बस्तर: बस्तर में आदिवासी अंचलों के ग्रामीण जल, जंगल और जमीन को अपनी सबसे बड़ी पूंजी मानते हैं. इसे बचाये रखने के लिए लगातार संघर्ष करते आए हैं. खासकर बस्तर में वनों का काफी महत्व है, क्योंकि यह ग्रामीणों के आय का भी मुख्य स्रोत है. ग्रामीण बस्तर के वन को केवल अपने आय का स्रोत मानते हैं, बल्कि पूजा और देखभाल भी करते हैं. ग्रामीण वन को अपने परिवार का सदस्य मानते हैं. साल छत्तीसगढ़ का राजकीय वृक्ष है.
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ग्रामीणों ने वन विभाग को पेड़ कटाई की नहीं दी अनुमति
वन विभाग का भी इस वन में किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं है. विभाग को न ही इस वन के देख-रेख के लिए वन कर्मचारी लगाने की जरूरत है. न ही वन प्रबंधन समिति बनाने की जरूरत पड़ी. विभाग इस वन परिक्षेत्र के सुरक्षा के लिए पूरी तरह से निश्चिंत है. हालांकि इस साल वन क्षेत्र में वन विभाग को भी कटाई की अनुमति ग्रामीणों ने नहीं दी है.
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ग्रामीण वनों की रक्षा के लिए समर्पित
खास बात यह है कि यहां के ग्रामीण वनों की रक्षा के लिए उनके ही गांव के एक सदस्य को अपना अध्यक्ष चुनते हैं. जिसकी जवाबदारी वन के रक्षा के लिए सभी ग्रामीणों को गाइड करना होता है. अध्यक्ष को गांव से चंदा इकट्ठा करता है. पेड़ों को कटाई से बचाने के लिए रात में निगरानी के लिए चौकीदार तैनात करता है. इसके बाद उसे बाकयदा मानदेय भी दिया जाता है.
![Story of worshiping rural Sal forest of Bhatiguda village of Bastar](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-bst-01-vanokirakshaspl-pkg-7205404_14022021153829_1402f_1613297309_588.jpg)
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साल वन में आज तक नहीं हुई पेड़ की अवैध कटाई
जंगल के अध्यक्ष लखूराम का कहना है कि, इस गांव के ग्रामीण पीढ़ी दर पीढ़ी इस जंगल की रक्षा करते आ रहे हैं. दादा परदादा के समय से इस जंगल को अपना परिवार का सदस्य मानते हैं. यही वजह है कि आज भी इस वन को घर का सदस्य मान कर इसकी पूरी तरह से देखभाल की जाती है. अध्यक्ष ने बताया कि 100 एकड़ में फैली साल वन में एक भी पेड़ की अवैध कटाई नहीं हुई है. हालांकि दूसरे गांव के ग्रामीणों ने धोखे से कटाई की थी. इसकी जानकारी लगने पर उनसे जुर्माना भी वसूला गया था. वसूले गए जुर्माने को वन के रक्षा के लिए खर्च किया जाता है.
![Story of worshiping rural Sal forest of Bhatiguda village of Bastar](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-bst-01-vanokirakshaspl-pkg-7205404_14022021153829_1402f_1613297309_761.jpg)
दियारी त्योहार के दौरान जंगल में गोवर्धन पूजा
अध्यक्ष का कहना है कि बकायदा इस वन की पूजा पाठ भी ग्रामीण करते हैं. हर साल ग्रामीण दियारी त्योहार के दौरान जंगल में गोवर्धन पूजा करते हैं. इसके अलावा उन्होंने बताया कि, केवल बस्तर दशहरा पर्व के दौरान ही यहां से एक विशेष लकड़ी रथ निर्माण के लिए दी जाती है. बाकी गांव के लोग इस वन के लकड़ी का किसी तरह का कोई उपयोग नहीं करते हैं.
![Story of worshiping rural Sal forest of Bhatiguda village of Bastar](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-bst-01-vanokirakshaspl-pkg-7205404_14022021153829_1402f_1613297309_477.jpg)
खाली समय पर वन की रक्षा करते हैं युवा
भाटीगुड़ा गांव के युवा और ग्रामीणों का कहना है वे भी अपने खाली समय पर वन की रक्षा के लिए लगे रहते हैं. आगामी दिनों में यहां के युवा और ग्रामीणों ने खाली जगह में पौधरोपण करने की भी बात कही है. उनका कहना है कि पेड़ हैं, तो हम हैं. इस पेड़ को बचाने की जिम्मेदारी गांव के बड़े लोगों के साथ-साथ युवाओं की भी है. पेड़ों को बचाने के लिए गांव वाले जुट जाते हैं. हालांकि जब पेड़ पूरी तरह से सूख जाता है, तो उन लकड़ियों को रख दिया जाता है.
![Story of worshiping rural Sal forest](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-bst-01-vanokirakshaspl-pkg-7205404_14022021153829_1402f_1613297309_986.jpg)
वन को बचाने के लिए जागरूक हैं ग्रामीण
साल वन से ग्रामीणों को किसी तरह की आय नहीं होती है. बावजूद इसके ग्रामीण साल वन को पूरी तरह से अपने निगरानी में रखकर देखभाल करते हैं. ग्रामीणों का मानना है कि जंगल केवल उनके लिए आय का साधन नहीं होता, बल्कि पर्यावरण का संतुलन रखने के लिए वनों को बचा रहे हैं. वन को बचाने के लिए जागरूक हैं.
वन विभाग भी जंगल में नहीं कर सकता मनमानी
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि उन्हें वन विभाग की ओर से किसी तरह की कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती है. ग्रामीणों ने विभाग से कोई मांग नहीं की है. यहां तक कि वन विभाग के लोगों को भी पेड़ को काटने की पूरी तरह से मनाही है. रिजर्व फॉरेस्ट एरिया होने के बावजूद वन विभाग इस जंगल में किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं करता.
परिवार के सदस्य की तरह करते हैं देखभाल
ग्रामीणों का कहना है कि उनका मकसद यह है कि पीढ़ी दर पीढ़ी जो प्रथा वन को बचाने के लिए चली आ रही है. वह हमेशा कायम रहे. आने वाली पीढ़ी को भी इस वन को बचाए रखने के लिए अपनी अहम भूमिका निभाने का संकल्प दिया जाता है. यही नहीं यहां के ग्रामीणों के लिए यह वन एक परिवार के सदस्य की तरह है. इसलिए इसकी देखभाल ठीक उसी प्रकार की जाती है, जैसे पिता अपने बेटे और बेटी का देखभाल करता है.
ग्रामीण जागरूक हो जाएं तो रुक जाएगी अवैध कटाई
वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि भाटीगुड़ा गांव के लोग अपने वन के महत्व को भली-भांति जानते हैं. यही वजह है कि इतने साल से भाटीगुड़ा में कभी भी कोई बीट गार्ड या वन कर्मचारियों की वनों की रक्षा के लिए ड्यूटी लगाने की जरूरत तक नहीं पड़ी है. विभाग के अधिकारियों का मानना है अगर जिले के सभी ग्रामीण अपने वन के लिए जागरूक हो जाएं, तो बस्तर में किसी भी कीमत पर अवैध वन कटाई नहीं हो सकती. ऐसा अगर सभी ग्रामीण करे तो यहां पर्यावरण संतुलन हमेशा कायम रहेगा.