जांजगीर-चांपा: मालखरौदा ब्लॉक मुख्यालय में संचालित एकलौता प्रीमैट्रिक अनुसूचित जाति बालक छात्रावास 50 साल से कच्चे भवन में संचालक हो रहा है. हैरत की बात तो यह है कि शासन ने 50 साल से प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति बालक छात्रावास के लिए भवन की स्वीकृति नहीं दी गई है.
मालखरौदा में खपरैल के भवन में संचालित प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति बालक छात्रावास 50 साल से संचालित किया गया है. इस हॉस्टल को खोलने का उद्देश्य यह था कि, इस क्षेत्र के आस-पास के जरूरतमंद गरीब वर्ग के अनुसूचित जाति वर्ग के बच्चों को छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर सकें, लेकिन 50 साल के बाद भी शासन-प्रशासन ने नए छात्रावास भवन की स्वीकृति नहीं दी है.
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इस वजह से ही छात्र में छात्रावास में खपरैलनुमा कच्चे भवन में रहने को मजबूर हैं, जबकि बारिश के दिनों में पानी टपकता है. छात्रावास में बच्चों के लिए कोई सुविधा नहीं है. न तो खेलकूद के लिए मैदान नहीं रहने के लिए अच्छा सा छात्रावास. जबकि विभाग ने खपरैल के जर्जर हो जाने के बाद पुराने भवन के कायाकल्प के नाम से लाखों रुपए खर्च कर रही है.
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छात्रावास भवन के लिए के लिए ग्रामीण क्षेत्रीय विधायक और सांसद को भी अवगत करा चुके हैं. वहीं चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता कवि वर्मा और वरिष्ठ नागरिक मोहन मणि जाटवर ने शासन से प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति बालक छात्रावास के लिए नए भवन की स्वीकृति कर सर्व सुविधा युक्त भवन बनाने की मांग की है. ताकि गरीब वर्ग के बच्चों को ब्लॉक मुख्यालय के छात्रावास में रह कर अच्छी वातावरण में पढ़ाई कर सकें.