बस्तर: मानसून के समय बस्तर के जलप्रपातों (water falls in Bastar) की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं. हर साल बड़ी संख्या में इस सीजन में पर्यटक बस्तर घूमने आते हैं. जिससे पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों को काफी लाभ पहुंचता है. देश भर में कोरोना संक्रमण के चलते पर्यटन व्यवसाय ठप हो चुका है. जिसकी मार से छत्तीसगढ़ का टूरिज्म (tourism in Chhattisgarh) भी अछूता नहीं है.
बस्तर में भी पर्यटन व्यवसाय पर बुरा प्रभाव पड़ा है. जिले में पिछले दो महीने से लॉकडाउन के चलते पर्यटन व्यवसाय से जुड़े सभी लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. खासकर होटल व्यवसाय, रेस्टोरेंट, ट्रेवल्स और पर्यटन विभाग पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है. जिला प्रशासन ने बस्तर के सभी पर्यटन स्थलों को आम जनता के लिए बंद करने के निर्देश जारी किए हैं. इससे जगदलपुर शहर के साथ-साथ पर्यटन स्थलों के मार्ग पर पड़ने वाले रेस्टोरेंट, लॉज और टैक्सी चालकों के व्यवसाय भी तकरीबन बंद हो गए हैं. बस्तर में लगभग डेढ़ साल से यहीं हालात हैं, जिससे पर्यटन पर ही निर्भर व्यवसायियों को अपना जीवन यापन करने के लिए आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है.
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बस्तर के पर्यटन स्थलों में छाई विरानी
छत्तीसगढ़ का बस्तर अपने प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के लिए जाना जाता है. खासकर यहां मौजूद जलप्रपातों की खूबसूरती मानसून के समय देखते ही बनती है. चित्रकोट, तीरथगढ़, चित्रधारा, तामर, घूमर और कांकेर जलधारा यह सभी जलप्रपात मानसून (waterfalls in Bastar during monsoon) के समय पूरे शबाब पर रहते हैं. हर साल इन वॉटर फॉल्स की खूबसूरती देखने बड़ी संख्या में पर्यटक दूरदराज से बस्तर पहुंचते हैं. इतिहास में यह पहला मौका है, जब कोरोना के चलते इन स्थलों में पर्यटकों के अभाव में वीरानी छाई हुई है.
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की संभावना के चलते बीते दो महीनों से इन जलप्रपातों को आम जनता के लिए बंद रखा गया है. बस्तर में न सिर्फ छत्तीसगढ़ या दीगर राज्य के लोग आते थे, बल्कि प्रकृति की इस खूबसूरत छटा को देखने यहां देश-विदेश से आए पर्यटकों का भी तांता लगा रहता था, लेकिन दूसरे राज्य और विदेशों से पहुंचने वाले पर्यटकों की भी कोरोना की वजह से आवाजाही बंद है. ऐसे में पर्यटन पर निर्भर व्यवसायियों की आर्थिक हालत खस्ता हो गई है.
रेस्टोरेंट संचालकों की कमाई हुई ठप
फूड कोर्ट रेस्टोरेंट के संचालक अरुण धोते बताते हैं कि मानसून के समय बस्तर के सभी जलप्रपातों की खूबसूरती को निहारने हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं. इस दौरान उनके रेस्टोरेंट में भी काफी भीड़ रहती है. वहीं पिछले 2 महीने के लॉकडाउन में 50 दिन तो सिर्फ सभी रेस्टोरेंट को टेक-अवे की सुविधा दी गई थी, जिसमें उनकी कमाई भी न के बराबर थी. हालांकि पिछले 10 दिनों से रेस्टोरेंट में डाइनिंग सुविधा दी जा रही है. बावजूद इसके पर्यटन स्थलों को बंद किए जाने से और पर्यटकों के बस्तर नहीं पहुंचने से शहर के सभी रेस्टोरेंट संचालकों को ग्राहकों के अभाव में काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
फुटकर व्यापारी भी अब गरीबी से जूझ रहे
पर्यटन विभाग को भी इन जलप्रपातों के आम लोगों के लिए नहीं खोलने से काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. पर्यटन सूचना केंद्र भी पर्यटकों के अभाव में विरान है. पर्यटन व्यवसाय से जुड़े जीत सिंह आर्या बताते हैं कि लगातार डेढ़ साल से कोरोना की मार के चलते बस्तर में पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह ठप हो चुका है. इससे जुड़े सभी लोगों की स्थिति काफी दयनीय है. मानसून के समय हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक बस्तर पहुंचते हैं, जिससे पर्यटन विभाग को भी काफी अच्छा लाभ मिलता है, लेकिन डेढ़ सालों से विभाग को बहुत घाटा हो रहा है. उनका कहना है कि पर्यटन स्थलों को बंद करने से फुटकर व्यापारियों के जीवन में काफी बुरा प्रभाव पड़ा है. जीत सिंह का कहना है कि जिले में अब पहले के मुकाबले कोरोना का प्रकोप कम हुआ है, साथ ही संक्रमित मरीजों की संख्या में भी गिरावट दर्ज की जा रही है. ऐसे में कोरोना गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए पर्यटन स्थलों को खोला जाना चाहिए. जिससे पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों का जीवन दोबारा पटरी में आ सके.
