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जगदलपुर महारानी अस्पताल में बिना चीरा के सफल हो रहे ऑपरेशन

जगदलपुर महारानी अस्पताल (Jagdalpur Maharani Hospital) में ऑपरेशन चर्चा का विषय बना हुआ है. महारानी अस्पताल में डॉक्टरों ने बिना चीरा लगाए पिग टेल पाइप कैथेटराइजेशन ऑपरेशन (Pig Tail Pipe Catheterization Operation) को अंजाम दिया. डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल रायपुर, AIIMS रायपुर और CIMS बिलासपुर जैसी बड़ी बड़ी अस्पतालों के बाद महारानी अस्पताल का नाम भी शामिल हो गया है.

Jagdalpur Maharani Hospital
जगदलपुर महारानी अस्पताल
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Published : Jun 25, 2022, 4:23 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

बस्तर: बस्तर में अक्सर स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली की खबर सामान्य तौर पर सामने आती है. लेकिन इस बार जगदलपुर स्थित जिला अस्पताल में किया गया ऑपरेशन चर्चा का विषय बना हुआ है. महारानी अस्पताल में डॉक्टरों ने बिना चीरा लगाए पिग टेल पाइप कैथेटराइजेशन ऑपरेशन (Pig Tail Pipe Catheterization Operation) को अंजाम दिया. यह प्रक्रिया इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी (Interventional Radiology) के अंतर्गत आती है.

जगदलपुर महारानी अस्पताल में पिग टेल पाइप कैथेटराइजेशन ऑपरेशन

यह भी पढ़ें: बिलासपुर से जांजगीर चांपा पहुंचा ब्रेव बॉय राहुल साहू, लोगों ने ऐसे किया स्वागत

कैसे दिया गया ऑपरेशन को अंजाम: दरअसल जगदलपुर के महारानी अस्पताल में कुछ दिन पहले बकावंड निवासी 20 वर्षीय नवयुवक पेट दर्द की शिकायत लेकर महारानी अस्पताल पंहुचा था. सोनोग्राफी रिपोर्ट में डॉक्टर ने यकृत लिवर में लगभग 250ml तक का मवाद पाया. जिसके बाद सर्जन डॉ. दिव्या और रेडियोलोजिस्ट डॉ. मनीष मेश्राम की मदद से सोनोग्राफी द्वारा केवल एक पतली पाइप से मवाद को लीवर से बाहर निकालने की प्रक्रिया को पूरा किया. इसके बाद ऑपरेशन को बिना चीरा लगाएं अंजाम दिया गया.

सोनोग्राफी पेट के इलाज में सहायक: डॉक्टरों ने बताया, "शरीर के भीतरी अंगों में किसी इंफेक्शन से मवाद भर जाए तो वह अंग खराब हो सकता है. इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी वर्तमान समय में चिकित्सा विभाग की अत्यधिक उन्नत, विशेष कुशलता और गुणवत्ता युक्त शाखा है. इसमें सीटी स्कैन और सोनोग्राफी की सहायता से शरीर की विभिन्न बीमारियों का इलाज केवल एक पतली पाइप की सहायता से कर दिया जाता है. इसमें सीटी स्कैन द्वारा दिमाग, पेट, हाथ या पैरों के रक्त की नसों की विभिन्न बीमारियों और सोनोग्राफी द्वारा पेट के विभिन्न बीमारियों का इलाज किया जाता है.

सोनोग्राफी का उपयोग: वहीं डॉ. मेश्राम बताते हैं कि "शुरुआत में सोनोग्राफी का उपयोग केवल बीमारी का पता लगाने के उद्देश्य से ही किया जाता था. लेकिन लगातार बढ़ते आधुनिक और उपकरणों के चलते अब इस सोनोग्राफी का उपयोग कुछ बीमारियों जैसे अंगों में भरे मवाद, गुर्दे में पेशाब रुक जाना, यकृत में या पित्त की नली में रुकावट से पित्त न निकल पाने के इलाज के लिए उपयोग में करने की प्रक्रिया अपनाई गई है. शरीर के भीतर मवाद होने की पहचान सहजता से उपलब्ध सोनोग्राफी द्वारा शीघ्रता से की जा सकती है. सोनोग्राफी द्वारा केवल एक पतली पाइप के माध्यम से भीतरी अंगो से मवाद को लोकल एनेस्थेसिया देकर एक छोटी सी छिद्र करके निकाल लिया जाता है. इस प्रक्रिया को पिग टेल कैथेटराइजेशन कहते हैं."

