सक्ती: जिले में भूमाफिया इस कदर बेलगाम हो चुके हैं की अब अधिकारी भी इनके सामने बौने पड़ते दिख रहे हैं. अधिकारियों की उदासीनता के चलते भूमाफियाओं के हौसले और बढ़ गए हैं. भूमाफिया ने पहले धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग कर दी. अब प्रशासनिक कमजोरी की वजह से वहां मकान भी बना रहे हैं. लेकिन प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है.
अवैध प्लाटिंग सूची में आखिर क्यों नहीं है नाम: गांगत डबरी तालाब के पीछे कांग्रेस नेता आनंद अग्रवाल और उसके भाई की जमीन है. जिसे टीएनसीपी नियम के विरुद्ध जाकर अवैध रूप से प्लाटिंग कर के बेच दिया गया है. मामले की शिकायत पर जांच भी हुई थी. लेकिन जांच रिपोर्ट को सरकारी फाइलों से ही गायब करा दिया गया. सरकारी विभाग के ही एक कर्मचारी ने नाम ना बताने की शर्त में जानकारी दी की आनंद अग्रवाल और उसके भाई का नाम भी अवैध प्लाटिंग वाली सूची में थी. लेकिन उस रिपोर्ट को फाइल से गायब कैसे करा दिया गया ये समझ से परे है.
"गांगत डबरी तालाब के पीछे अवैध प्लाटिंग की जानकारी हमें मिली है. तहसीलदार के जांच के बाद रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी." -पंकज डाहीरे, एसडीएम सक्ती
शासन को लगा रहे करोड़ों का चूना: अवैध प्लाटिंग के इस कारोबार में जहां शासन को हर साल करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है. वहीं भूमाफियाओं को इस अवैध धंधें में कोई डर नहीं है. टीएनसीसी के सारे नियम कानून केवल कागजों पर ही सिमट चुके हैं. टीएनसीपी भी इनके इस गोरख धंधे में चुप्पी साधे हुए है. जबकि कृषि भूमि को आवासीय प्लॉट बना कर बेचने के लिए ना तो जमीन का डायवर्जन कराया जा रहा है, ना ही टीएनसीपी के गाइडलाइन का पालन किया गया है.