ट्रेवल्स संचालकों को घर चलाना हुआ मुश्किल
इसके अलावा बस्तर के ट्रैवल्स संचालकों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. बस्तर में अधिकतर लोग टैक्सी और ट्रेवल्स के भरोसे अपना जीवन यापन करते हैं. चूंकि बड़ी संख्या में पर्यटकों के बस्तर पहुंचने से ट्रैवल्स का बिजनेस भी काफी अच्छा रहता है. जिसके चलते ट्रैवल्स संचालक कई वाहन भी खरीदते हैं. लेकिन पिछले डेढ़ सालों से पर्यटकों के न आने से ट्रेवल्स व्यवसाय के हाल भी बेहाल हो गए हैं. जिन्होंने वाहन खरीदे हैं, उन्हें उसकी किश्त पटाने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं किश्त के अलावा कई महीनों बुकिंग नहीं मिलने के कारण अब वे अपना परिवार भी मुश्किल से चला पा रहे हैं.
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नहीं मिलते थे होटलों में कमरे, अब खाली पड़ा है पूरा होटल
पर्यटन व्यवसाय से जुड़े शहर के होटल और लॉज संचालकों पर भी मंदी का काफी असर है. कोरोना के चलते होटल और लॉज के कमरे पर्यटक के अभाव में खाली पड़े हैं. सामान्य दिनों में मानसून के समय पर्यटकों को होटल में कमरे नहीं मिलते थे. वहीं अब आलम यह है कि सभी होटल के रूम पूरे खाली पड़े हैं. पूनम होटल के संचालक संजीव गुरवारा का कहना है कि कोरोना काल में होटल व्यवसायियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस संकट काल को देखते हुए वे सरकार को पूरा सहयोग कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी ओर किसी तरह का कोई ध्यान नहीं दे रही है.
होटल संचालक अपनी जेब से स्टाफ को कर रहे पेमेंट
होटल संचालकों का कहना है कि उनके होटलों के कमरे खाली पड़े हैं, लेकिन हर महीने उन्हें काफी ज्यादा बिजली बिल चुकाना पड़ रहा है. इसके साथ ही हर महीने प्रॉपर्टी टैक्स भी भर रहे हैं. उनका कहना है कि उन्होंने राज्य शासन से मांग की थी कि कोरोना काल को देखते हुए उनकी बिजली बिल कमर्शियल के जगह डोमेस्टिक किया जाए, साथ ही प्रॉपर्टी टैक्स में भी कुछ राहत दी जाए. होटल संचालकों ने बताया कि होटल स्टाफ से लेकर बिजली बिल और प्रॉपर्टी टैक्स उन्हें अपनी जेब से या उधारी कर चुकाना पड़ रहा है. ऐसे में सरकार उन्हें कुछ राहत देती है, तो उन्हें काफी मदद मिलेगी. उनका यह भी कहना है कि जिला प्रशासन को कोरोना गाइडलाइन (demand to restart Bastar tourist places) का पूरा पालन कराते हुए पर्यटन स्थलों को खोला जाना चाहिए. ताकि उनका व्यवसाय थोड़ा बहुत चल सके और उन पर चढ़े कर्जे का भार उतर सके.