महारानी अस्पताल में बिना चीरे के सफल ऑपरेशन: छत्तीसगढ़ की सरकारी चिकित्सा संस्थाओं में से डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल रायपुर, AIIMS रायपुर और CIMS बिलासपुर जैसी बड़ी बड़ी अस्पतालों में सोनोग्राफी द्वारा पिग टेल पाइप प्रक्रिया सामान्य तौर से की जाती है. जगदलपुर के महारानी अस्पताल में पिग टेल पाइप प्रक्रिया से किया गया ऑपरेशन बदलते बस्तर की पहचान बन रहा है. सरकारी संस्थाओं से अलग निजी संस्थाओं में यह प्रक्रिया बहुत ही महंगी होती है. यह बहुत ही उन्नत तकनीकी प्रक्रिया है जो की अब बस्तरवासियों को सहजता से कम से कम खर्चें में महारानी अस्पताल में उपलब्ध हो जाएगी.

बस्तर: बस्तर में अक्सर स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली की खबर सामान्य तौर पर सामने आती है. लेकिन इस बार जगदलपुर स्थित जिला अस्पताल में किया गया ऑपरेशन चर्चा का विषय बना हुआ है. महारानी अस्पताल में डॉक्टरों ने बिना चीरा लगाए पिग टेल पाइप कैथेटराइजेशन ऑपरेशन (Pig Tail Pipe Catheterization Operation) को अंजाम दिया. यह प्रक्रिया इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी (Interventional Radiology) के अंतर्गत आती है.

जगदलपुर महारानी अस्पताल में पिग टेल पाइप कैथेटराइजेशन ऑपरेशन

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कैसे दिया गया ऑपरेशन को अंजाम: दरअसल जगदलपुर के महारानी अस्पताल में कुछ दिन पहले बकावंड निवासी 20 वर्षीय नवयुवक पेट दर्द की शिकायत लेकर महारानी अस्पताल पंहुचा था. सोनोग्राफी रिपोर्ट में डॉक्टर ने यकृत लिवर में लगभग 250ml तक का मवाद पाया. जिसके बाद सर्जन डॉ. दिव्या और रेडियोलोजिस्ट डॉ. मनीष मेश्राम की मदद से सोनोग्राफी द्वारा केवल एक पतली पाइप से मवाद को लीवर से बाहर निकालने की प्रक्रिया को पूरा किया. इसके बाद ऑपरेशन को बिना चीरा लगाएं अंजाम दिया गया.

सोनोग्राफी पेट के इलाज में सहायक: डॉक्टरों ने बताया, "शरीर के भीतरी अंगों में किसी इंफेक्शन से मवाद भर जाए तो वह अंग खराब हो सकता है. इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी वर्तमान समय में चिकित्सा विभाग की अत्यधिक उन्नत, विशेष कुशलता और गुणवत्ता युक्त शाखा है. इसमें सीटी स्कैन और सोनोग्राफी की सहायता से शरीर की विभिन्न बीमारियों का इलाज केवल एक पतली पाइप की सहायता से कर दिया जाता है. इसमें सीटी स्कैन द्वारा दिमाग, पेट, हाथ या पैरों के रक्त की नसों की विभिन्न बीमारियों और सोनोग्राफी द्वारा पेट के विभिन्न बीमारियों का इलाज किया जाता है.

सोनोग्राफी का उपयोग: वहीं डॉ. मेश्राम बताते हैं कि "शुरुआत में सोनोग्राफी का उपयोग केवल बीमारी का पता लगाने के उद्देश्य से ही किया जाता था. लेकिन लगातार बढ़ते आधुनिक और उपकरणों के चलते अब इस सोनोग्राफी का उपयोग कुछ बीमारियों जैसे अंगों में भरे मवाद, गुर्दे में पेशाब रुक जाना, यकृत में या पित्त की नली में रुकावट से पित्त न निकल पाने के इलाज के लिए उपयोग में करने की प्रक्रिया अपनाई गई है. शरीर के भीतर मवाद होने की पहचान सहजता से उपलब्ध सोनोग्राफी द्वारा शीघ्रता से की जा सकती है. सोनोग्राफी द्वारा केवल एक पतली पाइप के माध्यम से भीतरी अंगो से मवाद को लोकल एनेस्थेसिया देकर एक छोटी सी छिद्र करके निकाल लिया जाता है. इस प्रक्रिया को पिग टेल कैथेटराइजेशन कहते हैं."

महारानी अस्पताल में बिना चीरे के सफल ऑपरेशन: छत्तीसगढ़ की सरकारी चिकित्सा संस्थाओं में से डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल रायपुर, AIIMS रायपुर और CIMS बिलासपुर जैसी बड़ी बड़ी अस्पतालों में सोनोग्राफी द्वारा पिग टेल पाइप प्रक्रिया सामान्य तौर से की जाती है. जगदलपुर के महारानी अस्पताल में पिग टेल पाइप प्रक्रिया से किया गया ऑपरेशन बदलते बस्तर की पहचान बन रहा है. सरकारी संस्थाओं से अलग निजी संस्थाओं में यह प्रक्रिया बहुत ही महंगी होती है. यह बहुत ही उन्नत तकनीकी प्रक्रिया है जो की अब बस्तरवासियों को सहजता से कम से कम खर्चें में महारानी अस्पताल में उपलब्ध हो जाएगी.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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