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विजयादशमी की रात निभाई जाती है बस्तर दशहरे की ये अद्भुत रस्म - जगदलपुर न्यूज

बस्तर दशहरा : इस अनोखे रस्म को देखकर कहेंगे क्या ऐसा भी होता है

भीतर रैनी रस्म
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Published : Oct 9, 2019, 11:23 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुर: यूं तो आपने बहुत सारी रस्म और रथयात्रा देखी होगी पर तस्वीरों में दिख रही ये रस्म बेहद ही खास है. इसे देखकर आपको पुरी के जगन्नाथ रथयात्रा की याद आ रही होगी पर ये रथयात्रा नहीं है. ये रस्म छत्तीसगढ़ की शान है.
हम बात कर रहे हैं 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर हुई अद्भुत रस्मों में से एक भीतर रैनी रस्म की, जिसे मंगलवार की देर रात अदा की गई.

इस अद्भुत रस्म को देखकर कहेंगे क्या ऐसा भी होता है

क्यों खास है ये रस्म

  • विजयादशमी की रात निभाई जाने वाली इस रस्म में 8 चक्कों के विशालकाय रथ की परिक्रमा होती है.
  • पौराणिक कथाओं के अनुसार माड़िया जाति के आदिवासी आधी रात को रथ चुराकर दंतेश्वरी मंदिर से 4 किलोमीटर दूर स्थित कुमड़ाकोट जंगल ले जाते हैं, जहां राजा नाराज ग्रामीणों को मनाकर उनके साथ नवाखाई खीर खाकर वापस उस रथ को लेकर मंदिर पहुंचते हैं, जिसे बाहर रैनी रस्म कहा जाता है.
  • देर रात हुई भीतर रैनी की रस्म में मां दंतेश्वरी और मामा वाली माता की डोली रथ में सवार किया गया. इस रस्म को देखने हजारों की संख्या में लोग मंदिर परिसर पहुंचे.
  • इस रस्म को देखने बस्तर के अलावा प्रदेश और देश के कोने-कोने से पर्यटक बस्तर पहुंचे.
  • रस्म की खास बात यह है कि रथ चुराकर ले जाने वाले मढ़िया जाति के लोग ही रथ को खींचते हैं.
  • 8 चक्कों के इस विशालकाय रथ को खींचने के लिए लगभग 300 से 400 आदिवासी मौजूद रहते है.

पढ़ें- कोंडागांव: बस्तर दशहरा में शामिल होने आए देवी देवताओं को दी गई विदाई !

बुधवार को होगी बाहर रैनी की रस्म
बुधवार को शहर के कुमड़ाकोट में बाहर रैनि की रस्म अदा की जाएगी, जिसमें बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव अपने परिवार के साथ कुमड़ाकोट में उन नाराज ग्रामीणों के बीच पहुंचेंगे और उनको मनाकर उनके साथ नवाखानी खीर खाएंगे. वहां से रथ को खींचकर दंतेश्वरी मंदिर के प्रांगण में लाया जाएगा. इस रस्म के साथ ही बस्तर दशहरा की रथ परिक्रमा खत्म हो जाएगी.

जगदलपुर: यूं तो आपने बहुत सारी रस्म और रथयात्रा देखी होगी पर तस्वीरों में दिख रही ये रस्म बेहद ही खास है. इसे देखकर आपको पुरी के जगन्नाथ रथयात्रा की याद आ रही होगी पर ये रथयात्रा नहीं है. ये रस्म छत्तीसगढ़ की शान है.
हम बात कर रहे हैं 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर हुई अद्भुत रस्मों में से एक भीतर रैनी रस्म की, जिसे मंगलवार की देर रात अदा की गई.

