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जांजगीर-चांपा : 71 साल से मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे कानाकोट के लोग - जांजगीर चांपा

जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम कानाकोट में ग्रामीण आज भी बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे हैं.

no development work in Kanakot  Village of janjgir champa
बुनियादी सुविधाओं की कमी
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Published : Jan 6, 2020, 12:47 PM IST

जांजगीर-चांपा : चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र का ग्राम कानाकोट बरसों से विकास की बांट जोह रहा है. आदिवासी बहुल ग्राम कनाकोट आजादी के 71 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है. इस आदिवासी बहुल गांव की आबादी लगभग है 700 की है, लेकिन ग्रामीणों ने आज तक गांव में डामर और कांक्रीट की सड़क तक नहीं देखी है.

पैकेज.

ग्रामीणों ने बताया कि गांव की गलियां बरसात में कीचड़ से सराबोर हो जाती हैं. गांव की सड़कों पर पैदल चलना भी दूभर हो जाता है. वहीं गांव में पेयजल की भी सुविधा नहीं है. गांव की महिलाएं पानी के लिए 1 से 2 किलोमीटर पैदल चलती हैं तब जाकर उन्हें पेयजल नसीब होता है.

पढ़ें :जांजगीर-चांपा: बेमौसम बारिश से खराब हो रहा धान, किसान हो रहे परेशान

गांव में मुक्तिधाम की व्यवस्था तक नहीं

ग्रामीणों को आज तक नल-जल योजना का लाभ नहीं मिला. आंगनबाड़ी भवन, सामुदायिक भवन और सांस्कृतिक भवन का निर्माण अब तक नहीं हुआ है. ग्रामीणों को विवाह या प्रीतिभोज के लिए घरों के बरामदे और गलियों का सहारा लेना पड़ता है. गांव में मुक्तिधाम की व्यवस्था तक नहीं है.

ग्राम औद्योगिक क्षेत्र के पास है. RKS पॉवर जेन कंपनी ने ग्रामीणों को विकास का सपना दिखाकर जमीन, तो ली लेकिन सारे वादे धरे के धरे रह गए.

सुविधाओं की राह ताक रहे ग्रामीण

ग्रामीणों ने विधायक, सांसद, कलेक्टर और मंत्रियों से गांव की समस्याओं की शिकायत कई बार की, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. कानाकोट के ग्रामीण आज भी बुनियादी सुविधाओं की राह ताक रहे हैं.

जांजगीर-चांपा : चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र का ग्राम कानाकोट बरसों से विकास की बांट जोह रहा है. आदिवासी बहुल ग्राम कनाकोट आजादी के 71 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है. इस आदिवासी बहुल गांव की आबादी लगभग है 700 की है, लेकिन ग्रामीणों ने आज तक गांव में डामर और कांक्रीट की सड़क तक नहीं देखी है.

पैकेज.

ग्रामीणों ने बताया कि गांव की गलियां बरसात में कीचड़ से सराबोर हो जाती हैं. गांव की सड़कों पर पैदल चलना भी दूभर हो जाता है. वहीं गांव में पेयजल की भी सुविधा नहीं है. गांव की महिलाएं पानी के लिए 1 से 2 किलोमीटर पैदल चलती हैं तब जाकर उन्हें पेयजल नसीब होता है.

पढ़ें :जांजगीर-चांपा: बेमौसम बारिश से खराब हो रहा धान, किसान हो रहे परेशान

गांव में मुक्तिधाम की व्यवस्था तक नहीं

ग्रामीणों को आज तक नल-जल योजना का लाभ नहीं मिला. आंगनबाड़ी भवन, सामुदायिक भवन और सांस्कृतिक भवन का निर्माण अब तक नहीं हुआ है. ग्रामीणों को विवाह या प्रीतिभोज के लिए घरों के बरामदे और गलियों का सहारा लेना पड़ता है. गांव में मुक्तिधाम की व्यवस्था तक नहीं है.

ग्राम औद्योगिक क्षेत्र के पास है. RKS पॉवर जेन कंपनी ने ग्रामीणों को विकास का सपना दिखाकर जमीन, तो ली लेकिन सारे वादे धरे के धरे रह गए.

