जांजगीर चांपा : विधानसभा चुनाव से पहले ही बहुजन समाज पार्टी में बगावती सुर देखने को मिल रहे हैं. जांजगीर चांपा विधानसभा सीट से प्रत्याशी को लेकर पार्टी के कुछ नेताओं ने बगावती सुर अख्तियार कर लिया था.जिसके बाद जांजगीर चांपा विधानसभा अध्यक्ष इतवारी खूंटे ने प्रत्याशी बदलने की मांग उठाई. लिखित में आवेदन देकर इतवारी खूंटे ने जिलाध्यक्ष को प्रत्याशी के बाहरी होने के आरोप लगाए थे. इसके बाद भी जब प्रत्याशी नहीं बदला गया तो इतवारी खूंटे ने 100 कार्यकर्ताओं के साथ सामूहिक इस्तीफा दे दिया.इस कदम के बाद बसपा के जिलाध्यक्ष रोहित डहरिया ने इतवारी खूंटे समेत तीन पदाधिकारियों को पार्टी से निष्कासित कर दिया.
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प्रत्याशी बदलने की मांग : आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव को लेकर इस बार बहुजन समाजवादी पार्टी ने सबसे पहले अपनी पार्टी के 9 प्रत्याशियों की घोषणा की है. जिसमें राधेश्याम सूर्यवंशी को जांजगीर चाम्पा विधानसभा से प्रत्याशी घोषित किया है.इस दौरान पार्टी ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से गठबंधन करके पूरी 90 विधानसभाओं में प्रत्याशी घोषित करने का ऐलान भी किया है. लेकिन आचार संहिता लगने से पहले ही प्रत्याशी चयन को लेकर पार्टी में दरार पड़ने लगी. नवागढ़ क्षेत्र के 100 कार्यकर्ताओं ने जांजगीर चांपा का प्रत्याशी नहीं बदलने पर सामूहिक इस्तीफा दे दिया.
100 कार्यकर्ताओं का सामूहिक इस्तीफा : जांजगीर चांपा विधानसभा के बसपा अध्यक्ष इतवारी खूंटे ने बसपा प्रदेश अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष को लिखित रूप से आवेदन कर जांजगीर चांपा विधानसभा के प्रत्याशी को बदलने की मांग की थी.जिस पर प्रदेश प्रभारी ने जिलाध्यक्ष रोहित डहरिया को कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से बैठक कर रिपोर्ट मांगी थी.लेकिन जिलाध्यक्ष ने बैठक नहीं बुलाई.इसके साथ ही पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की भी नहीं सुनी.जिससे नाराज होकर विधानसभा अध्यक्ष इतवारी खूंटे ने अपने 100 कार्यकर्ताओं के साथ सामूहिक इस्तीफा दे दिया.
बगावत के खिलाफ पार्टी का एक्शन : बसपा में उठे इस बगावती तूफान को देखते हुए जिलाध्यक्ष रोहित डहरिया ने कड़ी कार्रवाई करते हुए विधानसभा अध्यक्ष इतवारी खूंटे समेत तीन पदाधिकारियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. रोहित डहरिया के मुताबिक पार्टी के अंदर बगावत करने वालों के लिए ये एक संदेश है.
'' पार्टी ने सोच समझ और सर्वे के बाद पार्टी के हित में जीतने वाले प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारा है. प्रत्याशी को जीताने के लिए कार्यकर्ता एकजुट हैं, पार्टी के नियम और कानून को नहीं मानने वालों को समय से पहले ही हटा दिया गया है.'' रोहित डहरिया,जिलाध्यक्ष
आपको बता दें कि बहुजन समाज पार्टी को अनुशासित पार्टी और केडर बेस पार्टी माना जाता हैं. लेकिन इस विधानसभा चुनाव से पहले ही पार्टी के पदाधिकारियों ने बगावत का बिगुल फूंका है.जिसके बाद अब बसपा के लिए विरोधियों से लड़ने से ज्यादा पार्टी के अंदर उठ रहे विरोध के स्वर को शांत करना एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है.