जांजगीर-चांपाः जिले में 196 सहकारी समितियों के 230 उपार्जन केंद्र हैं. सभी उपार्जन केंद्रों के सैकड़ों कर्मचारियों ने 3 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. कलेक्ट्रेट का घेराव करने जा रहे कर्मचारियों को बीच रास्ते में ही बैरिकेडिंग कर रोका गया. जिसके बाद कर्मचारियों ने सड़क पर बैठकर अपनी आवाज बुलंद की
सहकारी समिति कर्मचारियों की मांग
कर्मचारियों ने धान का शीघ्र उठाव, सुरक्षा और प्रासंगिक व्यय में वृद्धि की मांग की है. साल में दर्जनों कर्मचारियों पर समिति में धान कम पाए जाने का आरोप लगाकर कार्रवाई की जाती है. जिसको लेकर समिति कर्मचारियों के अंदर आंदोलन को लेकर भय भी है.
धान खरीदी को लेकर शासन का नियम
शासन का नियम है कि, धान खरीदी 72 घंटे में समितियों से धान का उठाव भी सुनिश्चित होना चाहिए. धान खरीदी की अंतिम तारीख 31 जनवरी थी. सप्ताह भर से ज्यादा बीत जाने के बाद भी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 20 लाख 35 हजार क्विंटल धान का उठाव होना बाकी है. धान गर्मी की वजह से लगातार सूख रहा है और वजन में कमी आ रही है. धान की मात्रा में कमी की जिम्मेदारी कर्मचारियों पर तय होती है. सुरक्षा और प्रासंगिक व्यय भी सरकार बहुत कम देती है. जिससे धान के रखरखाव में भी परेशानी होती है.
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सही समय पर नहीं हुआ धान का उठाव
जांजगीर चांपा जिले में 1 लाख 83 हजार 529 किसानों से प्रदेश मे सर्वाधिक 79 लाख 82 हजार क्विंटल धान खरीदा गया है. लेकिन विपणन विभाग राईस मिलरों से उठाव समय पर नहीं करा पा रही है. समिति कर्मचारियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. समिति कर्मचारियों के आंदोलन को आश्वासन के दम पर सोमवार को समाप्त करा दिया गया है. अधिकारी कोई पुख्ता जवाब कर्मचारियों की मांगों पर नहीं दे पाए हैं. नहीं आंदोलन दोबारा भी हो सकता है इस पर कोई संशय नही है.