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आपके सांसद: दिनेश कश्यप से नाराज हैं लोग, 'ट्रेन के अलावा कुछ नहीं दिया' - बीजेपी

बस्तरवासियों का मानना है कि, दिनेश कश्यप ने अपने दो कार्यकाल के दौरान क्षेत्र की जनता के लिए कुछ खास नहीं किया. लोगों का कहना है उनके सांसद उनके लिए पांच ट्रेन दिलाने के अलावा और कुछ नहीं कर सके.

दिनेश कश्यप
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Published : Mar 25, 2019, 10:58 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

बस्तर : वर्तमान सांसद दिनेश कश्यप ने 1990 में जगदलपुर भाजयुमो अध्यक्ष के रूप में राजनीति में प्रवेश किया था और जगदलपुर से पहली बार विधायक बने. इसके बाद 2011 में बस्तर से सांसद रहते बलीराम कश्यप की तबीयत बिगड़ी और उनकी मौत हो गई. जिसके बाद 2011 में हुए लोकसभा उपचुनाव में उनके बड़े बेटे दिनेश कश्यप को बीजेपी ने चुनाव मैदान में उतारा. जिसमें दिनेश कश्यप ने कांग्रेस के कवासी लखमा को 88 हजार वोटों से मात दी और बस्तर के सांसद बने. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर दिनेश कश्यप पर दांव खेला और जीत हासिल की. इस चुनाव में दिनेश कश्यप ने कांग्रेस के दीपक कर्मा को एक लाख वोट से हराकर बड़ी जीत दर्ज की.

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सांसद निधि का उपयोग नहीं कर सके सांसद
लगातार दो बार सांसद रहे दिनेश कश्यप से इस बार जनता खासी नाराज है. बस्तरवासियों का मानना है कि, दिनेश कश्यप अपने दो कार्यकाल के दौरान क्षेत्र की जनता के लिए कुछ खास नहीं किया. लोगों का कहना है उनके सांसद उनके लिए पांच ट्रेन दिलाने के अलावा और कुछ नहीं कर सके. हालांकि, अपने कार्यकाल में दिनेश कश्यप करीब 25 करोड़ रुपये सांसद निधि से पास कराये हैं, लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि, वो अपने सांसद निधि का पूरा उपयोग नहीं कर सके.

शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में पिछड़ा बस्तर
क्षेत्र की जनता का कहना है कि, उनके सांसद दिनेश कश्यप क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए कुछ नहीं कर सके. कई लोगों का मानना है कि, सांसद को अपने स्तर पर पहल कर इलाके में सड़कों की हालत दुरुस्त करना चाहिए था. क्योंकि आजादी के बाद से ही बस्तर की सबसे बड़ी समस्या परिवहन की रही है. केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार होने के बाद भी सांसद यहां की सड़कों को सुधार नहीं सके. हालांकि शहरी इलाकों में सड़क, चौक-चौराहों का चौड़ीकरण, रायपुर-जगदलपुर 4 लेन हाईवे का निर्माण और सुकमा से कोंटा मार्ग पर कांक्रीट सड़क का निर्माण किया गया है, लेकिन क्षेत्र की जनता उनके इतने काम से खुश नहीं है. सरल स्वभाव और अच्छे आचरण के कारण बस्तर के सांसद दिनेश कश्यप कभी विवादों में तो नहीं रहे, लेकिन इस बार जनता मोदी सरकार से विकास की उम्मीद लगाये बैठी थी. यहां से भी बीजेपी ने चेहरा बदल दिया और बैदुराम को टिकट दिया है.

बस्तर : वर्तमान सांसद दिनेश कश्यप ने 1990 में जगदलपुर भाजयुमो अध्यक्ष के रूप में राजनीति में प्रवेश किया था और जगदलपुर से पहली बार विधायक बने. इसके बाद 2011 में बस्तर से सांसद रहते बलीराम कश्यप की तबीयत बिगड़ी और उनकी मौत हो गई. जिसके बाद 2011 में हुए लोकसभा उपचुनाव में उनके बड़े बेटे दिनेश कश्यप को बीजेपी ने चुनाव मैदान में उतारा. जिसमें दिनेश कश्यप ने कांग्रेस के कवासी लखमा को 88 हजार वोटों से मात दी और बस्तर के सांसद बने. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर दिनेश कश्यप पर दांव खेला और जीत हासिल की. इस चुनाव में दिनेश कश्यप ने कांग्रेस के दीपक कर्मा को एक लाख वोट से हराकर बड़ी जीत दर्ज की.

