूह 2 रुपए किलो की दर पर गोबर की खरीदी करती है. इसके बाद उससे वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार की जाती है. बाजार में 10 रुपए किलो के हिसाब वर्मी कंपोस्ट खाद बेची जा रही है.
वर्मी कंपोस्ट के लिए लोन भी उपलब्ध करवा रहे बैंक
किसानों को वर्मी कंपोस्ट खाद खरीदना जरूरी हो गया है. इससे उनकी खेती की लागत भी बढ़ गई है. हालांकि बैंक किसानों को खाद के साथ वर्मी कंपोस्ट के लिए भी लोन उपलब्ध करवा रहे हैं, जिससे किसानों पर आर्थिक बोझ न पड़े. किसानों का कहना है कि वर्मी कंपोस्ट खाद के कारण रासायनिक खाद का उपयोग कम करना पड़ रहा है. इसका लाभ खेती में भी दिखाई देना चाहिए.
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वर्मी कंपोस्ट भूमि की बढ़ाएगी उर्वरा शक्ति
ग्राम पंचायत और जनपद पंचायत पदाधिकारियों का कहना है कि वर्मी कंपोस्ट खाद का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाएगा. जिससे रासायनिक खाद का धीरे-धीरे उपयोग कम हो जाएगा और लोग जैविक खेती की ओर आगे बढ़ेंगे. यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. उन्होंने बताया कि ऐसे कई स्थानों पर रासायनिक खाद की जगह वर्मी कंपोस्ट का उपयोग किया जा रहा है. जिस तरह बड़े पैमाने पर रासायनिक खाद के उपयोग से जमीन की उर्वरा शक्ति कम हो जा रही थी, वह निश्चित तौर पर वर्मी कंपोस्ट खाद की सहायता से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी.
सरकार मुफ्त में दे वर्मी कंपोस्ट खाद: BJP
इस मामले में बीजेपी का भी अपना पक्ष है. बीजेपी का कहना है कि न ही गोबर का उत्पादन इतना है कि मांग के अनुरूप उसे पूरा किया जा सकता है. गौठानों में अव्यवस्था का आलम है. मवेशियों का रख-रखाव सही तरीके से नहीं हो रहा है. वहीं गोबर खरीदी अधिक मात्रा में नहीं हुई है. ऐसे में वर्मी कंपोस्ट खाद भी काफी कम बनाई जा रही है. पहली बार बड़े पैमाने पर अगर किसान वर्मी कंपोस्ट खाद का उपयोग कर रहे हैं. इससे उन्हें प्रति एकड़ 900 रुपए अतिरिक्त लागत आ रही है. ऐसे में बीजेपी ने सरकार से पहले साल किसानों को वर्मी कंपोस्ट फ्री में देने की मांग की है.