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जांजगीर-चांपा: दुष्कर्म के दोषी को 20 साल की सजा, तिवारी दंपति को शाबासी

जांजगीर-चांपा में 8 साल की बच्ची से दुष्कर्म के दोषी जीजा को 20 साल की सजा सुनाई गई है. मामले में कोर्ट ने वारदात के महज दो महीने के भीतर फैसला सुनाया है. इसमें पुलिस ने भी फौरन कार्रवाई करते हुए 10 दिन के भीतर चालान पेश कर दिया था.

दुष्कर्म का दोषी
दुष्कर्म का दोषी
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Published : Feb 15, 2020, 5:00 PM IST

Updated : Feb 15, 2020, 5:22 PM IST

जांजगीर-चांपा: जिला न्यायालय के न्यायाधीश उदय लक्ष्मी सिंह परमार ने पाक्सो एक्ट के तहत आठ साल की नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी जीजा को 20 साल सश्रम कारावास और एक हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है. कोर्ट ने आरोपी को पाक्सो एक्ट और दुष्कर्म के आरोप में दोषी पाते हुए ये सजा सुनाई है. पूरे मामले में खास बात ये है कि, ये सजा वारदात के दो महीने के भीतर सुनाई गई है.कोर्ट ने केस में पुलिस की ओर से की गई कार्रवाई को भी सराहा. बता दें कि, पुलिस ने वारदात के 10 दिन के भीतर आरोपी के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर दिया था.

दुष्कर्म के दोषी को 20 साल की सजा

एक ओर जहां निर्भया के दोषियों की फांसी दिनों-दिन टलती जा रही है. ऐसे समय में जिले के विशेष न्यायाधीश उदय लक्ष्मी सिंह परमार ने मासूम से दुष्कर्म के मामले में महज दो महीने के भीतर दोषी को सजा सुनाई है. इस फैसले के साथ ही मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली की लोग खूब सराहना कर रहे हैं.

13 दिसंबर 2019 का है मामला

मामला 13 दिसंबर 2019 का है. बताया जाता है, महिला एवं बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर सरोज तिवारी अपने पति के साथ बलौदा सेक्टर कोसमंदा में आंगनबाड़ी कार्यकताओं की बैठक लेकर वापस लौट रही थी. इस दौरान दोनों शाम करीब साढ़े 4 बजे दर्राभाठा पहुंचे थे. जहां एक युवक बाइक छोटी बच्ची को बैठाकर मुक्तिधाम की ओर जा रहा था. युवक के हाव-भाव देखकर सरोज को शक हुआ, जिसके बाद उन्होंने पति को बाइक का पीछा करने को कहा. आगे जाने पर दंपति ने देखा कि, बाइक चालक बच्ची से दुष्कर्म कर रहा था. पति-पत्नी को देखकर आरोपी बाइक चालक भागने लगा, जिसे सरोज के पति ने पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया.

20 साल सश्रम करावास

इसके बाद पुलिस ने मामले को कोर्ट के सामने पेश किया. जिसकी सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश (पाक्सो) ने आरोपी को दोषी पाया. दोषी पीड़िता का रिश्ते में जीजा है. अपराध की गंभीरता और सामाजिक प्रभाव को देखते हुए न्यायाधीश उदय लक्ष्मी सिंह परमार ने दोषी राजेन्द्र सिंह को धारा 6 लैंगिक अपराधों से बाल संरक्षण अधिनियम के तहत 20 साल सश्रम करावास और एक हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया. अर्थदंड नहीं देने पर दोषी को तीन महीने का अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गई है. इस पूरे मामले में सुपरवाइजर सरोज तिवारी और उनके पति की जागरूकता और भूमिका को भी काफी सराहा है.

जांजगीर-चांपा: जिला न्यायालय के न्यायाधीश उदय लक्ष्मी सिंह परमार ने पाक्सो एक्ट के तहत आठ साल की नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी जीजा को 20 साल सश्रम कारावास और एक हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है. कोर्ट ने आरोपी को पाक्सो एक्ट और दुष्कर्म के आरोप में दोषी पाते हुए ये सजा सुनाई है. पूरे मामले में खास बात ये है कि, ये सजा वारदात के दो महीने के भीतर सुनाई गई है.कोर्ट ने केस में पुलिस की ओर से की गई कार्रवाई को भी सराहा. बता दें कि, पुलिस ने वारदात के 10 दिन के भीतर आरोपी के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर दिया था.

दुष्कर्म के दोषी को 20 साल की सजा

एक ओर जहां निर्भया के दोषियों की फांसी दिनों-दिन टलती जा रही है. ऐसे समय में जिले के विशेष न्यायाधीश उदय लक्ष्मी सिंह परमार ने मासूम से दुष्कर्म के मामले में महज दो महीने के भीतर दोषी को सजा सुनाई है. इस फैसले के साथ ही मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली की लोग खूब सराहना कर रहे हैं.

13 दिसंबर 2019 का है मामला

मामला 13 दिसंबर 2019 का है. बताया जाता है, महिला एवं बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर सरोज तिवारी अपने पति के साथ बलौदा सेक्टर कोसमंदा में आंगनबाड़ी कार्यकताओं की बैठक लेकर वापस लौट रही थी. इस दौरान दोनों शाम करीब साढ़े 4 बजे दर्राभाठा पहुंचे थे. जहां एक युवक बाइक छोटी बच्ची को बैठाकर मुक्तिधाम की ओर जा रहा था. युवक के हाव-भाव देखकर सरोज को शक हुआ, जिसके बाद उन्होंने पति को बाइक का पीछा करने को कहा. आगे जाने पर दंपति ने देखा कि, बाइक चालक बच्ची से दुष्कर्म कर रहा था. पति-पत्नी को देखकर आरोपी बाइक चालक भागने लगा, जिसे सरोज के पति ने पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया.

20 साल सश्रम करावास

इसके बाद पुलिस ने मामले को कोर्ट के सामने पेश किया. जिसकी सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश (पाक्सो) ने आरोपी को दोषी पाया. दोषी पीड़िता का रिश्ते में जीजा है. अपराध की गंभीरता और सामाजिक प्रभाव को देखते हुए न्यायाधीश उदय लक्ष्मी सिंह परमार ने दोषी राजेन्द्र सिंह को धारा 6 लैंगिक अपराधों से बाल संरक्षण अधिनियम के तहत 20 साल सश्रम करावास और एक हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया. अर्थदंड नहीं देने पर दोषी को तीन महीने का अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गई है. इस पूरे मामले में सुपरवाइजर सरोज तिवारी और उनके पति की जागरूकता और भूमिका को भी काफी सराहा है.

Last Updated : Feb 15, 2020, 5:22 PM IST
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