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फर्जी नक्सल केस: बस्तर के जेलों में वर्षों से बंद 620 आदिवासियों की रिहाई प्रक्रिया शुरू

1 अक्टूबर को पटनायक समिति की ऑनलाइन बैठक में नक्सल मामले में बंद 620 आदिवासियों की रिहाई के अनुशंसा की गई थी. जिसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इसके तहत 169 आदिवासियों को 'प्ली ऑफ बारगेनिंग' के तहत छोड़ा जाएगा.

jagdalpur central jail
जगदलपुर सेंट्रल जेल
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Published : Oct 19, 2020, 3:56 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: फर्जी नक्सल मामलों में जेलों में वर्षों से बंद आदिवासियों की रिहाई प्रक्रिया शुरू हो गई है. ऐसे कैदियों के मामलों की समीक्षा के लिए जस्टिस एके पटनायक की अध्यक्षता में गठित समिति ने 1 अक्टूबर को नक्सल मामले में बंद 620 आदिवासियों की रिहाई के अनुशंसा की थी. इनमें से 451 आदिवासियों पर चल रहा अभियोजन सरकार वापस लेगी, जबकि अन्य 169 आदिवासियों को 'प्ली ऑफ बारगेनिंग' के तहत छोड़ा जाएगा.

जानकारी के मुताबिक बस्तर संभाग के जेलों में बंद फर्जी नक्सल मामलों में आदिवासियों को रिहा करने के लिए तीन बैठक हो चुकी है और आखिरी बैठक में कुल 620 आदिवासी बंदियों की रिहाई की अनुशंसा की जा चुकी है. इन बैठकों के बाद 404 कैदियों के प्रकरण से अभियोजन वापस लेने और 81 प्रकरणों को धारा 265 ए दंड प्रक्रिया संहिता के तहत 'प्ली ऑफ बारगेनिंग' के तहत छोड़ने की अनुशंसा की गई थी. बस्तर आईजी ने कहा कि न्यायालय चल रहे मामलों के वापसी की प्रक्रिया अभियोजक शाखा से की जा रही है. वहीं आदिवासियों के खिलाफ विभिन्न न्यायलयों में जो मुकदमा चल रहा है उन मामलों में भी प्रकरण की समीक्षा की जा रही है.

पढ़ें: आदिवासी महिलाओं के साथ मारपीट: समाज के पदाधिकारी पहुंचे थाने, उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

620 प्रकरणों पर की गई चर्चा

कोरोना के बढ़ते संकट के बावजूद 1 अक्टूबर को पटनायक समिति की ऑनलाइन बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में महाअधिवक्ताओं के साथ प्रदेश के डीजीपी, गृह सचिव, बस्तर आईजी सुंदरराज समेत तमाम पुलिस के आला अधिकारी मौजूद थे. समिति ने बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर, कोंडागांव, राजनंदगांव जिलों के अनुसूचित जनजाति वर्ग के कुल 620 प्रकरणों पर विचार किया है.

बंद कैदियों को रिहा कराने का वादा

विपक्ष में रहते हुए बस्तर में नक्सलवाद के नाम पर आदिवासियों को फर्जी मामलों में फंसाने का आरोप कांग्रेस तत्कालीन भाजपा सरकार पर लगाती रही थी. साल 2018 के चुनावी घोषणा पत्र में कांग्रेस ने वादा किया था कि सरकार बनी तो जेलों में बंद आदिवासियों को रिहा किया जाएगा. इन दिनों बस्तर में निर्दोष आदिवासियों की रिहाई का बड़ा मुद्दा बनने लगा है. सीआरपीसी के प्रावधानों के मुताबिक 'प्ली ऑफ बारगेनिंग' एक तरह का समझौता है जो वादी और प्रतिवादी के बीच किया जाता है, इसमें प्रतिवादी अपने गलती कबूल कर सजा में रियायत की मांग कर सकता है. अगर कई धाराएं लगी है तो किसी एक धारा में गलती मान दूसरी धाराओं के तहत होने वाली सजा में रियायत पा सकता है.

जगदलपुर: फर्जी नक्सल मामलों में जेलों में वर्षों से बंद आदिवासियों की रिहाई प्रक्रिया शुरू हो गई है. ऐसे कैदियों के मामलों की समीक्षा के लिए जस्टिस एके पटनायक की अध्यक्षता में गठित समिति ने 1 अक्टूबर को नक्सल मामले में बंद 620 आदिवासियों की रिहाई के अनुशंसा की थी. इनमें से 451 आदिवासियों पर चल रहा अभियोजन सरकार वापस लेगी, जबकि अन्य 169 आदिवासियों को 'प्ली ऑफ बारगेनिंग' के तहत छोड़ा जाएगा.

जानकारी के मुताबिक बस्तर संभाग के जेलों में बंद फर्जी नक्सल मामलों में आदिवासियों को रिहा करने के लिए तीन बैठक हो चुकी है और आखिरी बैठक में कुल 620 आदिवासी बंदियों की रिहाई की अनुशंसा की जा चुकी है. इन बैठकों के बाद 404 कैदियों के प्रकरण से अभियोजन वापस लेने और 81 प्रकरणों को धारा 265 ए दंड प्रक्रिया संहिता के तहत 'प्ली ऑफ बारगेनिंग' के तहत छोड़ने की अनुशंसा की गई थी. बस्तर आईजी ने कहा कि न्यायालय चल रहे मामलों के वापसी की प्रक्रिया अभियोजक शाखा से की जा रही है. वहीं आदिवासियों के खिलाफ विभिन्न न्यायलयों में जो मुकदमा चल रहा है उन मामलों में भी प्रकरण की समीक्षा की जा रही है.

पढ़ें: आदिवासी महिलाओं के साथ मारपीट: समाज के पदाधिकारी पहुंचे थाने, उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

620 प्रकरणों पर की गई चर्चा

कोरोना के बढ़ते संकट के बावजूद 1 अक्टूबर को पटनायक समिति की ऑनलाइन बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में महाअधिवक्ताओं के साथ प्रदेश के डीजीपी, गृह सचिव, बस्तर आईजी सुंदरराज समेत तमाम पुलिस के आला अधिकारी मौजूद थे. समिति ने बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर, कोंडागांव, राजनंदगांव जिलों के अनुसूचित जनजाति वर्ग के कुल 620 प्रकरणों पर विचार किया है.

बंद कैदियों को रिहा कराने का वादा

विपक्ष में रहते हुए बस्तर में नक्सलवाद के नाम पर आदिवासियों को फर्जी मामलों में फंसाने का आरोप कांग्रेस तत्कालीन भाजपा सरकार पर लगाती रही थी. साल 2018 के चुनावी घोषणा पत्र में कांग्रेस ने वादा किया था कि सरकार बनी तो जेलों में बंद आदिवासियों को रिहा किया जाएगा. इन दिनों बस्तर में निर्दोष आदिवासियों की रिहाई का बड़ा मुद्दा बनने लगा है. सीआरपीसी के प्रावधानों के मुताबिक 'प्ली ऑफ बारगेनिंग' एक तरह का समझौता है जो वादी और प्रतिवादी के बीच किया जाता है, इसमें प्रतिवादी अपने गलती कबूल कर सजा में रियायत की मांग कर सकता है. अगर कई धाराएं लगी है तो किसी एक धारा में गलती मान दूसरी धाराओं के तहत होने वाली सजा में रियायत पा सकता है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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