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जांजगीर-चांपाः धान के उठाव में लेटलतीफी, कई क्विंटल धान बारिश में बर्बाद

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Published : May 16, 2020, 2:25 PM IST

Updated : May 16, 2020, 3:50 PM IST

जांजगीर-चांपा के खरीदी केंद्रों से अब तक धान का उठाव नहीं हो पाया है, जिसके कारण कई क्विंटल धान खरीदी केंद्रों में ही बर्बाद हो रहा है. इस संबंध में अधिकारियों ने बेमौसम बारिश को जिम्मेदार ठहराया है.

Delay in paddy lifting
धान के उठाव में लेटलतीफी

जांजगीर-चांपाः जिले के खरीदी केंद्रों से अब तक धान का उठाव नहीं हो पाया है, जिसके कारण कई क्विंटल धान, खरीदी केंद्रों में ही बर्बाद हो रहा है. जिले के धान खरीदी केंद्रों में अभी भी 17 सौ क्विंटल धान खुले आसमान के नीचे पड़ा है. इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि बेमौसम बारिश के कारण धान के उठाव में देरी हुई है.

धान के उठाव में देरी

जांजगीर-चांपा धान उत्पादक जिला है, जहां प्रदेश का सबसे अधिक धान उत्पादन होता है. धान उठाव को लेकर यहां हमेशा से चुनौती रही है, लेकिन 4 महीने बीत जाने के बाद भी खरीदी केंद्रों से धान उठाव नहीं हो पाया है. इसे लेकर कॉपरेटिव सोसायटी के अधिकारियों ने बेमौसम बारिश को जिम्मेदार ठहराया है.

जिम्मेदारों ने बारिश को बताया कारण

अधिकारियों का कहना है कि जिले के आठ सोसाइटी में 17 सौ क्विंटल धान जाम पड़ा है. जबकी फरवरी माह के बाद अब तक लगभग 3 महीने से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी धान का उठाव नहीं हो पाया है.

बारिश की वजह से धान उठाव नहीं हुआ, तो खरीदी केंद्रों में धान बर्बाद हो जाएगा. वैसे भी प्रदेश में बेमौसम बारिश के कारण पहले से ही कई क्विंटल धान का नुकसान हो चुका है. इसके बावजूद उठाव में देरी हो रही है. वहीं अधिकारी मामले में जल्द से जल्द निराकरण करने की बात कह रहे हैं.

पढ़ेंः-महासमुंद: प्रशासन की बड़ी लापरवाही, 10 लाख क्विंटल धान बर्बाद

बता दें महासमुंद जिले में ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है, जहां 10 लाख क्विंटल से भी ज्यादा धान बारिश में भींग कर सड़ने की कगार पर पहुंच गया है. पिछले दो महीने से बेमौसम बारिश के कारण खुले में पड़ा लाखों का धान भींग कर सड़ने लगा है. कई जगहों पर धान अंकुरित भी हो गया है.

जांजगीर-चांपाः जिले के खरीदी केंद्रों से अब तक धान का उठाव नहीं हो पाया है, जिसके कारण कई क्विंटल धान, खरीदी केंद्रों में ही बर्बाद हो रहा है. जिले के धान खरीदी केंद्रों में अभी भी 17 सौ क्विंटल धान खुले आसमान के नीचे पड़ा है. इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि बेमौसम बारिश के कारण धान के उठाव में देरी हुई है.

धान के उठाव में देरी

जांजगीर-चांपा धान उत्पादक जिला है, जहां प्रदेश का सबसे अधिक धान उत्पादन होता है. धान उठाव को लेकर यहां हमेशा से चुनौती रही है, लेकिन 4 महीने बीत जाने के बाद भी खरीदी केंद्रों से धान उठाव नहीं हो पाया है. इसे लेकर कॉपरेटिव सोसायटी के अधिकारियों ने बेमौसम बारिश को जिम्मेदार ठहराया है.

जिम्मेदारों ने बारिश को बताया कारण

अधिकारियों का कहना है कि जिले के आठ सोसाइटी में 17 सौ क्विंटल धान जाम पड़ा है. जबकी फरवरी माह के बाद अब तक लगभग 3 महीने से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी धान का उठाव नहीं हो पाया है.

बारिश की वजह से धान उठाव नहीं हुआ, तो खरीदी केंद्रों में धान बर्बाद हो जाएगा. वैसे भी प्रदेश में बेमौसम बारिश के कारण पहले से ही कई क्विंटल धान का नुकसान हो चुका है. इसके बावजूद उठाव में देरी हो रही है. वहीं अधिकारी मामले में जल्द से जल्द निराकरण करने की बात कह रहे हैं.

पढ़ेंः-महासमुंद: प्रशासन की बड़ी लापरवाही, 10 लाख क्विंटल धान बर्बाद

बता दें महासमुंद जिले में ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है, जहां 10 लाख क्विंटल से भी ज्यादा धान बारिश में भींग कर सड़ने की कगार पर पहुंच गया है. पिछले दो महीने से बेमौसम बारिश के कारण खुले में पड़ा लाखों का धान भींग कर सड़ने लगा है. कई जगहों पर धान अंकुरित भी हो गया है.

Last Updated : May 16, 2020, 3:50 PM IST
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