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World Tourism Day 2023: छत्तीसगढ़ की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं बस्तर के जलप्रपात औरगुफाएं - बस्तर के जलप्रपात

World Tourism Day 2023 विश्व पर्यटन दिवस पर छत्तीसगढ़ के बस्तर का जिक्र ना हो ये कैसे हो सकता है. जंगल, पहाड़, झरनों, गुफाओं, जगंली जानवरों से बस्तर की गोद भरी हुई है. जिसे देखने हर साल हजारों लोग देश और विदेश से बस्तर घूमने पहुंचते हैं. Tourist places of Bastar

World tourism day 2023
बस्तर के पर्यटनस्थल
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 27, 2023, 10:00 AM IST

Updated : Sep 27, 2023, 5:30 PM IST

बस्तर: आदिवासी बाहुल्य और नक्सल क्षेत्र कहे जाने वाले बस्तर की खूबसूरती गढ़ने में प्रकृति ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. बस्तर को देखने से ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने दिल खोलकर अपनी बाहें फैलाई है. मानसून में बस्तर की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है. यहां के जंगल, जलप्रपात में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है. विश्व पर्यटन दिवस पर ETV भारत बस्तर के ऐसे ही कुछ खूबसूरत और दिल को खुश करने वाले पर्यटन स्थलों की सैर करवा रहा है.

World tourism day 2023
चित्रकोट जलप्रपात

चित्रकोट जलप्रपात: देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट जलप्रपात बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा ब्लॉक में स्थित है. करीब 30-40 फीट की चौड़ाई से गिरता यह जलप्रपात बेहद ही खूबसूरत है. इस जलप्रपात में बस्तर की जीवनदायनी इंद्रावती नदी करीब 90 फीट की ऊंचाई से दहाड़ती हुई नीचे गिरती है. चित्रकोट जलप्रपात में गिरती जलधारा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है. मानसून के बाद जलप्रपात के नीचे नाव से पर्यटकों को गिरते जलप्रपात के नजदीक पहुंचाया जाता है. जहां तेज गति से गिरते पानी की बूंदे पर्यटकों के चेहरे पर पड़ती है. इसी अनुभव को पाने के लिए पर्यटक नाव में सवार होते हैं. यह जलप्रपात इतना बड़ा और खूबसूरत है कि इसे करीब से निहारने के लिए देश के अलावा विदेशों से भी हजारों पर्यटक हर साल चित्रकोट पहुंचते हैं. इस जलप्रपात की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि पिछले कुछ सालों से यहां बॉलीवुड की शूटिंग भी हो रही है.

तीरथगढ़ जलप्रपात: कांगेर वेली नेशनल पार्क में बस्तर का दूसरा बड़ा तीरथगढ़ जलप्रपात है. इस जलप्रपात को बस्तर की जान भी कहा जाता है. इस जलप्रपात में मुनगा बहार नदी का पानी गिरता है. यह जलप्रपात 3 स्टेप में होकर नीचे गिरता है. इस जलप्रपात की ऊंचाई 100 फीट से भी ज्यादा है. इसे करीब से देखने के लिए पर्यटकों को करीब 300-400 सीढ़ी नीचे उतरना पड़ता है. इसे भी देखने के लिए हजारों लोग हर साल बस्तर पहुंचते हैं. चित्रकोट और तीरथगढ़ के अलावा भी बस्तर में कई जलप्रपात है. जिनमें तामड़ाघूमर जलप्रपात, मेन्द्रीघूमर जलप्रपात, चित्रधारा जलप्रपात, मंडवा जलप्रपात, बिजाकसा जलप्रपात शामिल हैं. इन जगहों पर सैर करने के लिए सबसे अच्छा समय नवंबर से जून है.

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कोटमसर गुफा: कांगेर वेली नेशनल पार्क में ही विशालकाय गुफा भी मौजूद है. जिसे कोटमसर गुफा या कुटुंबसर गुफा कहा जाता है. जो काफी बड़ी और लगभग 5 हजार फीट चौड़ी है. गुफा के अंदर अलग-अलग प्रकार की आकृतियां बनी हुई है. यह चूना पत्थर की गुफा है. इसके अलावा कांगेर वैली में दंडक गुफा, कैलाश गुफा, हरि गुफा, मादरकोंटा गुफा मौजूद है. इन स्थानों पर पर्यटकों की सुविधा के लिए होम स्टे भी ग्रामीणों के द्वारा संचालित किया जाता है. हालांकि सुरक्षा के लिहाज से इन गुफाओं को अक्टूबर के आखिरी सप्ताह तक बंद करके रखा जाता है. क्योंकि बारिश के कारण गुफाओं में पानी भर जाता है.

