बस्तर : बस्तर में सुरक्षा बल के जवान ग्रामीणों से जुड़ने के (Unique initiative of CRPF to connect with villagers in Bastar) लिए तरह-तरह के तरीके अपना रहे हैं, ताकि बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों के ग्रामीणों में पुलिस की अच्छी छवि बन सके. ऐसा इसलिए क्योंकि लगातार बस्तर में पुलिस जवानों और ग्रामीणों के बीच दूरियां रही हैं. इसी कड़ी में सीआरपीएफ अधिकारियों ने भारत भ्रमण योजना के तहत बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों से 100 युवक-युवतियों को छत्तीसगढ़ के बाहर भ्रमण पर भेजा है. ताकि युवक-युवती छत्तीसगढ़ के बाहर के कल्चर को देखकर उससे सीख सकें.
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दरअसल बस्तर का नाम सुनते ही लोगों के मन में एक ही तस्वीर सामने आती है नक्सलवाद. इस कारण बस्तर की खूबसूरती देश-दुनिया तक पूरी तरह पहुंच नहीं पाई है. बस्तर संभाग के सभी सात जिले नक्सल प्रभावित इलाके हैं. इन इलाकों में नक्सलियों ने कई बार बस्तर की धरती को खून से लाल किया है. अब धीरे-धीरे इन इलाकों से नक्सलवाद कमजोर पड़ता भी दिख रहा है. नक्सल क्षेत्र में रहने वाले युवाओं ने अभी तक बस्तर से बाहर कदम नहीं रखा था. इसी कड़ी में सीआरपीएफ 80 बटालियन और नेहरू युवा केन्द्र ने बीते दिनों आदिवासी आदान-प्रदान के तहत बच्चों को बाहरी कल्चर सीखने के लिए राजस्थान के जयपुर भेजा था.
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राजस्थान में युवाओं ने बस्तर के बारे में बताया था. साथ ही बस्तर की संस्कृति से भी लोगों को रू-ब-रू कराया था. इसके बाद संस्कृति लेखक खुद बस्तर पहुंचे थे. इसी कड़ी में मंगलवार को सीआरपीएफ नेहरू युवा केन्द्र द्वारा नक्सल क्षेत्र के 100 युवक-युवतियों को लुधियाना रवाना किया गया. वहां बच्चे लोगों को बस्तर के कल्चर के बारे में बताएंगे और वहां की संस्कृति सीखेंगे. इस तरह पुलिस ग्रामीणों के दिलों में जगह बना रही है.