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सांसद निधि का उपयोग नहीं कर सके सांसद
लगातार दो बार सांसद रहे दिनेश कश्यप से इस बार जनता खासी नाराज है. बस्तरवासियों का मानना है कि, दिनेश कश्यप अपने दो कार्यकाल के दौरान क्षेत्र की जनता के लिए कुछ खास नहीं किया. लोगों का कहना है उनके सांसद उनके लिए पांच ट्रेन दिलाने के अलावा और कुछ नहीं कर सके. हालांकि, अपने कार्यकाल में दिनेश कश्यप करीब 25 करोड़ रुपये सांसद निधि से पास कराये हैं, लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि, वो अपने सांसद निधि का पूरा उपयोग नहीं कर सके.

शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में पिछड़ा बस्तर
क्षेत्र की जनता का कहना है कि, उनके सांसद दिनेश कश्यप क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए कुछ नहीं कर सके. कई लोगों का मानना है कि, सांसद को अपने स्तर पर पहल कर इलाके में सड़कों की हालत दुरुस्त करना चाहिए था. क्योंकि आजादी के बाद से ही बस्तर की सबसे बड़ी समस्या परिवहन की रही है. केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार होने के बाद भी सांसद यहां की सड़कों को सुधार नहीं सके. हालांकि शहरी इलाकों में सड़क, चौक-चौराहों का चौड़ीकरण, रायपुर-जगदलपुर 4 लेन हाईवे का निर्माण और सुकमा से कोंटा मार्ग पर कांक्रीट सड़क का निर्माण किया गया है, लेकिन क्षेत्र की जनता उनके इतने काम से खुश नहीं है. सरल स्वभाव और अच्छे आचरण के कारण बस्तर के सांसद दिनेश कश्यप कभी विवादों में तो नहीं रहे, लेकिन इस बार जनता मोदी सरकार से विकास की उम्मीद लगाये बैठी थी. यहां से भी बीजेपी ने चेहरा बदल दिया और बैदुराम को टिकट दिया है.

Intro:जगदलपुर। सामान्य जानकारी बस्तर लोकसभा सीट-
इस सीट का मुख्यालय जगदलपुर है। बस्तर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 8 विधानसभा 6 जिले व एक नगर निगम और 7 नगर पालिका और 6 जिला पंचायत आते हैं ।बस्तर लोकसभा क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं को लेकर विकास तो हुआ है खासकर शहरी क्षेत्रों में। लेकिन ग्रामीण अंचलो में आज भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओ की समस्या से जूझ रहे हैं। यहां ग्रामीण क्षेत्रों की मुख्य आजीविका कृषि व वनोपज है। वहीं जगदलपुर शहर मुख्यालय व्यवसाय का प्रमुख केंद्र है। जगदलपुर शहर में ही एक विश्वविद्यालय , मेडिकल कॉलेज ,इंजीनियरिंग कॉलेज, कृषि महाविद्यालय और 8 विधानसभा में महिला पॉलिटेक्निक जैसे शिक्षण संस्थाने हैं। सबसे विकसित क्षेत्र होने के बावजूद भी अंदरूनी क्षेत्रों के ग्रामीण सड़क बिजली पानी की कमी से आज भी जूझ रहे हैं।

बस्तर सांसद दिनेश कश्यप का कार्यकाल-

दिनेश कश्यप ने 1990 में जगदलपुर भाजयुमो अध्यक्ष से राजनीति में प्रवेश किया और जगदलपुर के विधायक भी बने। 2011 में सांसद रहते बलीराम कश्यप की तबीयत बिगड़ने से उनकी मौत हो गई और 2011 में हुए लोकसभा उपचुनाव में उनके बड़े पुत्र दिनेश कश्यप को भाजपा ने टिकट दिया। और कांग्रेस से कोंटा विधायक कवासी लखमा उनके प्रतिद्वंदी बने। दिनेश कश्यप ने कवासी लखमा को 88 हजार मतों के अंतर से हराया और बस्तर के सांसद बने ।जिसके बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर दिनेश कश्यप को चुनावी मैदान में उतारा और कांग्रेस में स्वर्गीय महेंद्र कर्मा के पुत्र दीपक कर्मा को टिकट दिया । और इस चुनाव में भी दिनेश कश्यप ने कांग्रेस के दीपक कर्मा को एक लाख मतों के अंतर से बुरी तरह हराया।