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कोटमसर गुफा


दलपत सागर: जगदलपुर शहर में छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी धरोहर भी मौजूद है. जिसे दलपत सागर के नाम से जाना जाता है. यह एक झील है, जो करीब 400 हेक्टेयर में फैली हुई है. इसे रियासत काल में बस्तर के राजा दलपतदेव ने बनवाया था. उन्हीं के नाम पर इस झील का नाम दलपत सागर पड़ा. इस झील की खूबसूरती देखते ही बनती है. इसके बीच में जिला प्रशासन ने आइलैंड का निर्माण किया है. जो काफी खूबसूरत है. पर्यटकों के साथ ही स्थानीय नागरिक रोजाना सुबह शाम इस धरोहर के नजदीक अपना समय बिताते हैं. रात के समय लाइटिंग की वजह से दलपत सागर और भी खूबरसूरत हो जाता है. हर साल यहां दीपोत्सव मनाया जाता है. साल 2022 में दलपत सागर के किनारे शहरवासियों ने करीब 1 लाख दिए जलाए थे. जिसके कारण गिनीज बुक में इसका नाम दर्ज हुआ.

World tourism day 2023
दलपत सागर

मिचनार हिल: जलप्रपातें, गुफाएं व सागर के अलावा बस्तर में बेहद ही खूबसूरत मिचनार हिल भी मौजूद है. मिचनार गांव में मौजूद होने के कारण इसका नाम मिचनार हिल स्टेशन पड़ा. यह लोहंडीगुड़ा व तोकापाल ब्लॉक के बॉर्डर में मौजूद है. इसकी ऊंचाई करीब 100 फीट के करीब है. पर्यटकों को 100 फीट ऊंचे खड़ी पहाड़ी पर पैदल चढ़ना पड़ता है. वहां पहुंचते ही खूबसूरत दृश्य पर्यटकों के सामने होता है. इसकी खूबसूरती बारिश के दिनों में और भी मनमोहक हो जाती है. यहां पहुंचने के बाद पर्यटकों को ऊटी व बड़े बड़े हिल स्टेशनों जैसा अनुभव होता है.

बस्तर: आदिवासी बाहुल्य और नक्सल क्षेत्र कहे जाने वाले बस्तर की खूबसूरती गढ़ने में प्रकृति ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. बस्तर को देखने से ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने दिल खोलकर अपनी बाहें फैलाई है. मानसून में बस्तर की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है. यहां के जंगल, जलप्रपात में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है. विश्व पर्यटन दिवस पर ETV भारत बस्तर के ऐसे ही कुछ खूबसूरत और दिल को खुश करने वाले पर्यटन स्थलों की सैर करवा रहा है.

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चित्रकोट जलप्रपात

चित्रकोट जलप्रपात: देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट जलप्रपात बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा ब्लॉक में स्थित है. करीब 30-40 फीट की चौड़ाई से गिरता यह जलप्रपात बेहद ही खूबसूरत है. इस जलप्रपात में बस्तर की जीवनदायनी इंद्रावती नदी करीब 90 फीट की ऊंचाई से दहाड़ती हुई नीचे गिरती है. चित्रकोट जलप्रपात में गिरती जलधारा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है. मानसून के बाद जलप्रपात के नीचे नाव से पर्यटकों को गिरते जलप्रपात के नजदीक पहुंचाया जाता है. जहां तेज गति से गिरते पानी की बूंदे पर्यटकों के चेहरे पर पड़ती है. इसी अनुभव को पाने के लिए पर्यटक नाव में सवार होते हैं. यह जलप्रपात इतना बड़ा और खूबसूरत है कि इसे करीब से निहारने के लिए देश के अलावा विदेशों से भी हजारों पर्यटक हर साल चित्रकोट पहुंचते हैं. इस जलप्रपात की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि पिछले कुछ सालों से यहां बॉलीवुड की शूटिंग भी हो रही है.

