जांजगीर चांपा: जांजगीर चांपा जिला के मालखरौदा थाना क्षेत्र पिहरिद गांव में 11 साल के राहुल के बोरवेल में फंसने की घटना ने पूरे देश का ध्यान खींचा. राहुल के रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए जिला प्रशासन ने पूरा जोर लगाया. पांच दिन के अथक प्रयास के बाद आखिरकार राहुल को सकुशल बोरवेल से बाहर निकाल लिया गया. राहुल के बचाव में एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम के साथ अलग-अलग टीम दिन ने रात मेहनत की. राहुल के पांच दिन के बोर में रहने के दौरान राहुल के सबसे करीब एनआरडीएफ के एक जवान रहे. जिन्होंने पूरे रेस्क्यू के दौरान राहुल को केला खिलाया, जूस पिलाया और उसके साथी बन गए. जिसकी आवाज पर राहुल जागता था और खाता था. आइए मिलते हैं इस एनडीआरएफ के जवान से. उन्होंने 5 दिन के रेस्क्यू ऑपरेशन का सफर और अपने जज्बात बयां किए.
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NDRF जवान की जुबानी रेस्क्यू ऑपरेशन की कहानी : एनडीआरएफ के जवान बी अनिल कुमार ने राहुल के रेस्क्यू के दौरान 5 दिनों तक झपकी तक नहीं ली. बोर में फंसे राहुल से दोस्ती कर बोर के ऊपर से ही मूक बधिर राहुल को जीने के लिए प्रेरित किया. अनिल ने राहुल के खाने पीने का सामान उस तक पहुंचाया. बी अनिल कुमार ने बताया ''5 दिनों में राहुल ने 9 फ्रूटी और दर्जन भर केला खाया. राहुल ने रेस्क्यू ऑपरेशन में भी मदद की. उसने बाल्टी में पानी भर कर बाहर निकाला. राहुल से मेरी दोस्ती हो गई थी. पहले दिन राहुल रेस्क्यू टीम की किसी भी आवाज का रिप्लाई नहीं देता था और डर गया था. सुबह उसके परिजनों से उसकी पसंदीदा फल और पेयजल के बारे में जानकारी ली. फिर बोर में फंसे राहुल को एक्टिव रखने के लिए केला भेजा गया, जिसे राहुल ने खाया. फ्रूटी में डंडी लगा कर उसे पी लिया.'' एक बार, दो बार और फिर बी अनिल कुमार की आवाज पर राहुल ने खाना-पीना शुरू किया. राहुल पर निगरानी रखने के लिए लगाए गए कैमरे से देख कर बी अनिल कुमार उसे आवाज देते और राहुल का हाथ केला और फ्रूटी के लिए बाहर निकल आता.
बोर में फंसे राहुल पर निगरानी: 5 दिनों से बोर में फंसे राहुल पर निगरानी रखने वाले बी अनिल कुमार ने बताया कि ''बोर के अंदर एक कुआं जैसा गड्ढा बन गया था, जिसमें बैठने के लिए पत्थर भी था. उसी को राहुल ने अपनी दुनिया बना लिया था. भूख और प्यास मिटने के बाद पत्थर के पीछे छिप जाता था. पानी से ऊपर पत्थर पर सर रख कर सो जाता.'' मंगलवार की सुबह भी राहुल ने केला खाया और फ्रूटी पी लेकिन रेस्क्यू के दौरान दोपहर से पत्थर के पीछे जा कर छुप गया. उसने केला खाना, फ्रूटी पीना बंद कर दिया, लेकिन बी अनिल कुमार की आवाज पर बच्चा मूव करने लगता था.
65 फीट नीचे बच्चा जिंदगी और मौत से जूझता रहा: बी अनिल कुमार ने अपनी आवाज से एक ऐसे बच्चे को अपना साथी बना लिया था, जो बोर के अंदर 65 फीट में जिंदगी की जंग लड़ रहा था. अनिल कुमार अब रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने के बाद अपने काम से संतुष्ट हैं. उन्होंने राहुल के सफल रेस्क्यू के लिए टीम वर्क को प्रमुख कारण बताया.