जगदलपुर: छत्तीसगढ़ में मानसून के दस्तक के साथ बारिश शुरू हो गई है. बस्तर में बारिश के दौरान हालातों को संभालने के लिए नगर सेना और एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन बल) की टीम अलर्ट हो गई है. (team of sdrf alert ) दरअसल, मानसून के दौरान बस्तर की जीवन रेखा इंद्रावती नदी (Indravati river ) उफान पर रहती है. ओडिशा में कोलाब डेम के गेट खोले जाने से बस्तर के कई इलाके जलमग्न भी हो जाते हैं. बस्तर के जलप्रपात भी पूरे उफान पर रहते हैं. ऐसे हालातों के दौरान बाढ़ की चपेट में आए लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू करना नगर सेना और SDRF (state disaster response force) की जिम्मेदारी होती है. बाढ़ से निपटने के लिए बस्तर में तैनात एसडीआरएफ और नगर सेना की टीम ने सारी तैयारियां पूर्ण कर ली है.
राहत कार्य के लिए अलर्ट हैं SDRF के जवान
नगर सेना के कमांडेट एसके मार्बल ने बताया कि बस्तर के जलप्रपातों के साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहले से SDRF की टीम राहत कार्यों के लिए तैयार है. फिलहाल जलप्रपातों को आम जनता और पर्यटकों के लिए बंद कर दिए जाने की वजह से यहां टीम को तैनात नहीं किया गया है. लेकिन जवानों को राहत कार्यों के लिए अलर्ट किया गया है.(SDRF personnel alert )
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नए संसाधनों के साथ तैयार है टीम
कमांडेट एसके मार्बल ने बताया है कि बस्तर जिले के एसडीआरएफ के पास पर्याप्त संसाधन है. सप्ताह भर पहले ही बस्तर SDRF ने कई नए संसाधन लिए हैं. जिसकी कमी बनी हुई थी. इस कमी को दूर कर लिया गया है.
- बस्तर की एसडीआरएफ टीम के पास 6 मोटर बोट है.
- 20 सर्च लाइट उपलब्ध है.
- 6 आसका लाइट (टॉवर लाइट) उपलब्ध है.
- 2 पीडीकेन लाइट उपलब्ध है.
- 65 लाइफ जैकेट एसडीआरएफ टीम के पास है.
- 50 रेसक्यू ट्रेनिंग ले चुके जवान बाढ़ से निपटने को तैयार हैं.
- 57 लाइव बॉय और इसके अलावा 2 अंडर वाटर कैमरा है.
- एसडीआरएफ टीम के पास पोर्टेबल पंप भी मौजूद है.
बस्तर में हर साल बाढ़ की वजह से कई हादसे होते हैं. इस दौरान कई लोगों की जान भी चली जाती है. बस्तर का एक बड़ा भू-भाग वनांचल और पहाड़ियों से घिरा हुआ है. बरसात के समय कई गांव बाढ़ की चपेट में आते हैं. कई गांव में पहुंच मार्ग तक नहीं होता है. ऐसे वक्त में राज्य आपदा मोचन बल और नगर सेना की टीम लोगों का रेस्क्यू करती है. बस्तर संभाग के बीजापुर, सुकमा, जगदलपुर और दंतेवाड़ा के इलाके बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में आते हैं. दंतेवाड़ा की शंकनी-डंकनी नदी, बीजापुर की मिंगाचल नदी, सुकमा में शबरी नदी और बस्तर की इंद्रावती नदी बरसात के समय पूरे उफान पर रहती है.
5 साल में 15 लोगों की मौत
बस्तर जिले में पिछले 5 सालों में मानसून के समय भारी बारिश की वजह से 15 से अधिक लोगों की मौत हुई है. संभाग की बात की जाए तो ज्यादातर बीजापुर जिले में लोगों की बाढ़ में फंसने की वजह से मौत हुई है. कई लोगों को गांव के नाविकों के साथ एसडीआरएफ की टीम ने बचाया है. एसडीआरएफ के साथ-साथ जिला पुलिस बल के जवानों को भी मानसून के वक्त डूबान क्षेत्रो में तैनात किया जाता है.
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बस्तर के पिकनिक स्पॉट बंद
छत्तीसगढ़ में पर्यटकों के आर्कषण का केंद्र बस्तर को माना जाता है. यहां के पर्यटन स्थल देशभर में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं. यही कारण है कि न सिर्फ देश के कोने-कोने से बल्की विदेशी पर्यटक भी बस्तर में आकर प्रकृति की इन अनमोल धरोहरों को अपने यदों कैद करना चाहते हैं. जगदलपुर का चित्रकोट वाटरफॉल को भारत का नियाग्रा भी कहा जाता है. इसके अलावा तीरथगढ़ जलप्रपात, चित्रधारा, कांगेर धारा, तामरघुमर और मेंद्रीघुमर जलप्रपात भी अपनी प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है. बस्तर में हजारों साल पुराने कैलाश गुफा, कोटमसर गुफा जैसी अन्य कई गुफाएं भी हैं, जो पर्यटकों के लिए आर्कषण का केंद्र है. धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण लगभग एक हजार साल पुराना नारायण पाल का विष्णु मंदिर को तो लोग देखते ही रह जाते हैं. फिलहाल कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौर से इन पर्यटन स्थलों को आम जनता के लिए बंद कर दिया गया है. (Bastar picnic spot closed)
बस्तर में भारी बारिश की संभावना
मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने बस्तर में इस साल भारी बारिश होने की संभावना जताई है. (Heavy rain in Bastar) जिससे एक बार फिर बाढ़ की स्थिति निर्मित हो सकती है. इस साल एसडीआरएफ की टीम और जिला पुलिस बल ने बाढ़ की स्थिति से निपटने अपनी तरफ से पूरी तैयारी कर लेने की बात कही है. अब देखना होगा कि यह टीम इस साल बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने पर कितने लोगों की जान बचा सकती है.