तीरथगढ़ जलप्रपात: कांगेर वेली नेशनल पार्क में बस्तर का दूसरा बड़ा तीरथगढ़ जलप्रपात है. इस जलप्रपात को बस्तर की जान भी कहा जाता है. इस जलप्रपात में मुनगा बहार नदी का पानी गिरता है. यह जलप्रपात 3 स्टेप में होकर नीचे गिरता है. इस जलप्रपात की ऊंचाई 100 फीट से भी ज्यादा है. इसे करीब से देखने के लिए पर्यटकों को करीब 300-400 सीढ़ी नीचे उतरना पड़ता है. इसे भी देखने के लिए हजारों लोग हर साल बस्तर पहुंचते हैं. चित्रकोट और तीरथगढ़ के अलावा भी बस्तर में कई जलप्रपात है. जिनमें तामड़ाघूमर जलप्रपात, मेन्द्रीघूमर जलप्रपात, चित्रधारा जलप्रपात, मंडवा जलप्रपात, बिजाकसा जलप्रपात शामिल हैं. इन जगहों पर सैर करने के लिए सबसे अच्छा समय नवंबर से जून है.

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कोटमसर गुफा: कांगेर वेली नेशनल पार्क में ही विशालकाय गुफा भी मौजूद है. जिसे कोटमसर गुफा या कुटुंबसर गुफा कहा जाता है. जो काफी बड़ी और लगभग 5 हजार फीट चौड़ी है. गुफा के अंदर अलग-अलग प्रकार की आकृतियां बनी हुई है. यह चूना पत्थर की गुफा है. इसके अलावा कांगेर वैली में दंडक गुफा, कैलाश गुफा, हरि गुफा, मादरकोंटा गुफा मौजूद है. इन स्थानों पर पर्यटकों की सुविधा के लिए होम स्टे भी ग्रामीणों के द्वारा संचालित किया जाता है. हालांकि सुरक्षा के लिहाज से इन गुफाओं को अक्टूबर के आखिरी सप्ताह तक बंद करके रखा जाता है. क्योंकि बारिश के कारण गुफाओं में पानी भर जाता है.

World tourism day 2023
कोटमसर गुफा


दलपत सागर: जगदलपुर शहर में छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी धरोहर भी मौजूद है. जिसे दलपत सागर के नाम से जाना जाता है. यह एक झील है, जो करीब 400 हेक्टेयर में फैली हुई है. इसे रियासत काल में बस्तर के राजा दलपतदेव ने बनवाया था. उन्हीं के नाम पर इस झील का नाम दलपत सागर पड़ा. इस झील की खूबसूरती देखते ही बनती है. इसके बीच में जिला प्रशासन ने आइलैंड का निर्माण किया है. जो काफी खूबसूरत है. पर्यटकों के साथ ही स्थानीय नागरिक रोजाना सुबह शाम इस धरोहर के नजदीक अपना समय बिताते हैं. रात के समय लाइटिंग की वजह से दलपत सागर और भी खूबरसूरत हो जाता है. हर साल यहां दीपोत्सव मनाया जाता है. साल 2022 में दलपत सागर के किनारे शहरवासियों ने करीब 1 लाख दिए जलाए थे. जिसके कारण गिनीज बुक में इसका नाम दर्ज हुआ.

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दलपत सागर

मिचनार हिल: जलप्रपातें, गुफाएं व सागर के अलावा बस्तर में बेहद ही खूबसूरत मिचनार हिल भी मौजूद है. मिचनार गांव में मौजूद होने के कारण इसका नाम मिचनार हिल स्टेशन पड़ा. यह लोहंडीगुड़ा व तोकापाल ब्लॉक के बॉर्डर में मौजूद है. इसकी ऊंचाई करीब 100 फीट के करीब है. पर्यटकों को 100 फीट ऊंचे खड़ी पहाड़ी पर पैदल चढ़ना पड़ता है. वहां पहुंचते ही खूबसूरत दृश्य पर्यटकों के सामने होता है. इसकी खूबसूरती बारिश के दिनों में और भी मनमोहक हो जाती है. यहां पहुंचने के बाद पर्यटकों को ऊटी व बड़े बड़े हिल स्टेशनों जैसा अनुभव होता है.

Last Updated : Sep 27, 2023, 5:30 PM IST
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