बस्तर : वर्तमान सांसद दिनेश कश्यप ने 1990 में जगदलपुर भाजयुमो अध्यक्ष के रूप में राजनीति में प्रवेश किया था और जगदलपुर से पहली बार विधायक बने. इसके बाद 2011 में बस्तर से सांसद रहते बलीराम कश्यप की तबीयत बिगड़ी और उनकी मौत हो गई. जिसके बाद 2011 में हुए लोकसभा उपचुनाव में उनके बड़े बेटे दिनेश कश्यप को बीजेपी ने चुनाव मैदान में उतारा. जिसमें दिनेश कश्यप ने कांग्रेस के कवासी लखमा को 88 हजार वोटों से मात दी और बस्तर के सांसद बने. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर दिनेश कश्यप पर दांव खेला और जीत हासिल की. इस चुनाव में दिनेश कश्यप ने कांग्रेस के दीपक कर्मा को एक लाख वोट से हराकर बड़ी जीत दर्ज की.
सांसद निधि का उपयोग नहीं कर सके सांसद
लगातार दो बार सांसद रहे दिनेश कश्यप से इस बार जनता खासी नाराज है. बस्तरवासियों का मानना है कि, दिनेश कश्यप अपने दो कार्यकाल के दौरान क्षेत्र की जनता के लिए कुछ खास नहीं किया. लोगों का कहना है उनके सांसद उनके लिए पांच ट्रेन दिलाने के अलावा और कुछ नहीं कर सके. हालांकि, अपने कार्यकाल में दिनेश कश्यप करीब 25 करोड़ रुपये सांसद निधि से पास कराये हैं, लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि, वो अपने सांसद निधि का पूरा उपयोग नहीं कर सके.
शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में पिछड़ा बस्तर
क्षेत्र की जनता का कहना है कि, उनके सांसद दिनेश कश्यप क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए कुछ नहीं कर सके. कई लोगों का मानना है कि, सांसद को अपने स्तर पर पहल कर इलाके में सड़कों की हालत दुरुस्त करना चाहिए था. क्योंकि आजादी के बाद से ही बस्तर की सबसे बड़ी समस्या परिवहन की रही है. केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार होने के बाद भी सांसद यहां की सड़कों को सुधार नहीं सके. हालांकि शहरी इलाकों में सड़क, चौक-चौराहों का चौड़ीकरण, रायपुर-जगदलपुर 4 लेन हाईवे का निर्माण और सुकमा से कोंटा मार्ग पर कांक्रीट सड़क का निर्माण किया गया है, लेकिन क्षेत्र की जनता उनके इतने काम से खुश नहीं है. सरल स्वभाव और अच्छे आचरण के कारण बस्तर के सांसद दिनेश कश्यप कभी विवादों में तो नहीं रहे, लेकिन इस बार जनता मोदी सरकार से विकास की उम्मीद लगाये बैठी थी. यहां से भी बीजेपी ने चेहरा बदल दिया और बैदुराम को टिकट दिया है.