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जांजगीर चांपा में नागपंचमी पर नगमत का आयोजन, लोग सांप की तरह लोटते हैं जमीन पर !

छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में नागपंचमी के दिन मेला लगता है. जहां नागपंचमी त्यौहार को विशेष तरह से मनाया जाता है. दिन भर पूजा अर्चना के बाद ग्रामीण अंचल में नगमत का आयोजन किया जाता है. जिसमें लोग बैगा के मंत्रों पर सांपों की तरह जमीन पर लोटते (People become snakes on Nag Panchami in janjgir champa) दिखाई देते हैं.

nagpanchmi 2022
जांजगीर चांपा में नाग पंचमी
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Published : Aug 2, 2022, 11:11 PM IST

जांजगीर चांपा: नागपंचमी का त्यौहार देश भर में धूम धाम के साथ मनाया जाता है. इस त्यौहार को मानने की हर जगह पर अलग अलग रीति रिवाज है. छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में भी नागपंचमी को खास तरह से मनाया जाता है और दिन भर पूजा अर्चना के बाद ग्रामीण अंचल में नगमत का आयोजन किया जाता है. जिसमें गांव के बैगा और उनकी टीम गाजा बाजा के साथ अपने मंत्र को दोहराते हैं और सांप की तरह लोटते हुए आदमी (People become snakes on Nag Panchami in janjgir champa) को मंत्र से नियंत्रण करते हैं. इसे देखने के लिए आस पास के गांव के लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है.

जांजगीर चांपा में नाग पंचमी
हर साल लगता है गांव के चौराहे में 'नगमत': जांजगीर चांपा जिला के पेंड्री गांव में आज नागपंचमी (nagpanchmi 2022) के दिन नगमत पूजा की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. इस परंपरा को आज भी गांव के लोग मना रहे हैं. शाम चार बजे गांव के चौराहे पर बैगा संत राम कश्यप ने बेल के पीढ़ा में गुरु गद्दी की स्थापना कर पूजा शुरू की और उनके शिष्यों ने भी नारियल अगरबत्ती जला कर पूजा की. जिसके बाद बैगा ने मंत्र पढ़ कर नगमत की शुरुआत की. जिसके बाद लोग मंत्र सुन कर एक के बाद एक नाग की तरह जमीन में लोटने लगे और हरकतें भी सांप की तरह (People become snakes on Nag Panchami) करने लगे. सर्प बने ग्रामीणों के साथ परिक्रमा करने के बाद बैगा ने एक एक कर सभी को दूध और लाई का भोग कराया.

यह भी पढ़ें: Nag Panchami 2022: 'नागिन' से लेकर 'हिस्स' तक बनी ये मिस्ट्री फिल्में, डालें एक नजर

नाग देव के पूजा की है मान्यता: इस मौके पर न केवल पूरा गांव, बल्कि आसपास के लोग नगमत देखने पहुंचते हैं. इस दिन खेतों में कृषि कार्य बंद रहता है. अच्छी फसल की कामना के लिए किए जाने वाली इस पूजा के पीछे सर्पदंश से जुड़ी किवदंती भी है कि इस गांव में आज तक कभी सर्प दंश से किसी ग्रामीण की मौत (nagpanchmi 2022) नहीं हुई.

ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग सर्प दंश में बैगा पर विशेष रूप से विश्वास करते है. जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल जगत ने पुरानी परंपरा और ग्रामीणों की आस्था पर कुछ कहा तो नहीं, लेकिन कहा कि "इस तरह के आयोजन को सिर्फ मनोरंजन के रूप में ही लेने चाहिए और अगर किसी को सांप काटे, तो बैगा गुनिया के पास जाने के बजाय अस्पताल में डॉक्टरी उपचार की ही सबसे अच्छा उपाय है."

जांजगीर चांपा: नागपंचमी का त्यौहार देश भर में धूम धाम के साथ मनाया जाता है. इस त्यौहार को मानने की हर जगह पर अलग अलग रीति रिवाज है. छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में भी नागपंचमी को खास तरह से मनाया जाता है और दिन भर पूजा अर्चना के बाद ग्रामीण अंचल में नगमत का आयोजन किया जाता है. जिसमें गांव के बैगा और उनकी टीम गाजा बाजा के साथ अपने मंत्र को दोहराते हैं और सांप की तरह लोटते हुए आदमी (People become snakes on Nag Panchami in janjgir champa) को मंत्र से नियंत्रण करते हैं. इसे देखने के लिए आस पास के गांव के लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है.

जांजगीर चांपा में नाग पंचमी
हर साल लगता है गांव के चौराहे में 'नगमत': जांजगीर चांपा जिला के पेंड्री गांव में आज नागपंचमी (nagpanchmi 2022) के दिन नगमत पूजा की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. इस परंपरा को आज भी गांव के लोग मना रहे हैं. शाम चार बजे गांव के चौराहे पर बैगा संत राम कश्यप ने बेल के पीढ़ा में गुरु गद्दी की स्थापना कर पूजा शुरू की और उनके शिष्यों ने भी नारियल अगरबत्ती जला कर पूजा की. जिसके बाद बैगा ने मंत्र पढ़ कर नगमत की शुरुआत की. जिसके बाद लोग मंत्र सुन कर एक के बाद एक नाग की तरह जमीन में लोटने लगे और हरकतें भी सांप की तरह (People become snakes on Nag Panchami) करने लगे. सर्प बने ग्रामीणों के साथ परिक्रमा करने के बाद बैगा ने एक एक कर सभी को दूध और लाई का भोग कराया.

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नाग देव के पूजा की है मान्यता: इस मौके पर न केवल पूरा गांव, बल्कि आसपास के लोग नगमत देखने पहुंचते हैं. इस दिन खेतों में कृषि कार्य बंद रहता है. अच्छी फसल की कामना के लिए किए जाने वाली इस पूजा के पीछे सर्पदंश से जुड़ी किवदंती भी है कि इस गांव में आज तक कभी सर्प दंश से किसी ग्रामीण की मौत (nagpanchmi 2022) नहीं हुई.

ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग सर्प दंश में बैगा पर विशेष रूप से विश्वास करते है. जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल जगत ने पुरानी परंपरा और ग्रामीणों की आस्था पर कुछ कहा तो नहीं, लेकिन कहा कि "इस तरह के आयोजन को सिर्फ मनोरंजन के रूप में ही लेने चाहिए और अगर किसी को सांप काटे, तो बैगा गुनिया के पास जाने के बजाय अस्पताल में डॉक्टरी उपचार की ही सबसे अच्छा उपाय है."

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