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कोरोना ने छीना कुम्हारों का रोजगार, दीपावली में भी घर नहीं आई 'रोशनी'

जांजगीर-चांपा के डभरा क्षेत्र के कई गांव के कुम्हार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. कोरोना काल के चलते इन दिनों इनके पास ग्राहकों की काफी कमी है. गिने-चुने कुछ लोग ही अब दीया या अन्य मिट्टी के बरतन खरीदने आ रहे हैं.

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कोरोना ने छीना कुम्हारों का रोजगार
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Published : Nov 7, 2020, 5:43 PM IST

जांजगीर-चांपा: कोरोना काल ने कई लोगों से उनका रोजगार छीन लिया है. कई लोग ऐसे हैं जिनका रोजगार पूरी तरह से फीका पड़ गया है. चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत डभरा ब्लॉक के कई गांवों के कुम्हार आज रोजी-रोटी की समस्या से जूझ रहे हैं.

कोरोना ने छीना कुम्हारों का रोजगार

डभरा क्षेत्र के राधापुर, महादेवपाली, चंदली सहित कई गांव में कुम्हार परिवार रहते हैं, जो अपने परिवार के पुश्तैनी धंधे को संभालते हैं. ये कुम्हार मिट्टी से दीया, गमला, मटका, कलश सहित कई प्रकार के बर्तन बनाते हैं. कोरोना काल के चलते इन दिनों इनके पास ग्राहकों की काफी कमी है. गीने-चुने कुछ लोग ही आते हैं.

कोरोना के डर से नहीं मिल रहे ग्राहक

वहीं राज्य में गोबर के दिये बनाने का प्रचलन होने से कुम्हारों के मिट्टी के दिये की चमक धीमी होती जा रही है. दीपावली नजदीक है, ऐसे में नॉर्मल दिनों में कुम्हारों की अच्छी-खासी कमाई होती थी, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के डर से लोग कुछ भी खरीदने से बच रहे हैं.

SPECIAL: न यात्री, न ग्राहक, कोरोना काल में कैसे चलेगा दुकानदारों का घर

मिट्टी के बर्तन बनाना ही है जीविका का मुख्य स्त्रोत

राधापुर गांव के कुम्हारों से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उनका दर्द छलक पड़ा. उन्होंने बताया कि वे मिट्टी के खपरैल के मकान में रहते हैं. मिट्टी के बर्तन बनाना उनके परिवार में पुरखों से चला आ रहा है और इसी से वे जीविका उपार्जन करते हैं. कुम्हारों ने बताया कि सरकार की ओर से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है.

उन्होंने बताया कि वे एक दीया एक रुपये में और गमला-मटका प्रति नग 50 रुपये में बेचते हैं. इसी कमाई से ही बच्चों की पढ़ाई कराते हैं. कुम्हारों ने बताया कि उनके पास खेती किसानी के लिए कोई जमीन नहीं है. रोजगार का मुख्य स्त्रोत मिट्टी से बर्तन बनाना ही है.

कुम्हारों की करें मदद

अब इन कुम्हारों की सरकार से ही आस है. ईटीवी भारत भी आपसे यहीं अपील करता है कि लोकल फोर वोकल को प्रमोट करें और इस दीपावली इनके जैसे सभी छोटे कुम्हारों से दिये की खरीदी करें, ताकि इनका घर भी रोशन हो सके.

जांजगीर-चांपा: कोरोना काल ने कई लोगों से उनका रोजगार छीन लिया है. कई लोग ऐसे हैं जिनका रोजगार पूरी तरह से फीका पड़ गया है. चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत डभरा ब्लॉक के कई गांवों के कुम्हार आज रोजी-रोटी की समस्या से जूझ रहे हैं.

कोरोना ने छीना कुम्हारों का रोजगार

डभरा क्षेत्र के राधापुर, महादेवपाली, चंदली सहित कई गांव में कुम्हार परिवार रहते हैं, जो अपने परिवार के पुश्तैनी धंधे को संभालते हैं. ये कुम्हार मिट्टी से दीया, गमला, मटका, कलश सहित कई प्रकार के बर्तन बनाते हैं. कोरोना काल के चलते इन दिनों इनके पास ग्राहकों की काफी कमी है. गीने-चुने कुछ लोग ही आते हैं.

कोरोना के डर से नहीं मिल रहे ग्राहक

वहीं राज्य में गोबर के दिये बनाने का प्रचलन होने से कुम्हारों के मिट्टी के दिये की चमक धीमी होती जा रही है. दीपावली नजदीक है, ऐसे में नॉर्मल दिनों में कुम्हारों की अच्छी-खासी कमाई होती थी, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के डर से लोग कुछ भी खरीदने से बच रहे हैं.

SPECIAL: न यात्री, न ग्राहक, कोरोना काल में कैसे चलेगा दुकानदारों का घर

मिट्टी के बर्तन बनाना ही है जीविका का मुख्य स्त्रोत

राधापुर गांव के कुम्हारों से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उनका दर्द छलक पड़ा. उन्होंने बताया कि वे मिट्टी के खपरैल के मकान में रहते हैं. मिट्टी के बर्तन बनाना उनके परिवार में पुरखों से चला आ रहा है और इसी से वे जीविका उपार्जन करते हैं. कुम्हारों ने बताया कि सरकार की ओर से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है.

उन्होंने बताया कि वे एक दीया एक रुपये में और गमला-मटका प्रति नग 50 रुपये में बेचते हैं. इसी कमाई से ही बच्चों की पढ़ाई कराते हैं. कुम्हारों ने बताया कि उनके पास खेती किसानी के लिए कोई जमीन नहीं है. रोजगार का मुख्य स्त्रोत मिट्टी से बर्तन बनाना ही है.

कुम्हारों की करें मदद

अब इन कुम्हारों की सरकार से ही आस है. ईटीवी भारत भी आपसे यहीं अपील करता है कि लोकल फोर वोकल को प्रमोट करें और इस दीपावली इनके जैसे सभी छोटे कुम्हारों से दिये की खरीदी करें, ताकि इनका घर भी रोशन हो सके.

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