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छत्तीसगढ़ में अंतरजातीय विवाह योजना क्यों हुआ फ्लॉप, तीन साल में विवाह के लिए सिर्फ एक आवेदन

बस्तर जिले में पिछले 3 सालों में केवल एक ही जोड़े से आवेदन आदिवासी विभाग को प्राप्त हुए हैं. वहीं विभाग की ओर से अंतरजातीय विवाह (Interracial Marriage) के जोड़ों को प्रोत्साहित करने और जोड़ों को योजना का लाभ देने के लिए कोई प्रचार प्रसार नहीं किया जा रहा है. जिससे कई लोग इससे वंचित होने के साथ ही इस योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं.

interracial marriage plan
अंतरजातीय विवाह योजना
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Published : Sep 21, 2021, 7:07 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: समाज में छुआछूत की भावना (Feeling of Untouchability in Society) को मिटाने के उद्देश्य से सालों से राज्य सरकार की ओर से अंतरराजीय विवाह योजना (Interstate Marriage Plan) चलाई जा रही है. इसके तहत अनुसूचित जाति और सामान्य वर्ग (Scheduled Caste and General Category) के युवक-युवतियों के बीच विवाह संबंध बनाने पर प्रशासन की ओर से ढाई लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि (Incentive Amount of Rs 2.5 lakh) प्रदान की जाती है.

Ineffective inter-caste marriage scheme
बेअसर हुई अंतरजातीय विवाह योजना!

योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे लोग

इसके बावजूद बस्तर जिले में पिछले 3 सालों में केवल एक ही जोड़े से आवेदन आदिवासी विभाग को प्राप्त हुए हैं. वहीं विभाग की ओर से अंतरजातीय विवाह (Interracial Marriage) के जोड़ों को प्रोत्साहित करने और जोड़ों को योजना का लाभ देने के लिए कोई प्रचार प्रसार नहीं किया जा रहा है. जिससे कई लोग इससे वंचित होने के साथ ही इस योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं.

दरअसल पूर्व में केंद्र शासन की ओर से अनुसूचित जाति और सामान्य वर्ग के बीच वैवाहिक रिश्ते बनाए जाने पर डॉ. भीमराव अंबेडकर योजना (Dr. Bhimrao Ambedkar Scheme) के तहत ढाई लाख रुपए दिए जाते थे. साथ ही राज्य सरकार की ओर से प्रति जोड़े को 50 हजार की राशि प्रदान की जाती थी. साल 2017-18 में राज्य सरकार ने यह राशि बढ़ाकर केंद्र सरकार की तरह ढाई लाख रुपए प्रति जोड़े कर दी. इसके बावजूद योजना के प्रति जागरूकता नहीं होने से जोड़े आवेदन नहीं कर रहे हैं.

प्रेम विवाह के बढ़े मामले

हालांकि इसका आशय यह नहीं है कि समाज में अंतरजातीय विवाह नहीं हो रहे हैं. जानकार बताते हैं कि अनुसूचित जाति एवं सामान्य वर्ग (Scheduled Caste and General Category) के युवक-युवतियों के बीच प्रेम विवाह के मामले बढ़ रहे हैं. खासतौर पर शिक्षित युवा वर्ग में जात पात की भावना खत्म हो रही है. पिछले 5 सालों में बस्तर जिले के आदिवासी विभाग के पास जितने भी आवेदन आए हैं उनमें अधिकतर शहर के शिक्षित लोग शामिल हैं.

Ineffective inter-caste marriage scheme
बेअसर हुई अंतरजातीय विवाह योजना!

गौरतलब है कि रजिस्टर्ड विवाह (registered marriage) के दौरान इनमें अधिकतर जोड़े अंतर्जातीय विवाह (Interracial Marriage) वाले होते हैं और इनमें अधिकतर प्रोफेशनल एमबीबीएस, आईआईटी, लॉ, ग्रैजुएट के बैचमेट होते हैं. इसके अलावा कोर्ट मैरिज (court marriage) करने वाले जोड़े भी अलग-अलग वर्ग से ताल्लुक रखते हैं. बस्तर में इन जोड़ों की ओर से सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठाया जा रहा है. जबकि छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और भिलाई में इस योजना में अधिक संख्या में आवेदन आ रहे हैं.

रजिस्टर्ड विवाह प्रमाण पत्र

जानकारी के मुताबिक योजना का लाभ लेने के लिए युवक या युवती में एक अनुसूचित जाति वर्ग का होना आवश्यक है. कोर्ट मैरिज, सरकारी मान्यता प्राप्त संस्थान से रजिस्टर्ड विवाह प्रमाण पत्र (Registered Marriage Certificate), राज्य का निवास प्रमाण पत्र (State Residence Certificate) के साथ निर्धारित प्रारूप में आदिवासी विभाग को आवेदन किया जा सकता है. आवंटन मौजूद रहने की स्थिति में आदिवासी विभाग (Tribal Department) के अधिकारी द्वारा फौरन ही जोड़ों को यह राशि प्रदान की जाती है.

विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यह योजना काफी सालों से चल रही है. लेकिन बस्तर जैसे क्षेत्र में उनके पास काफी कम ही आवेदन आते हैं. वहीं 3 सालों में केवल एक ही आवेदन उन्हें प्राप्त हुआ है, जबकि शासन की ओर से प्रोत्साहन राशि दोगुना से भी अधिक कर दी गई है. विभाग से मिली आंकड़ों के मुताबिक साल 2015-16 में 4 जोड़ें, साल 20116 -17 में 4 जोड़े, साल 2017-18 में 4 जोड़े, 2019 में एक भी नहीं, 2020 में केवल एक और साल 2021 में अब तक एक भी आवेदन विभाग को प्राप्त नहीं हुए हैं.

जगदलपुर: समाज में छुआछूत की भावना (Feeling of Untouchability in Society) को मिटाने के उद्देश्य से सालों से राज्य सरकार की ओर से अंतरराजीय विवाह योजना (Interstate Marriage Plan) चलाई जा रही है. इसके तहत अनुसूचित जाति और सामान्य वर्ग (Scheduled Caste and General Category) के युवक-युवतियों के बीच विवाह संबंध बनाने पर प्रशासन की ओर से ढाई लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि (Incentive Amount of Rs 2.5 lakh) प्रदान की जाती है.

Ineffective inter-caste marriage scheme
बेअसर हुई अंतरजातीय विवाह योजना!

योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे लोग

इसके बावजूद बस्तर जिले में पिछले 3 सालों में केवल एक ही जोड़े से आवेदन आदिवासी विभाग को प्राप्त हुए हैं. वहीं विभाग की ओर से अंतरजातीय विवाह (Interracial Marriage) के जोड़ों को प्रोत्साहित करने और जोड़ों को योजना का लाभ देने के लिए कोई प्रचार प्रसार नहीं किया जा रहा है. जिससे कई लोग इससे वंचित होने के साथ ही इस योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं.

दरअसल पूर्व में केंद्र शासन की ओर से अनुसूचित जाति और सामान्य वर्ग के बीच वैवाहिक रिश्ते बनाए जाने पर डॉ. भीमराव अंबेडकर योजना (Dr. Bhimrao Ambedkar Scheme) के तहत ढाई लाख रुपए दिए जाते थे. साथ ही राज्य सरकार की ओर से प्रति जोड़े को 50 हजार की राशि प्रदान की जाती थी. साल 2017-18 में राज्य सरकार ने यह राशि बढ़ाकर केंद्र सरकार की तरह ढाई लाख रुपए प्रति जोड़े कर दी. इसके बावजूद योजना के प्रति जागरूकता नहीं होने से जोड़े आवेदन नहीं कर रहे हैं.

प्रेम विवाह के बढ़े मामले

हालांकि इसका आशय यह नहीं है कि समाज में अंतरजातीय विवाह नहीं हो रहे हैं. जानकार बताते हैं कि अनुसूचित जाति एवं सामान्य वर्ग (Scheduled Caste and General Category) के युवक-युवतियों के बीच प्रेम विवाह के मामले बढ़ रहे हैं. खासतौर पर शिक्षित युवा वर्ग में जात पात की भावना खत्म हो रही है. पिछले 5 सालों में बस्तर जिले के आदिवासी विभाग के पास जितने भी आवेदन आए हैं उनमें अधिकतर शहर के शिक्षित लोग शामिल हैं.

Ineffective inter-caste marriage scheme
बेअसर हुई अंतरजातीय विवाह योजना!

गौरतलब है कि रजिस्टर्ड विवाह (registered marriage) के दौरान इनमें अधिकतर जोड़े अंतर्जातीय विवाह (Interracial Marriage) वाले होते हैं और इनमें अधिकतर प्रोफेशनल एमबीबीएस, आईआईटी, लॉ, ग्रैजुएट के बैचमेट होते हैं. इसके अलावा कोर्ट मैरिज (court marriage) करने वाले जोड़े भी अलग-अलग वर्ग से ताल्लुक रखते हैं. बस्तर में इन जोड़ों की ओर से सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठाया जा रहा है. जबकि छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और भिलाई में इस योजना में अधिक संख्या में आवेदन आ रहे हैं.

रजिस्टर्ड विवाह प्रमाण पत्र

जानकारी के मुताबिक योजना का लाभ लेने के लिए युवक या युवती में एक अनुसूचित जाति वर्ग का होना आवश्यक है. कोर्ट मैरिज, सरकारी मान्यता प्राप्त संस्थान से रजिस्टर्ड विवाह प्रमाण पत्र (Registered Marriage Certificate), राज्य का निवास प्रमाण पत्र (State Residence Certificate) के साथ निर्धारित प्रारूप में आदिवासी विभाग को आवेदन किया जा सकता है. आवंटन मौजूद रहने की स्थिति में आदिवासी विभाग (Tribal Department) के अधिकारी द्वारा फौरन ही जोड़ों को यह राशि प्रदान की जाती है.

विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यह योजना काफी सालों से चल रही है. लेकिन बस्तर जैसे क्षेत्र में उनके पास काफी कम ही आवेदन आते हैं. वहीं 3 सालों में केवल एक ही आवेदन उन्हें प्राप्त हुआ है, जबकि शासन की ओर से प्रोत्साहन राशि दोगुना से भी अधिक कर दी गई है. विभाग से मिली आंकड़ों के मुताबिक साल 2015-16 में 4 जोड़ें, साल 20116 -17 में 4 जोड़े, साल 2017-18 में 4 जोड़े, 2019 में एक भी नहीं, 2020 में केवल एक और साल 2021 में अब तक एक भी आवेदन विभाग को प्राप्त नहीं हुए हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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