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जांजगीर-चांपा : किसान ऋण पुस्तिका की आपूर्ति पिछले 8 माह से ठप, किसान हो रहे परेशान - जांजगीर-चांपा में किसान परेशान

छत्तीसगढ़ में पिछले 8 माह से किसान ऋण पुस्तिका की छपाई नहीं हो पा रही है, जिसकी वजह से किसान परेशान हैं.

पटवारी कार्यालय के चक्कर लगाने मजबूर किसान
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Published : Oct 7, 2019, 3:23 PM IST

Updated : Oct 7, 2019, 4:10 PM IST

जांजगीर-चांपा: प्रदेशभर में पिछले आठ महीने से किसान ऋण पुस्तिका यानी किसान भू-स्वामी अधिकार पुस्तिका की छपाई नहीं हो पा रही है. यही कारण है कि इन दिनों पटवारी कार्यालय में किसानों की भीड़ जमा हो रही है. किसानों के लिए बड़ी चिंता यह है कि बिना इस पुस्तिका के किसान अपना उत्पादित धान भी नहीं बेच पाएंगे.

किसान ऋण पुस्तिका की आपूर्ति पिछले 8 माह से ठप

वह किसान जो पुरानी भू-अधिकार पुस्तिका के बदले नई पुस्तिका बनवाते हैं या फिर जमीन की खरीदी-बिक्री और पैतृक भूमि बंटवारे के बाद भूमि स्वामित्व के लिए यह पुस्तिका बनाई जाती है. बिना भू-स्वामित्व पुस्तिका के सहकारी समितियों में पंजीयन नहीं हो पा रहा है.

लगाने पड़ रहे पटवारी कार्यालय के चक्कर
बिना भूमि स्वामित्व पुस्तिका के जहां किसानों के दूसरे कार्य भी नहीं हो पा रहे हैं. वहीं धान की बिक्री के लिए भी उन्हें परेशानी होगी. यही वजह है कि आजकल पटवारी कार्यालय में बड़ी संख्या में किसान भू-स्वामित्व पुस्तिका पाने के लिए चक्कर लगा रहे हैं.

10 हजार से ज्यादा पुस्तिका की जरूरत

स्थिति यह है कि अकेले जांजगीर जिले में 10 हजार से ज्यादा भूमि स्वामित्व पुस्तिका की जरूरत है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेशभर में कितने किसान बिना भूमि स्वामित्व पुस्तिका के भटक रहे हैं?

इस संबंध में अधिकारियों से बात करने पर उन्होंने दबी जुबान से बताया कि, 'लगातार चुनाव के कारण सहकारी मुद्रणालय में भूमि स्वामित्व पुस्तिका की छपाई नहीं हो पा रही है और आने वाले दिनों में भी स्थानीय निकाय चुनाव के कारण यह पुस्तिका की आपूर्ति की संभावना नहीं के बराबर है.'

पढ़ें- GOOD NEWS: जशपुर में मिली तितलियों की तीन नई प्रजातियां

ऐसे में किसानों की परेशानी कम होने के बजाय बढ़ने वाली है, क्योंकि सहकारी मुद्रणालय में चुनाव से संबंधित कार्य होते हैं यही कारण है कि अन्य कार्यों को प्राथमिकता नहीं दी जाती.

जांजगीर-चांपा: प्रदेशभर में पिछले आठ महीने से किसान ऋण पुस्तिका यानी किसान भू-स्वामी अधिकार पुस्तिका की छपाई नहीं हो पा रही है. यही कारण है कि इन दिनों पटवारी कार्यालय में किसानों की भीड़ जमा हो रही है. किसानों के लिए बड़ी चिंता यह है कि बिना इस पुस्तिका के किसान अपना उत्पादित धान भी नहीं बेच पाएंगे.

किसान ऋण पुस्तिका की आपूर्ति पिछले 8 माह से ठप

वह किसान जो पुरानी भू-अधिकार पुस्तिका के बदले नई पुस्तिका बनवाते हैं या फिर जमीन की खरीदी-बिक्री और पैतृक भूमि बंटवारे के बाद भूमि स्वामित्व के लिए यह पुस्तिका बनाई जाती है. बिना भू-स्वामित्व पुस्तिका के सहकारी समितियों में पंजीयन नहीं हो पा रहा है.

लगाने पड़ रहे पटवारी कार्यालय के चक्कर
बिना भूमि स्वामित्व पुस्तिका के जहां किसानों के दूसरे कार्य भी नहीं हो पा रहे हैं. वहीं धान की बिक्री के लिए भी उन्हें परेशानी होगी. यही वजह है कि आजकल पटवारी कार्यालय में बड़ी संख्या में किसान भू-स्वामित्व पुस्तिका पाने के लिए चक्कर लगा रहे हैं.

10 हजार से ज्यादा पुस्तिका की जरूरत

स्थिति यह है कि अकेले जांजगीर जिले में 10 हजार से ज्यादा भूमि स्वामित्व पुस्तिका की जरूरत है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेशभर में कितने किसान बिना भूमि स्वामित्व पुस्तिका के भटक रहे हैं?

