जांजगीर चांपा: हावड़ा कुर्ला रेल मार्ग में स्थित अकलतरा विधानसभा छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है. यह सीट छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. अकलतरा विधानसभा सीट की बात की जाए, तो बीजेपी, कांग्रेस और बसपा तीनों का ही इस सीट पर वर्चस्व रहा है. अकलतरा विधानसभा सीट पर हमेशा से दलित और ओबीसी फैक्टर हावी रहा है. विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान अकलतरा में बसपा छोड़कर बीजेपी में आये सौरभ सिंह ने कांग्रेस के चुन्नीलाल साहू को मात दी थी.
अकलतरा विधानसभा को जानिए: अकलतरा विधानसभा सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है. सभी पार्टियां सामाजिक और आर्थिक बैकग्राउंड के आधार पर अपना मजबूत दावेदार मैदान में उतारते आ रहे हैं. पहले अकलतरा सीट कांग्रेसी का गढ़ हुआ करती थी. पूर्व विधायक ठाकुर धीरेन्द्र सिंह, पूर्व विधायक ठाकुर राकेश सिंह ने कांग्रेस के किले को संभाले रखा था. लेकिन राज्य स्थापना के बाद कांग्रेस के ठाकुर राकेश सिंह को बीजेपी के छतराम देवांगन ने हराकर अकलतरा में बीजेपी को स्थापित किया. दो बार जीत हासिल कर चुके छतराम देवांगन को कांग्रेस के चुन्नी लाल साहू ने हराया. लेकिन 2013 के चुनाव मे बसपा से सौरभ सिंह ने बाजी मारी और विधायक चुने गए. फिर 2018 में सौरभ ने बसपा का साथ छोड़कर बीजेपी से चुनावी मौदान में आये और जीत दर्ज की.
अकलतरा विधानसभा का जातिगत समीकरण: इस विधानसभा सीट में वैसे तो पिछड़ा वर्ग की बाहुल्यता है. एससी वर्ग के वोट 33 प्रतिशत हैं, जो मतदाता पहले कांग्रेस के वोटबैंक रहे हैं. वहीं 40 प्रतिशत ओबीसी वर्ग के मतदाता हैं. जिसमें प्रमुख रूप से साहू, कश्यप, यादव, पटेल के साथ अन्य ओबीसी समाज के मतदाता हैं. अनुसूचित जनजाति वर्ग के मतदाता 15 प्रतिशत और जनरल वर्ग के 12 प्रतिशत मतदाता चुनाव में अहम भूमिका निभाते रहे हैं.
अकलतरा सीट पर जीत का फैक्टर: अकलतरा विधानसभा में ओबीसी और एससी वर्ग के मतदाताओं की बाहुल्यता है. जिसके कारण हर प्रत्याशी इन्हीं दो वर्गो को साधने में जुटे रहते हैं. जिस वर्ग से लोग जिस पार्टी को एकतरफा वोट करते है, उस प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित हो जाती है.
अकलतरा विधानसभा में मतदाता: अकलतरा विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 13 हजार 503 मतदाता हैं. जिसमें से पुरुष मतदाता 1 लाख 9 हजार 220 हैं. वही महिला मतदाता 1 लाख 4 हजार 280 हैं. साथ ही थर्ड जेन्डर के भी 3 मतदाता हैं. विधानसभा चुनाव में यहां का मतदान प्रतिशत करीब 74 प्रतिशत तक रहता है. जिसमे महिला वर्ग बढ़ चढ़ कर अपने मताधिकार का प्रयोग करते दिखाई देते हैं.
अकलतरा विधानसभा के मुद्दे और समस्याएं: अकलतरा विधानसभा सभा का बलौदा ब्लॉक घने जंगलों बीच बसा है. जिसके कारण यहां रहने वाले अनुसूचित जनजाति के लोग वन सम्पदा पर ही निर्भर हैं. इन क्षेत्रों में बिजली, पानी, सड़क और चिकित्सा व्यवस्था बदहाल है. बड़े बड़े कोल डिपो, क्रेसर प्लांट और मुरुम खदान हैं, जिससे स्थानीय लोगों को नौकरी कम और प्रदुषण ज्यादा मिलता है. बलौदा क्षेत्र के किसान सिंचाई की समस्या से भी जूझ रहे हैं. नहर का विस्तार नहीं होने के कारण खेती किसानी का काम भी प्रभावित हुआ. हर बार सभी दलों के प्रत्याशी इस समस्या का निराकरण का वादा करते हैं. लेकिन स्थिति जस की तस है. पहले सीसीआई सीमेंट फैक्ट्री के कारण रोजगार के लिए जनता को अच्छा मौका मिला. लेकिन प्लांट के बंद होने के बाद बेरोजगारी और मंदी हावी रहा.
2018 में अकलतरा सीट का रिजल्ट: अकलतरा विधानसभा में राष्ट्रीय दलों के साथ साथ स्थानीय और निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी अपना भाग्य आजमाया. 2018 में बीजेपी से सौरभ सिंह, बसपा और जेसीसीजे से ऋचा जोगी, तो कांग्रेस से चुन्नीलाल साहू समेत 16 प्रत्याशी चुनावी मैदान मे उतरे. जिसमें बीजेपी के सौरभ सिंह ने 60502, दूसरे बसपा और जेसीसीजे की प्रत्याशी ऋचा जोगी 58648 और तीसरे स्थान पर कांग्रेस के चुन्नी लाल साहू ने 27668 वोट हासिल किया. 2018 में सौरभ सिंह ने अकलतरा से 1854 मतों से जीत हासिल की थी.
कांग्रेस, बसपा और बीजेपी से विधायक रहे हैं सौरभ: विधायक सौरभ सिंह कांग्रेसी नेता और अकालतरा के पूर्व विधायक ठाकुर धीरेद्र सिंह के बेटे हैं. जिन्होंने पहले कांग्रेस से अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत की, लेकिन कांग्रेस से दावेदारी नहीं मिलने पर बसपा का दामन थामा और जीत हासिल की. सौरभ सिंह के 5 साल के कार्यकाल में क्षेत्रीय समस्याओं को विधानसभा में प्रमुखता से उठाने और लोगों के समस्या दूर करने के काम को देखकर बीजेपी ने 2018 के चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया. अकलतरा सीट में सौरभ ने 2018 में भी जीत दर्ज की.