जांजगीर चाम्पा: शिक्षा विभाग में घोटाले का यह पूरा मामला 2019-20 का है. 2 साल पहले हुए इस घोटाला की जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी को मिली. जिसके बाद मामले में कलेक्टर के निर्देश पर क्लर्क शिवानंद राठौर को निलंबित और कम्प्यूटर ऑपरेटर विकास साहू को बर्खास्त किया गया है. साथ ही स्कूल संचालक को राशि वापस करने के भी निर्देश दिए गए हैं. इस मामले में स्कूल संचालक ने अपनी गलती स्वीकार की है.
7 लाख के बजाय 72 लाख की राशि की जारी: जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के कम्प्यूटर ऑपरेटर विकास साहू, क्लर्क शिवानंद राठौर ने बलौदा के मयूरा कॉन्वेंट स्कूल के संचालक से सांठ गांठ की. जिसके बाद 72 लाख रुपये का घोटाला किया और शिक्षा के अधिकार के तहत स्कूल संचालक को 7 लाख जारी करने के बजाय 72 लाख से अधिक की राशि जारी कर दी थी.
राशि वापस करने में स्कूल संचालक कर रहा था ताल मटोल: एडिशनल एसपी अनिल सोनी ने बताया कि "जिला शिक्षा अधिकारी ने कलेक्टर के निर्देश पर शनिवार को तीनों के खिलाफ कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराया है. जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने रिपोर्ट में लिखा है कि आरटीआई के तहत 72 लाख से अधिक राशि जारी की गई, जबकि मयूरा स्कूल को मात्र 7 लाख रुपये भुगतान करना था. कई बार नोटिस जारी कर बाकि राशि को वापस करने के निर्देश दिए गए, लेकिन स्कूल संचालक द्वारा 35 लाख जमा करने के बाद बाकी राशि जमा करने में टाल मटोल किया जा रहा था."
तीनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा: एडिशनल एसपी अनिल सोनी ने बताया कि "इस मामले में विभाग के कम्प्यूटर ऑपरेटर और क्लर्क की मिली भगत सामने आई है. जिसके बाद एफआईआर दर्ज कराई गई. पुलिस ने मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
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2 साल में बदले 3 जिला शिक्षा अधिकारी, फिर भी दबा रहा मामला: शिक्षा विभाग में हुए इस घोटाला के बाद 2 साल में 3 जिला शिक्षा अधिकारी बदल गए. लेकिन इस मामले में किसी ने संज्ञान तक नहीं लिया. अब नये जिला शिक्षा अधिकारी एचआर सोम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कार्रवाई की है. इस कार्रवाई के बाद शिक्षा अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं. पुलिस जांच में और भी खुलासा होने की संभावना है.