वर्तमान में दिनेश कश्यप बस्तर के सांसद हैं। बस्तर लोकसभा सीट से लगातार दो बार जीतने के बावजूद बस्तर वासियों का मानना है कि बस्तर के विकास के लिए उनकी कुछ खास उपलब्धि नहीं रही। मेडिकल कॉलेज की शुरुआत ,नगरनार में निर्माणाधीन एनएमडीसी स्टील प्लांट, शिक्षा के क्षेत्र में बस्तर विश्वविद्यालय की स्थिति में सुधार कराने के अलावा राजनीतिक तौर पर देखे तो ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में वे नाकामयाब साबित हुए। बस्तर की सबसे बड़ी समस्या नक्सलवाद के अंत के लिए भी कोई ठोस रणनीति नही बना पाए और यही वजह रही कि उनके संसदीय क्षेत्र के कई गांव जो कि नक्सल प्रभावित है यहां के लोग अब भी बुनियादी सुविधाओं के लिए परेशान हैं। हालांकि शहरी इलाके में सड़क चौक चौराहों का चौड़ीकरण ,रायपुर- जगदलपुर 4 लेन हाईवे मार्ग का निर्माण और सुकमा से कोंटा मार्ग पर कांक्रीट सड़क का निर्माण और छत्तीसगढ़ को महाराष्ट्र से जोड़ने के लिए बीजापुर के तिमेड में इंद्रावती नदी पर पुल का निर्माण , तेलंगाना से जोड़ने के लिए बीजापुर के पामेड़ में पुल निर्माण और बस्तर में आवागमन के विस्तार के लिए पांच नये पैसेंजर ट्रेनों की सौगात व रेल सुविधाओं में विस्तार उनकी खास उपलब्धि रही है।





Body:इसके अलावा इंद्रावती नदी पेयजल संकट जोरा नाला विवाद के सुलझने के बावजूद भी इंद्रावती नदी में नियमित पेयजल का प्रभाव नहीं है ।हालांकि सांसद रहते दिनेश कश्यप की पहल से 36 करोड़ रुपए की लागत से जोरा नाला पर स्ट्रक्चर का निर्माण तो कराया गया लेकिन बस्तर वासियों को इससे भी कोई फायदा मिलता नजर नहीं आया।

नगरनार में एनएमडीसी स्टील प्लांट और डिमरापाल में मेडिकल कॉलेज शुरू होने के बावजूद भी रोजगार के बेहतर अवसर बस्तर के शिक्षित युवाओं को मुहैया नहीं करा पाए। जिसकी वजह से बस्तर में पलायन की समस्या बढ़ते चले गई। एनएमडीसी से युवाओं ने उम्मीद लगा रखी थी लेकिन यहां भी युवाओं को निराशा हाथ लगी। उनके रहते स्थानीय भर्ती पर प्राथमिकता नहीं दिया गया । जिससे कई शिक्षित युवा बेराजगारी की समस्या से जूझ रहे है।

बस्तर संसदीय क्षेत्र में सड़क ,पानी ,बिजली , शहरी और ग्रामीण इलाकों की बड़ी समस्या है। हालांकि जानकारी के मुताबिक सांसद निधि मद से बस्तर लोकसभा के ग्रामीण अंचलों में मूलभूत सुविधाओं, पुल पुलिये के निर्माण और सामाजिक सरोकार जैसे कार्यो के लिए बीते 5 सालों में 25 करोड़ रुपए के विभिन्न विकास कार्य किए गये हैं लेकिन यह विकास कार्य कुछ क्षेत्रों को छोड़ दिया जाए तो बस्तर के नक्सल प्रभावित ग्रामीण अंचलों में दिखाई नहीं देता। यही वजह है कि आज भी बस्तर संभाग के बीजापुर, दंतेवाड़ा ,सुकमा, नारायणपुर जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं । और विकास उन तक पहुंचा ही नहीं है।


Conclusion:हालांकि अपने सरल स्वभाव आचरण की वजह से बस्तर के सांसद दिनेश कश्यप कभी किसी विवादों में घिरते नजर नही आये और यही वजह रही कि वह अपने आचरण की वजह से बस्तर की जनता के बीच अपनी खास जगह बना पाए और भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ ही बस्तर के लोगों के लिए भी चहिते जनप्रतिनिधि बने रहे।
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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