जांजगीर चांपा: मड़वा पावर प्लांट के 40 भू विस्थापित परिवार के मजदूरों को ठेकेदार ने नौकरी से निकाल दिया है. श्रमिक के रूप में काम कर रहे भू विस्थापित नौकरी से निकाले जाने के बाद रोजी रोटी के संकट से जूझ रहे हैं. जमीन प्लॉट को देने के बाद जीवन यापन के लिए मजदूरों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंच कर मदद की गुहार लगाई है. फिर से नौकरी नहीं मिलने पर 14 दिन बाद रेल रोकने की चेतावनी भी कर्मचारियों ने दी है.
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भू-विस्थापितों की समस्या जस की तस: छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बिजली उत्पादन के लिए जांजगीर चांपा में मड़वा प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहित की गई थी. भू-अधिग्रहण नीति के तहत भू विस्थापितों को नौकरी या रोजगार मुहैया कराने का वादा किया गया था. लेकिन अभी तक भू विस्थापितों की सुनवाई नहीं हो सकी है. मड़वा प्लांट के भू विस्थापितों की समस्या जस की तस बनी हुई है. 40 दिन पहले ठेकेदार के अंदर काम कर रहे महिला-पुरुष मजदूरों को ठेकेदार ने भी नौकरी से निकाल दिया है. 270 रूपये प्रति दिन मेहनताना पाने वाले श्रमिकों को नौकरी से निकाल दिए जाने से उनके परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है.
प्लांट प्रबंधन और ठेकेदार की मनमानी के खिलाफ आंदोलन: वहीं मजदूरों ने अपनी समस्या को लेकर प्लांट प्रबंधन से बात करने की कोशिश की. लेकिन प्रबंधन से कोई जवाब नहीं मिला. जिसके कारण श्रमिकों ने एटक संगठन के साथ मिलकर अपनी मांग को पूरा कराने में जुट गए है. एटक के पदाधिकारियों ने प्लांट प्रबंधन और ठेकेदार की मनमानी की खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है.
भू-विस्थापितों में बढ़ा आक्रोश: मड़वा प्लांट में काम कर रहे 40 ठेका श्रमिकों को नौकरी से हटाने के मामले में एक बार फिर भू विस्थापितों का आक्रोश बढ़ने लगा है. मजदूरों ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगा कर अपना अधिकार दिलाने की मांग की है. मजदूरों की मांग और समस्या को देखते हुए कलेक्टर ने मंगलवार को वार्ता कर समस्या दूर करने का आश्वासन दिया है. जिला प्रशासन के आश्वासन के बाद भू-विस्थापित मजदूरों को उम्मीद की किरण नजर आ रही है.