जांजगीर चांपा :किसानों की पैतृक संपत्ति पर बैराज बना कर सरकार औद्योगिक घरानों में पानी पहुंचा रही है. लेकिन जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं (Saradih barrage affected farmers started Satyagraha) है. जांजगीर चांपा जिला के डभरा ब्लॉक में किसानों ने अनिश्चितकालीन किसान सत्याग्रह आंदोलन शुरू कर दिया है. किसानों ने राज्य सरकार और जल संसाधन विभाग द्वारा प्रभावित परिवार को मुआवजा देने की मांग की है. आंदोलन करने वाले किसानों ने मुआवजा वितरण करने के साथ पुनर्वास नीति का पालन करने की बात कही है.
क्या है पूरा मामला : सरकार औद्योगिक घराने को पानी देने के उद्देश्य से साराडीह में महानदी पर जल बैराज का निर्माण कराया गया (Saradih Barrage in Dabhra Block of Janjgir Champa District) है. बैराज में पानी संग्रहित करना भी शुरू कर दिया गया है. साराडीह जल बैराज बनाने के लिए जिन किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया है. उन किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है. बिना मुआवजा के ही प्रशासन द्वारा जल का संग्रहण किया जा रहा है.इस जल को औद्योगिक घराने को दिया भी जा रहा है. जबकि साराडीह सकराली, उपनी, नवापारा जैसे कई गांव शामिल हैं जहां के किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिल सका है.
कहां हो रहा है आंदोलन :जांजगीर चांपा जिले के डभरा ब्लॉक में महानदी पर बने साराडीह बैराज (Saradih Barrage is built on Mahanadi) से प्रभावित किसानों ने अनिश्चितकालीन किसान सत्याग्रह आंदोलन शुरू कर दिया है.किसानों ने मांगें पूरी नहीं होने पर आंदोलन जारी रखने की बात कही है. किसानों कहना है कि '' बैराज से प्रभावित सभी किसानों को पुनर्वास नीति के तहत सुविधाएं और मुआवजा मिलनी (Farmers affected by Saradih barrage are demanding compensation) चाहिए. उस सुविधा से किसानों को वंचित किया गया है. बैराज डुबान से प्रभावित सभी किसानों के भूमि का नये सिरे से सर्वे किया जाए. क्योंकि जलसंसाधन विभाग द्वारा आधा अधूरा सर्वे किया है.अभी भी बहुत किसानों का जमीन बैराज डूबान से प्रभावित है.परन्तु उनको अभी मुवावजा नही मिला है और जिन किसानों कॊ मुआवजा मिला है वह भी अपूर्ण है.''
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कोर्ट की शरण में गए थे किसान : साराडीह बैराज प्रभावित किसानों ने शासन की नीति का पालन नहीं होने पर उच्च न्यायालय मे मामला दर्ज किया गया था.जहां से माननीय न्यायालय ने पुनर्वास नीति के तहत किसानों को भुगतान करने का आदेश दे दिया है. लेकिन शासन प्रशासन द्वारा न्यायालय के आदेश के पालन करने में आनाकानी की जा रही है. इसलिए जब तक किसानों की मांग पूरी नही होती. तब तक यह किसान सत्याग्रह आन्दोलन अनिश्चितकालीन चलता रहेगा.