जांजगीर-चांपा : चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र का ग्राम कानाकोट बरसों से विकास की बांट जोह रहा है. आदिवासी बहुल ग्राम कनाकोट आजादी के 71 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है. इस आदिवासी बहुल गांव की आबादी लगभग है 700 की है, लेकिन ग्रामीणों ने आज तक गांव में डामर और कांक्रीट की सड़क तक नहीं देखी है.
ग्रामीणों ने बताया कि गांव की गलियां बरसात में कीचड़ से सराबोर हो जाती हैं. गांव की सड़कों पर पैदल चलना भी दूभर हो जाता है. वहीं गांव में पेयजल की भी सुविधा नहीं है. गांव की महिलाएं पानी के लिए 1 से 2 किलोमीटर पैदल चलती हैं तब जाकर उन्हें पेयजल नसीब होता है.
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गांव में मुक्तिधाम की व्यवस्था तक नहीं
ग्रामीणों को आज तक नल-जल योजना का लाभ नहीं मिला. आंगनबाड़ी भवन, सामुदायिक भवन और सांस्कृतिक भवन का निर्माण अब तक नहीं हुआ है. ग्रामीणों को विवाह या प्रीतिभोज के लिए घरों के बरामदे और गलियों का सहारा लेना पड़ता है. गांव में मुक्तिधाम की व्यवस्था तक नहीं है.
ग्राम औद्योगिक क्षेत्र के पास है. RKS पॉवर जेन कंपनी ने ग्रामीणों को विकास का सपना दिखाकर जमीन, तो ली लेकिन सारे वादे धरे के धरे रह गए.
सुविधाओं की राह ताक रहे ग्रामीण
ग्रामीणों ने विधायक, सांसद, कलेक्टर और मंत्रियों से गांव की समस्याओं की शिकायत कई बार की, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. कानाकोट के ग्रामीण आज भी बुनियादी सुविधाओं की राह ताक रहे हैं.