जगदलपुर: बस्तर में नक्सल केस में जेल में बंद ग्रामीणों के लिए बड़ी राहत की खबर है. हाईकोर्ट ने बस्तर में नक्सल संबंधित मामलों को जल्द निपटाने और सुनवाई के लिए तीन नए कोर्ट बनाने के आदेश दिए हैं. अबतक यह मामले सिर्फ जगदलपुर के राज्य NIA कोर्ट में ही सुने जाते थे. पखांजूर, बीजापुर, भैरमगढ़, कोंटा और कांकेर के लोगों को सुनवाई के लिए जगदलपुर आना पड़ता था. अब कोंडागांव, दंतेवाड़ा और कांकेर जिले में NIA कोर्ट बन जाने से लोगों को राहत मिलेगी.
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बस्तर संभाग में नक्सलवाद से संबंधित 267 मामले हैं, जो अब आदेश के बाद अलग-अलग जिलों में ट्रांसफर कर दिए जाएंगे. राज्य एनआईए कोर्ट के विशेष लोक अभियोजक राजेंद्र सिंह झज्ज ने बताया कि हाईकोर्ट ने यह आदेश विधि मंत्रालय को जारी किया था. इसके बाद इस दिशा में प्रयास शुरू किया गया है. अब बस्तर में 4 जगह नक्सल मामले की सुनवाई हो सकेगी.
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कांकेर में कांकेर जिले की सुनवाई होगी
राजेंद्र सिंह झज्ज ने कहा नक्सल मामले में जो यूएपीए एक्ट लगाया जाता है, उसकी सुनवाई राज्य एनआईए कोर्ट में होती है. इस आदेश के बाद तीन और जिलों में कोर्ट खुल गए हैं. संभाग में 6 जिले हैं. ऐसे में अब आदेश के हिसाब से बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा के मामले अब दंतेवाड़ा में सुनी जाएगी. नारायणपुर और कोंडागांव के मामले कोंडागांव में सुनी जाएगी. कांकेर में कांकेर जिले की सुनवाई होगी.
दो एडीजे करेंगे सुनवाई
राजेंद्र सिंह झज्ज ने कहा, इस मामले की सुनवाई की जिम्मेदारी एडीजे को मिली है. दंतेवाड़ा में अधिक जिलों का भार होने की वजह से वहां दो एडीजे को इसकी जिम्मेदारी दी गई है. कोंडागांव में एक और कांकेर में एक एडीजे नक्सल यूएपीए मामले में जेल में बंद लोगों की सुनवाई करेंगे.
267 मामलों में होनी है सुनवाई
विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि संभागभर में 267 नक्सल मामले हैं. इनकी सुनवाई जारी है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि बस्तर में अब तक सिर्फ एक राज्य NIA कोर्ट था. जगदलपुर में यूएपीए के सभी मामले इस कोर्ट के दायरे में आते थे. इस तरह से जगदलपुर में करीब 267 मामले हैं, जो अब बाकी तीन जिलों को स्थानांतरित कर दिए गए हैं.
3 नए कोर्ट खुलने से जल्द हो सकेगी सुनवाई
बस्तर आईजी सुंदरराज पी का कहना है हाईकोर्ट के इस फैसले से जेल में बंद ग्रामीणों और उनके परिजनों को राहत मिलेगी. अब चार जगह सुनवाई होने से मामले की सुनवाई में तेजी आएगी, बल्कि त्वरित न्याय का अवधारणा पूरी होगी. मामले में सुनवाई के लिए परिवार के लोगों को जगदलपुर तक सफर करनी पड़ती थी. अब उन्हें इतना दूर नहीं आना पड़ेगा. इस फैसले से जगदलपुर कोर्ट का भी भार कम होगा. फैसले में भी 3 गुना सुनवाई में तेजी आएगी. आईजी ने कहा कि शासन की मंशा अनुरूप नक्सल मामलों में जल्द से जल्द सुनवाई हो सकेगी.