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जगदलपुर: प्रभु जगन्नाथ के नेत्रोत्सव के साथ 11 दिवसीय गोंचा महापर्व शुरू - rath yatra

जगन्नाथ मंदिर के पुजारी ने बताया कि प्राचीन मान्यता के अनुसार भगवान जगन्नाथ देव चंदनजात्रा के दौरान अत्यधिक स्नान करने के कारण बीमार हो जाते हैं और भक्तों को दर्शन नहीं देते हैं. इसी दौरान भगवान का जड़ी-बूटी आदि से उपचार किया जाता है.

भगवान जगन्नाथ
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Published : Jul 3, 2019, 9:06 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुर: बस्तर में जगन्नाथपुरी की तर्ज पर मनाए जाने वाले गोंचा पर्व की तैयारी जोरों से चल रही है. पर्व की शुरुआत के पहले भगवान जगन्नाथ का नेत्रोत्सव मनाया गया. इस रस्म के दौरान शहर के जगन्नाथ मंदिर में आरण्यक ब्राह्मण समाज के लोगों ने भगवान जगन्नाथ की विधि-विधान से पूजा अर्चना कर उनका श्रृंगार किया.

गोंचा पर्व की शुरुआत

जगन्नाथ मंदिर के पुजारी ने बताया कि प्राचीन मान्यता के अनुसार भगवान जगन्नाथ देव चंदनजात्रा के दौरान अत्यधिक स्नान करने के कारण बीमार हो जाते हैं और भक्तों को दर्शन नहीं देते हैं. इसी दौरान भगवान का जड़ी-बूटी आदि से उपचार किया जाता है.

पढ़ें- राजधानी में जगन्नाथ यात्रा की तैयारी पूरी, मौसी के घर जाएंगे भगवान

15 दिनों बाद स्वस्थ होने पर भगवान जगन्नाथ भक्तों को दर्शन देते हैं और भक्त भगवान का श्रृंगार कर विशेष पूजा अर्चना करते हैं, जिसे नेत्रोत्सव कहा जाता है. इसके अगले दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा रथ में सवार होकर नगर भ्रमण करते हुए अपने मौसी के घर जनकपूरी पंहुचते हैं. नेत्रोत्सव के दूसरे दिन 4 जुलाई को शहर में विशाल रथयात्रा निकाली जाएगी.

जगदलपुर: बस्तर में जगन्नाथपुरी की तर्ज पर मनाए जाने वाले गोंचा पर्व की तैयारी जोरों से चल रही है. पर्व की शुरुआत के पहले भगवान जगन्नाथ का नेत्रोत्सव मनाया गया. इस रस्म के दौरान शहर के जगन्नाथ मंदिर में आरण्यक ब्राह्मण समाज के लोगों ने भगवान जगन्नाथ की विधि-विधान से पूजा अर्चना कर उनका श्रृंगार किया.

गोंचा पर्व की शुरुआत

जगन्नाथ मंदिर के पुजारी ने बताया कि प्राचीन मान्यता के अनुसार भगवान जगन्नाथ देव चंदनजात्रा के दौरान अत्यधिक स्नान करने के कारण बीमार हो जाते हैं और भक्तों को दर्शन नहीं देते हैं. इसी दौरान भगवान का जड़ी-बूटी आदि से उपचार किया जाता है.

पढ़ें- राजधानी में जगन्नाथ यात्रा की तैयारी पूरी, मौसी के घर जाएंगे भगवान

15 दिनों बाद स्वस्थ होने पर भगवान जगन्नाथ भक्तों को दर्शन देते हैं और भक्त भगवान का श्रृंगार कर विशेष पूजा अर्चना करते हैं, जिसे नेत्रोत्सव कहा जाता है. इसके अगले दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा रथ में सवार होकर नगर भ्रमण करते हुए अपने मौसी के घर जनकपूरी पंहुचते हैं. नेत्रोत्सव के दूसरे दिन 4 जुलाई को शहर में विशाल रथयात्रा निकाली जाएगी.

Intro:जगदलपुर। बस्तर मे जगन्नाथ पूरी के तर्ज पर मनाये जाने वाला गोंचा पर्व की तैयारी जोरो से चल रही है। पर्व की शुरूआत के पहले रोज आज भगवान जगन्नाथ का नेत्रोस्तव मनाया गया, इस रस्म के दौरान शहर के जगन्नाथ मंदिर मे आरण्यक ब्राह्मण समाज के लोगो ने भगवान जगन्नाथ की विधि विधान से पूजा अर्चना कर उनका श्रंगार किया।  


Body:जगन्नाथ मंदिर के पुजारी व आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ने बताया कि प्राचीन मान्यता के अनुसार भगवान जगन्नाथ देव चंदनजात्रा के दौरान अत्यधिक स्नान करने के कारण बीमार हो जाते है, और भक्तों को दर्शन नही देते है, इसी दौरान भगवान का जडी बुटी आदि से उपचार चलता है।


Conclusion:15 दिनों बाद स्वस्थ होने के बाद भगवान जगन्नाथ भक्तों को दर्शन देते है, और भक्तों द्वारा आज भगवान का श्रृंगार कर विशेष पूजा अर्चना किया जाता है। जिसे नेत्रोत्सव कहा जाता है, इसके अगले दिन भगवान जगन्नाथ , बलभद्र और देवी सुभद्रा रथ मे सवार होकर नगर भ्रमण करते हुए अपने मौसी के घर जनकपूरी पंहुचते है, नेत्रोस्तव के दूसरे दिन कल शहर मे विशाल रथ यात्रा निकाली जायेगी।   बाईट1- रमाकांत पानीग्राही, पुजारी जगन्नाथ मंदिर बाईट2- हेमंत पाण्डे, अध्यक्ष आरण्यक ब्राम्हण समाज
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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