जांजगीर-चांपा: देश को आजाद हुए 7 दशक बीत गया, लेकिन चंद्रपुर क्षेत्र बंसतपुर गांव के लोगों को बुनियादी सुविधाएं आज तक मुहैया नहीं हुई. लोग आज भी नरक जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं. ग्रामीणों के मुताबिक 2011 में हुए जनगणना सूची में गांव का नाम ही नहीं है. प्रशासन की भूल के कारण ग्रामीण जख्म झेल रहे हैं. सर्वे में जो डाटा एकत्रित किया गया था, वो प्रशासन के कंप्यूटर से गायब है, जिससे लोगों को सरकार के योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
बसंतपुर के लोगों का आरोप है कि शासन-प्रशासन ने 2011 में जनगणना सर्वे कराया था, जिसके लिए सरकारी नुमाइंदे घर-घर जाकर ग्रामीणों का नाम सर्वे सूची में जोड़ा था, लेकिन प्रशासन और सिस्टम की लापरवाही के कारण 2011 के सर्वे सूची ही गायब है. किस कारण कहां से चूक हुई आज तक सुधार नहीं किया गया. केंद्र सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजना प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है.
टूटे-फूटे मकानों में रह रहे ग्रामीण
इस गांव के गरीब परिवारों को आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है. प्रशासन के भूल की सजा गांव के गरीब परिवार भुगत रहे हैं. बसंतपुर में गरीबी रेखा से नीचे अधिकांश परिवार मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं. जबकि ग्रामीण अपना घर पैरा और तिरपाल से बनाकर गुजारा कर रहे हैं. अधिकांश घर खपरैल हैं, जो मकान टूट-फूट रहे हैं. बहुत पुराने हो चुके हैं. इसके बाद भी इस योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है.
ग्रामीणों को मिला आश्वासन का झुनझुना
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में जो शौचालय बनें हैं, उनको देखकर लगता है, ढांचा बनाकर रख दिया गया है. ये शौचालय न उपयोग लायक है और न ही शौचालय कहने लायक है, जिससे ग्रामीण शौचालय का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. साथ ही इलाके में पक्की सड़क भी नहीं है, जिससे लोगों को आवागमन में भी दिक्कत हो रही है. ग्रामीणों ने बताया कि मामले की शिकायत कई बार किए हैं, लेकिन किसी ने नहीं सुना, जिससे ग्रामीण खासा परेशान हैं.वहीं मामले में अधिकारियों से बातचीत की गई, तो अधिकारियों ने अपनी गलती मानी और व्यवस्था दुरुस्त करने की बात कही है.