इस संबंध में अधिकारियों से बात करने पर उन्होंने दबी जुबान से बताया कि, 'लगातार चुनाव के कारण सहकारी मुद्रणालय में भूमि स्वामित्व पुस्तिका की छपाई नहीं हो पा रही है और आने वाले दिनों में भी स्थानीय निकाय चुनाव के कारण यह पुस्तिका की आपूर्ति की संभावना नहीं के बराबर है.'

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ऐसे में किसानों की परेशानी कम होने के बजाय बढ़ने वाली है, क्योंकि सहकारी मुद्रणालय में चुनाव से संबंधित कार्य होते हैं यही कारण है कि अन्य कार्यों को प्राथमिकता नहीं दी जाती.

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O प्रदेश में किसान ऋण पुस्तिका की आपूर्ति पिछले 8 महीनों से ठप
O बड़ी संख्या में किसान पटवारी कार्यालय में लगाते हैं रोज चक्कर
O बगैर ऋण पुस्तिका किसान नहीं बेच पाएंगे अपना धान
O दबी जबान से अफसर कहते हैं लगातार चुनाव के कारण मुद्रणालय में नहीं छप पा रहा है ऋण पुस्तिका
0 किसान ऋण पुस्तिका को लेकर अभी भी संशय की स्थिति

INTRO-
प्रदेश भर में पिछले 8 महीने से किसान ऋण पुस्तिका यानी किसान भूस्वामी अधिकार पुस्तिका की छपाई नहीं हो पा रही है। यही कारण है कि इन दिनों पटवारी कार्यालय में किसानों की भीड़ जमा हो रही है, लेकिन प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं है क्योंकि भूस्वामी अधिकार पुस्तिका के आपूर्ति की कोई जानकारी नहीं मिल रही है। किसानों के लिए बड़ी चिंता यह है की बगैर इस पुस्तिका के किसान अपना उत्पादित धान भी नहीं बेच पाएंगे।
Body-
किसानों के भू-अधिकार पुस्तिका की छपाई पिछले 8 महीनों से प्रदेश में नहीं हो पा रही है। यही कारण है कि किसान आने वाले कुछ दिनों में अपनी उत्पादित धान की बिक्री नहीं कर पाने को लेकर चिंतित हैं ।दरअसल, वह किसान जो पुरानी भू-अधिकार पुस्तिका के बदले नई पुस्तिका बनवाते हैं या फिर जमीन की खरीद- बिक्री और पैतृक भूमि बंटवारे के बाद भूमि स्वामित्व के लिए यह पुस्तिका बनाई जाती है । लेकिन बिना भू स्वामित्व पुस्तिका के सहकारी समितियों में पंजीयन नहीं हो पा रहा है। बगैर भूमि स्वामित्व पुस्तिका के एक तरफ अन्य कार्य भी किसानों के नहीं हो पा रहे हैं । वहीं धान बिक्री के लिए भी उन्हें परेशानी होगी। यही कारण है कि आज काल पटवारी कार्यालय में बड़ी संख्या में किसान भू-स्वामित्व पुस्तिका पाने के लिए चक्कर लगा रहे हैं ।स्थिति यह है कि अकेले जांजगीर जिले में 10 हजार से अधिक भूमि स्वामित्व पुस्तिका की आवश्यकता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश भर में कितने किसान बिना भूमि स्वामित्व पुस्तिका के भटक रहे हैं? इस संबंध में अधिकारियों से बात करने पर दबी जबान से उन्होंने बताया कि लगातार चुनाव के कारण सहकारी मुद्रणालय में भूमि स्वामित्व पुस्तिका की छपाई नहीं हो पा रही है और आने वाले दिनों में भी स्थानीय निकाय चुनाव के कारण यह पुस्तिका की आपूर्ति की संभावना नहीं के बराबर है। ऐसे में किसानों की परेशानी कम होने के बजाय बढ़ने वाली है। क्योंकि सहकारी मुद्रणालय में चुनाव से संबंधित कार्य होते हैं यही कारण है कि अन्य कार्यों को प्राथमिकता नहीं दी जाती।

बाइट - सुमन तिवारी ,‌ किसान
बाइट- कमलेश , किसान
बाइट- योगिता अहूजा, पटवारी
बाइट -आर पी अचला, एसडीएम, पामगढ़

कंक्लूजन-
किसानों की यह समस्या सामान्य नहीं है। इस मामले में राजस्व विभाग और राज्य सरकार क्यों उदासीन है यह समझ से परे है। प्रदेश में लाखों की संख्या में किसान भू स्वामित्व पुस्तिका के इंतजार में है। किसानों की इस समस्या को लेकर राज्य सरकार को तत्परता से कार्रवाई करनी चाहिए।

अखिल पांडे ईटीवी भारत. जांजगीर चांपा

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Last Updated : Oct 7, 2019, 4:10 PM IST
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