सुविधाओं की राह ताक रहे ग्रामीण

ग्रामीणों ने विधायक, सांसद, कलेक्टर और मंत्रियों से गांव की समस्याओं की शिकायत कई बार की, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. कानाकोट के ग्रामीण आज भी बुनियादी सुविधाओं की राह ताक रहे हैं.

Intro:स्लग:- विकास से कोसों दूर ग्राम कानाकोट एंकर:- चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के ब्लॉक डभरा के अंतर्गत ग्राम कानाकोट चहुमुंखी विकास के लिए बरसों से बाट जोह रहा है आदिवासी बाहुल्य ग्राम कनाकोट आजादी के 71 साल बाद भी विकास की किरण नहीं पहुंच पाई है ग्राम पंचायत निमोही के आश्रित ग्राम कानाकोट की आबादी लगभग 700 के करीब है यहां गांव में अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोग बरसों से निवास करते हैं आदिवासी बाहुल्य गांव 5 वार्ड में विभाजित है गांव में 5 पंच परमेश्वर चुने जाते हैं आजादी के 71साल बाद भी गांव की गलियों का सीमेंट कांक्रीट सड़क आज तक नहीं बना ।। गांव की गलियां बरसात में कीचड़ से सराबोर हो जाता है बारिश के दिनों में ग्रामीणों नौनिहालों को पैदल चलना भी मुश्किल होता है वही गांव में पेयजल की सुविधा नहीं है ग्रामीण महिलाएं 1 से 2 किलोमीटर दूर बाहर से पीने के लिए पानी लाते हैं आज तक नल जल योजना का लाभ नहीं मिला वही शासन प्रशासन द्वारा आज तक आंगनबाड़ी भवन व सामुदायिक भवन सांस्कृतिक भवन का निर्माण नहीं कराया गया है ग्रामीण किसी की शादी ब्याह या प्रीतिभोज कार्यक्रम के समय घरों के बरामदे व गलियों का सहारा लेते हैं वही देखा जाए तो गांव में मुक्तिधाम तक नहीं है ग्रामवासी शव को खुले में दाह संस्कार करते हैं बारिश के दिनों में भारी तकलीफ होती है स्वास्थ्य सुविधा भी गांव में नहीं है जबकि ग्राम औद्योगिक क्षेत्र के समीप है आरकेएम पावर जेन कंपनी के समीप लगा हुआ हुआ गांव है पावर कंपनी ने ग्रामीणों से गांव में विकास करने का जो सपना दिखाया था युवाओं को रोजगार देने का वायदा कर जमीन खरीद ली परंतु आरकेएम पावर जेन कंपनी द्वारा आज तक सीएसआर मद से फूटी कौड़ी का विकास नही कराया प्रशासन जिला कलेक्टर द्वारा इस गांव के लिए ध्यान दिया जबकि केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा आदिवासी बाहुल्य गांवों के विकास करने की बात कहती है परंतु यहां आजादी के इतने साल बाद भी 1 इंच जमीन में सीसी रोड एवं गांव में कोई विकास नहीं हुआ समस्याएं जस की तस है जब जब विधानसभा व लोकसभा के चुनाव आते हैं क्षेत्र के जनप्रतिनिधि गांव में विकास करने की बड़े-बड़े वायदे करते हैं परंतु सब खोखला साबित हो रहा है। जबकि ग्रामीणों द्वारा क्षेत्रीय विधायक एवं सांसद कलेक्टर एवं मंत्रियों को गांव में विकास के लिए मांग कर चुके हैं फिर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया जबकि सरकार द्वारा आदिवासी बाहुल्य गांव के लिए कई योजनाएं चला रही है फिर भी इस अनुसूचित जनजाति बाहुल्य गांव कानाकोट के लिए सरकारी मद से कोई राशि विकास के लिए स्वीकृति नहीं कही गई आज विकास के लिए ग्राम कानाकोट बाट जोह रहा है बाईट:-किशन साहू युवा ग्रामीण नीला टी शर्ट में। बाईट:- तुलाराम सिदार ग्रामवासी लाइन चेक शर्ट में बाईट:- लक्खीराम सिदार ग्रामवासी सफारी काला ड्रेस में बाईट:-कुमारी बाई सिदार ग्रामवासी चेक साड़ी में बाईट:- शांति बाई सिदार ग्रामवासी लाल साड़ी गमछा मेBody:तटConclusion:यय
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