इस अद्भुत रस्म को देखकर कहेंगे क्या ऐसा भी होता है

क्यों खास है ये रस्म

  • विजयादशमी की रात निभाई जाने वाली इस रस्म में 8 चक्कों के विशालकाय रथ की परिक्रमा होती है.
  • पौराणिक कथाओं के अनुसार माड़िया जाति के आदिवासी आधी रात को रथ चुराकर दंतेश्वरी मंदिर से 4 किलोमीटर दूर स्थित कुमड़ाकोट जंगल ले जाते हैं, जहां राजा नाराज ग्रामीणों को मनाकर उनके साथ नवाखाई खीर खाकर वापस उस रथ को लेकर मंदिर पहुंचते हैं, जिसे बाहर रैनी रस्म कहा जाता है.
  • देर रात हुई भीतर रैनी की रस्म में मां दंतेश्वरी और मामा वाली माता की डोली रथ में सवार किया गया. इस रस्म को देखने हजारों की संख्या में लोग मंदिर परिसर पहुंचे.
  • इस रस्म को देखने बस्तर के अलावा प्रदेश और देश के कोने-कोने से पर्यटक बस्तर पहुंचे.
  • रस्म की खास बात यह है कि रथ चुराकर ले जाने वाले मढ़िया जाति के लोग ही रथ को खींचते हैं.
  • 8 चक्कों के इस विशालकाय रथ को खींचने के लिए लगभग 300 से 400 आदिवासी मौजूद रहते है.

पढ़ें- कोंडागांव: बस्तर दशहरा में शामिल होने आए देवी देवताओं को दी गई विदाई !

बुधवार को होगी बाहर रैनी की रस्म
बुधवार को शहर के कुमड़ाकोट में बाहर रैनि की रस्म अदा की जाएगी, जिसमें बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव अपने परिवार के साथ कुमड़ाकोट में उन नाराज ग्रामीणों के बीच पहुंचेंगे और उनको मनाकर उनके साथ नवाखानी खीर खाएंगे. वहां से रथ को खींचकर दंतेश्वरी मंदिर के प्रांगण में लाया जाएगा. इस रस्म के साथ ही बस्तर दशहरा की रथ परिक्रमा खत्म हो जाएगी.

Intro:जगदलपुर । 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर की अद्भुत रस्मों में से एक भीतर रैनी रस्म कल देर रात अदा की गई। विजयदशमी की रात निभाई जाने वाली इस रस्म में 8 चक्कों के विशालकाय रथ की परिक्रमा की जाती है । और इसे पौराणिक कथाओं के अनुसार माड़िया जाति के आदिवासी आधी रात को रथ चुराकर दंतेश्वरी मंदिर से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुमड़ाकोट जंगल ले जाते हैं। जहां आज राजा नाराज ग्रामीणों को मनाकर उनके साथ नवाखानी खीर खाकर और वापस उस रथ को लेकर मंदिर पहुंचते हैं। जिसे बाहर रैनी रस्म कहा जाता है।Body:देर रात हुए भीतर रैनि की रस्म में मां दंतेश्वरी और मामा वाली माता के डोली वह छात्र को रथ में सवार किया गया और इस रस्म को देखने हजारों की संख्या में लोग मंदिर परिसर पहुंचे ।बस्तर के अलावा प्रदेश से और देश के कोने कोने से पर्यटक बस्तर दशहरा के इस अद्भुत रस्म को देखने यहां पहुंचे ।इस रस्म की खास बात यह है कि रथ चुराकर ले जाने वाले मढ़िया जाति के लोग ही रथ को खींचते हैं । और 8 चक्कों के इस विशालकाय रथ को खींचने के लिए लगभग 300 से 400 आदिवासी मौजूद रहते है। Conclusion:और आज शहर के कुमड़ाकोट में बाहर रैनि की रस्म अदा की जाएगी। जिसमें बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमल चंद भंजदेव अपने परिवार के साथ कुमड़ाकोट में उन नाराज ग्रामीणों के बीच पहुंचेंगे और उनको मनाकर उनके साथ नवा खानी खीर खाएंगे । और जिसके बाद वहां से रथ को खींच कर दंतेश्वरी मंदिर के प्रांगण में लाया जाएगा । और इस रस्म के साथ ही बस्तर दशहरा की रथ परिक्रमा की समाप्ति होगी।
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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